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Channel: Indian Bhabhi Hindi Incest Savita Vellamma Naughty Sex Stories
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लंड की चाहत ने मुझे कई लौड़े दिलवाए -2

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हाय फ्रेंड्स, मैं सरोज फिरसे हाजिर हूँ आप लोगो के सामने कहानी के अलगे भाग को लेकर |मैंने आप लोगो को पिछले भाग में बताया था कि कैसे मैंने अपने बेटे के स्कूल टीचर से चुदवाया था | तो मैं अब आप लोगों को आगे के भाग में बताउंगी अपनी अगली चुदाई के बारे में |

स्कूल टीचर से चुदाई के बाद मेरे अन्दर की फिर से अन्तर्वासना जाग उठी थी | उस ने तो बस मुझे एक बार ही चोदा था | मैंने उससे कई बार कहा कि मुझे चुदवाना है पर उसने मना कर दिया | तो मैंने भी उसे मादरचोद बोल के अलग कर दिया अपनी जिन्दगी से | फिर ऐसे ही दिन बीतने लगे थे और मैं चुदाई की आग में जल रही थी | लेकिन ऊपर वाला सब देखता है और तभी एक दिन मेरे भांजे का कॉल आया कि मामी मेरा एग्जाम है वहां तो मैं आप के यहाँ आ रहा हूँ 3 दिन के लिए | तो मैंने भी कह दिया था कि हाँ आ जाना | फिर अगले दिन वो मेरे घर आ गया | मैंने उसे नहा के फ्रेश होने के लिए बोल दिया और वो नहाने चला गया और मैं भी अपने घर के काम में लग गयी | फिर जब वो नहा के आया तोमैंने उसे खाना ला के दिया और उसी के साथ बैठ के मैं भी खाना खाने लगी |हम दोनों खाना खाने लगे और ऐसे ही इधर उधर कि बात करने लगे | खाना खाने के बाद मैंने उससे कहा कि तू आराम कर ले मैं भी जा के हिमांशु को ले कर आती हूँ | तो उसने कहा ठीक है मामी | फिर मैं अपने बेटे को लेने चली गयी |

जब मैं वहां से आई तो मेरा बेटा जिद करने लगा कि मम्मी मुझे टॉफ़ी खानी है तो मैंने उससे कहा कि ठीक है तू बाजू वाली दूकान चले जा मैं घर चली जाती हूँ | मेरी शॉप के बाजू में ही एक शॉप थी वहां से वो हर दम टॉफी लेता था |जैसे ही मैं घर के अन्दर गयी तो देखा कि वो मेरा भांजा जिसका नाम सक्षम है वो मुझे नहीं दिख रहा था | मैंने हर रूम में देखा पर वो मुझे नहीं दिख रहा था | फिर जब मैं बाथरूम कि तरफ गयी तो मुझे अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअअहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कि आवाजे आ रही थी | तो मैं समझ गयी थी कि ये मुठ मार रहा होगा | मैंने उसे कुछ नहीं कहा और अपने बेटे के सोने का इंतज़ार करने लगी जब वो सो गया तो मैं बाथरूम में गयी देखने कि इसने कहा अपना माल निकाला है | जब मैंने अपने ब्रा और पेंटी उठाये तो देखा कि ढेर सारा वीर्य मेरी ब्रा और पेंटी दोनों में है | ये देख कर मैं मदहोश होने लगी तो मैंने थोडा सा वीर्य अपनी जुबान से चाता तो बहुत कड़क वीर्य और फ्रेश लगा | मैं अपनी ब्रा और पेंटी ले कर उसके पास गयी | वो उस समय टीवी देख रहा था तो मैंने उससे कहा कि ये सब क्या है ? तो वो थोडा सा डर गया और मुझसे माफ़ी मांगने लगा |

तो मैंने उससे कहा कि चल कमरे में | और फिर मैं उसे दूसरे वाले रूम में ले आई और जहाँ मेरा बेटा सो रहा था उस रूम को हल्का कुंडी लगा के बंद कर दिया | रूम में पंहुच कर मैंने उससे कहा कि चल अपना पेन्ट उतार | तो डरते डरते अपना पेन्ट उतारा तो मैं देख कर चौंक गयी कि इतनी सी उम्र है इसकी लंड इतना मोटा | उसका लंड देखकर मेरी चूत फटने लगी | फिर मैंने कहा अरे बाप रे ! इतना बड़ा मैं तो आज मर ही जाउंगी | फिर मैं उसके लंड को हाँथ में ले कर हिलाने लगी हिलाते हिलाते उसका लंड और मोटा हो गया 6 इंच का साइज़ था उसके लंड का | जब उसका लंड एक दम तैयार हो गया तो मैं उसके लंड को मुंह में ले कर चूसने लगी और वोअहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करने लगा | फिर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया | और खुद भी नंगी हो गयी थी | उसके बाद मैंने उससे अपने दूध पीने को कहा तो वो मेरे दूध को जोर जोर से पीने लगा और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करने लगी थी |10 मिनट तक मैंने उससे अपने दूध चुसवाए थे | फिर मैं बेड पर लेट गयी और उसे अपनी चूत चाटने को कहा तो झट से वो मेरी चूत चाटने लगा तब तक मैं बहुत गरम हो चुकी थी  और अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करते हुए अपनी गांड उचका उचका के चूत चटवा रही थी |

फिर मैंने उसे लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर लंड अपनी चूत में टिका कर ऊपर नीचे होने लगी थी | और वो भी झटके देने लगा था और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी |२० मिनट कि चुदाई के बाद उसने ढेर सारा माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया | फिर मैं जल्दी से उठ कर उसको कपडे पहनने के लिया कहा और बाथरूम चली गयी खुद को साफ़ करने | मुझे चुदवा के मजा आया और चूत को शांति मिली | 3 दिन तक मैंने उससे खूब चुदवाई जब जब मेरा बेटा स्कूल में होता या रात में सो जाता था |

फिर वो भी अपने घर चला गया था और फिर से मैं अकेली हो गयी | फिर एक दिन मैने अपने दूध वाले को फंसाया | जिसका नाम खूबचंद था और उससे भी अपनी चूत कि चुदाई करवा ली थी | वो गांड मारने का बहुत बड़ा शौक़ीन था तो उसने मेरी कुंवारी गांड कि भी सील तोड़ दीथी और खूब गांड चोदा था मेरी | अब मैं रोज बेटे के स्कूल जाने के बाद अपने दूध वाले से सुबह सुबह अपनी चूत की सेवा करवा लेती थी | पर दिन भर मैं अकली रह जाती थी | मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था कि मैं रोज सुबह चुदवाती हूँ फिर भी मेरी चूत कि खुजली नहीं मिट रही है |

मेरी शॉप के बाजू में एक शॉप है तो मैंने उसके मालिक के बेटे को अपनी जाल में फंसा लिया | बहतु ही मुश्किल से वो मेरे काबू में आया था | फिर मैंने उसे कहा कि मैं तुझे रोज 100 रूपए दूँगी अगर तू मेरी चूत चोदेगा तो |वो भी तैयार हो गया था इस काम के लिए | उसका नामक आरुष था और वो कॉलेज में था | उसका बाप बहुत खडूस था और उसे पैसे भी नहीं देता था | मुझे ये पॉइंट मिल गया था उसे पटाने का | एक दिन उसने अपने बाप से कहा कि मैं आज कॉलेज नहीं जाऊंगा मुझे कुछ काम है | थोड़ी देर बाद छुपते छुपते मेरे घर आ गया था |मैंने उससे पूछा कि किसी ने तुझे देखा तो नहीं यहाँ आते हुए | तो उसने कहा कि नहीं किसी नहीं देखा | फिर मैंने उसके होंठ में होंठ रख कर उसे किस करने लगी और वो मुझे भी किस करने लगा | फिर मैंने उसे नंगा कर दिया और उसका लंड ज्यादा बड़ा तो नहीं था और न ही मोटा था | पर मुझे अपनी चूत कि खुजली मिटानी थी तो मैंने कुछ नहीं समझा और उसका लंड मुंह में भर कर चूसने लगी | वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करने लगा था | फिर उसके सामने ही मैं भी नंगी हो गयी और वो मेरे दूध को पीने लगा जोर जोर से निप्पलस चूसते हुए | और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करते हुए सिस्कारिया ले रही थी | 10 मिनट मेरे दूध पीने के बाद उसने मेरी चूत को चाटा | और फिर मेरी चूत कि चुदाई की | उससे मैंने अपनी गांड भी चुदवाई थी |

तो दोस्तों ये थी मेरी जिन्दगी की कहानी | मैं सुबह, दोपहर चुदवाती थी पर रात का मेरे पास कोई आप्शन नहीं था | मेरी इस चूत की आग ने मुझे कई लौड़ो का स्वाद चखने में मजबूर कर दिया था| मैंने ना जाने कितने लंड अपनी चूत और गांड में लिए होंगे मुझे खुद अंदाज़ा नहीं है इस चीज़ का | पर मैं अभी भी बहुत भूखी हूँ लंड की अगर कोई है जो मेरी चूत की प्यास बुझा सकता है तो कमेंट में अपना नंबर डाल देना और मैं उससे चुदवा लुंगी |

सौतेली माँ को पकड़ के चोदा

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यारो मुझे माफ़ करो मैं नशे में हूँ | मेर नाम नीलेश है (बदला हुआ नाम ) मैं 24 साल का हूँ और जबलपुर संजय नगर पहाड़ी का रहने वाला हूँ | दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है जो मैं आप लोगों के सामने पेश करने जा रहा हूँ , इस कहानी में आप लोगों को बताऊंगा की कैसे मैं नीलेश कल्लू बना | लोग मुझे कल्लू बोलते हैं क्यूंकि मैं काला हूँ और बहुत ही पतला दुबला और झांट बराबर बाल रखता हूँ, यारो ये कहानी मेरे और मेरी सौतेली मम्मी की है जो मैं अब आप लोगों को बताने जा रहा हूँ |

ये घटना आज से 4 पहले कि है जब मैं कॉलेज में इंजिनयरिंग की पढाई करता था और मेरा थर्ड इयर था, और मैं हॉस्टल में रहता था | मैं बहुत बड़ा बेवडा हूँ, गांजा पीता हूँ, चैन स्मोकर हूँ | और गुटखा भी खाता हूँ, मैं कुल मिला के सब गुड़ संम्पन हूँ | मेरी पहली मम्मी मर चुकी थी जब मैं 2 साल का था तब मेरे पापा ने दूसरी शादी कर लिए थे और मेरी दूसरी मम्मी बहुत ही बुरी थी, जब पापा काम चले जाते थे तब मम्मी दूसरे लोगों से चुद्वाती थी और मैं बच्चा था तो उस समय तक कुछ नहीं जानता था कि ये सब क्या होता है | जिस वजह से मैं कुछ कह नहीं पता था अपने पापा से मैं अपने घर की एक लौती सन्तान था |

एक दिन की बात है दोस्तों जब मेरे दोस्त राजुल की बर्थडे कि पार्टी थी तब उसने हम सारे दोस्तों को एक बार में पार्टी दिया था और उस समय मेरी मम्मी अकेली थी घर में और मै अपने दोस्तों के साथ पार्टी के मजे ले रहा था, मेरे दोस्तों के साथ मुझे बहुत मजा आता था क्युकी वो लोग बहुत ही बड़े वाले मुह्चोद थे और उनकी मुन्ह्चोदी ऐसी थी कि बस हँसते हँसते मर जाओ ,उस दिन मेरे दोस्त राजुल ने एम.डी. की 4 बोतल निकलवाया था कैंटीन से क्यूंकि उसका बाप आर्मी में था और उसे सस्ते में वहाँ से दारू मिल जाती थी, और जबकि पीने वाले हम 7 लोग ही थे जिनमे से कुछ लोग बच्चे थे बोले तो वो दारू नहीं पीते थे बस बीयर पीते थे अब उन लोगों के लिए तो 4 बीयर आ गयी थी पर इतनी दारू पीता कौन और सभी जानते थे कि मैं बहुत ज्यादा दारू पीता हूँ तो उसी वजह से सबने कहा कि भाई राजुल का बर्थडे हैं तो गांड फटे तो फटे पर दारू न हटे | अब  दारू पीते पीते हम लोगों को रात के 12 बज चुके थे और मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था | फिर जैसे तैसे मैं अपने घर पंहुचा और अपनी बाइक खड़ी किया तब मैंने देखा कि मम्मी के कमरे की लाइट जल रही है मेरे कुछ समझ में नही आया क्यूंकि मम्मी तो रात के 11 बजे ही सीरियल देखने के बाद सो जाती थी और दरवाजा हल्का सा बंद कर देती थी कि अगर मैं लेट भी आऊ घर तो दरवाजा खोल सकू | मुझे उस समय ऐसा लगा हो सकता है कि मम्मी को नींद ना आ रही हो और मेरा इंतज़ार कर रही हो फिर मैंने दरवाजा खटखटाया तो एक दम से लाइट बंद हो गयी मम्मी के कमरे की, और मै सोच में पड़ गया कि मम्मी ने अब क्यों लाइट बंद कर दी जब मैंने दरवाजा खटखटाया ? मुझे हल्का सा शक हुआ |

फिर मम्मी ने 10 मिनट बाद दरवाजा खोला और मम्मी थोड़ी घबरायी हुई लग रही थी तो मैंने उनसे पूछा कि मम्मी क्या हुआ आप इतना घबराये हुए क्यूँ हो ?तब मम्मी ने कहा नहीं ऐसी तो कुछ भी बात नहीं है मैं क्यूँ घबराऊँगी मैंने कोई चोर्री की है क्या ? तो मैंने कहा ठीक है ठीक है और जैसे ही अन्दर की तरफ जाने तो लगा तो मम्मी को मेरे मुंह से दारू के बदबू आने लगी और मेरे चलने के ढंग से भी मम्मी ने मुझे पकड़ ली थी और उन्होंने मुझसे कहा कि तेरी उम्र कितनी है तो मैंने पुछा कि क्यूँ क्या हुआ ? तो उन्होंने कहा तू इतना बड़ा हो गया है कि इतनी रात में घर आयगा और दारू पी के घर आयगा उस समय तो मैं कुछ बोल नही पाया और मम्मी ने चांटा मारते हुए बहुत डांटा था, मैं बस उनको सॉरी बोलते हुए अपने रूम कि तरफ जाने लगा था तो मेरी नजर मम्मी के रूम की तरफ पड़ी तो मुझे ऐसा लगा कि कोई है मम्मी के रूम में तो मैंने जाने कि सोचा | तभी मम्मी अपने रूम के दरवाजे के पास आ कर खड़ी हो गयी और कहने लगी गुस्से से कि क्या हुआ यहाँ क्यूँ आ रहा है तो मैंने कहा मम्मी मैंने किसी को अन्दर देखा तो मम्मी डर गयी और कहने लगी कि कोई नहीं है अन्दर तुझे नशा है तू कुछ भी बोल रहा है तो मुझे लगा हाँ  हो सकता है ऐसा | फिर मैं जैसे अपनी रूम की तरफ बढ़ते हुए सीढ़ी पर एक कदम बढाया तो मुझे किसी मर्द के छींकने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया था कि कोई तो है अन्दर | फिर मैं वापस मम्मी के रूम की तरफ गया और मम्मी को दरवाजे से हटाया फिर लाइट जलाया कमरे की तो देखा की बूढा आदमी था जिसके उम्र

59 के आस पास होगी और जब मैंने उसे देखा तो मुझे समझते देर ना लगी कि ये तो वो ही बूढा है जो हमारे यहाँ दूध देता है, पर ये मादरचोद साला यहाँ कर क्या रहा था, मैं उसकी कॉलर पकडे हुए बोला कि क्यूँ बे बहनचोद क्यों यहाँ क्या कर रहा है तो उसने बोला भैया मेरी कोई गलती नहीं है मैं तो दूध देने आया था मालकिन ने ही मुझे चोदने के लिए कहा था | तब मैंने बूढ़े को दो थप्पड़ लगाया और भगा दिया अपने घर से ओर मम्मी से कहा क्यों रे रंडी तू मादरचोद यहाँ चकला चला रही है क्या मेरा बाप तुझे कम पड़ रहा है, बहनचोद लौड़ी तू मुझे ज्ञान दे रही थी देर से घर आने का और दारू पीने का ज्ञान चोद रही थी मादरचोद रुक आने दे बाप को तेरी असलियत बताता हूँ, कि तू रंडी मादरचोद यहाँ नंगा नाच कर रही है ? तो मम्मी ये बात सुन कर गांड फट गयी थी तो उन्होंने कहा तू ऐसी बात कैसे कर सकता है मुझसे मैं तेरी माँ हूँ ? तो मैंने कहा अच्छा चल मादरचोद तेरी माँ चोदता हूँ अब और सीधे जा कर उसके गले को दबोच के उसे बेड पर पटक दिया और उसे किस करने लगा पर वो मेरा साथ नहीं दे रही थी पर धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी थी जब मैं 10 मिनट तक उसे किस करने में बहुत मजा आया था | फिर इसके बाद मैं उसे पूरी नंगी कर दिया और उसके दूध पीने लगा जोर जोर से और वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ  कर रही थी वो मुझसे कह रही थी कि और जोर जोर से मेरे दूध को चूसो न तो मैं और जोर जोर से चूसने लगा और वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी |

15 मिनट तक उसके दूध पीने के बाद मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा तो वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थी और मैं जोर जोर से चूत चाट रहा था और वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ सिस्कारिया भर रही थी | उसके बाद मैंने उसकी चूत 20 मिनट तक चाटा था तो वो कह रही थी कि अब चोदो न मुझे चोदो न मैं बहुत तड़प रही हूँ लंड लेने के लिए अब चोद दो मुझे और बुझा दो मेरी चूत की प्यास तो फिर मैं उसकी चूत में अपना लंड रगड़ते हुए अन्दर डाल दिया चूत गीली थी जिस वजह से मेरा लंड पूरा एक ही बार में अन्दर चला गया और मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा और वो मजे ले ले कर अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी | वो मुझसे बोल रही थी की मुझे जोर जोर से चोदो मेरी चूत को फाड़ दो मैं बहुत प्यासी हूँ तो मैं अपनी चुदाई के स्पीड बढ़ा दिया और उसकी चूत सह्लाताते हुए जोर जोर से चोदने लगा और वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी | उसके बाद मैंने उसकी चुदाई आधे घंटे र्त्रक किया था |

अब हम दोनों रोज ही चुदाई करने लगे और जब पापा घर आते थे बस तभी नहीं कर पाते थे | मैंने अपना राज़ राज ही रखा और मम्मी ने चुदाई वाला राज राज ही रखा था |

The Best Woman

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Sharon and I grew up in the same neighborhood and attended the same schools. It was always Sharon and Jason. She was all my firsts, eagerly taken, eagerly given. More importantly, she was the first woman who loved me and whom I loved. You never forget your first love. I’ll never forget Sharon. We pledged undying love to each other from the time we were thirteen.

Things change. After high school graduation, she went to Europe for the summer before attending a college back east. I was enrolled in our state university. Europe and back east was a ploy by her parents to separate us. I knew that the moment she told me. I was angry: angry at them for separating us and angry at Sharon for acquiescing to her banishment.

I loved her. And I loved sex with her. Sharon was hot, full of sexual energy and desire which she directed at the man in her life. I’d been that man since her sexual beginnings. I wanted to be that man forever. Back east, she found a new man, some guy she met at school. Eight weeks into the school year, she was pregnant and married. Sharon was gone from my life.

I pledged a fraternity during rush week. It became the basis of my social life. I wasn’t looking for a life partner or any other term denoting a female acquired for a lifetime. I had a strong interest in dating and sex. Fortunately, the upperclass women dating my fraternity brothers made it their business to arrange dates for any important event. They defined important as any block of time not occupied by class. I was in full swing on the dating scene two weeks after I pledged.

By my junior year, I was pursued as a good date, fun and with no commitment hassle. I always had a date, sometimes dating two or three women at a time. It was excellent practice in scheduling if nothing else.

Each fall, the fraternity held “mixers,” inviting newcomers to meet the fraternity brothers. The mixer was held jointly with a sorority. They invited the females. It was always a lively party and a great way to meet people of both sexes.

Debbie was at the first mixer my junior year.

She was in the big party room in the basement dancing with some freshman who looked like Tom Cruise. The first thing I noticed was her face. It was expressive and beautiful. She wore a short, tight, red skirt which accentuated her beautiful ass and legs. The skirt left little to the imagination, although I was visualizing her without it. Other dancers flowed by, blocking my view and ending what I’d planned as an extended evaluation. The next time I looked for her, she was gone.

After the party, a bunch of us went to the campus hangout for pizza. Debbie was there, but without the Cruise look alike. Cheryl saw me looking at her.

“Want an introduction, Jason?” she asked sweetly.

“Oh, ummm, no, thanks anyway, Cheryl.”

“Well, just let me know.”

Cheryl Jacobson dated Ralph Winston, our fraternity president. This made her our unofficial “first lady”, a nonexistent function she took seriously. She viewed part of her imaginary job as yenta, which for non-Yiddish speakers is a matchmaker. That wasn’t bad for us guys in the fraternity. Cheryl knew every good-looking girl in all the best sororities. She did have a knack for being a yenta. She had introduced several couples who were going to try to make a lifetime of it. Cheryl knew of my predilection for noninvolvement and some of the reason why. She’d let me cry on her shoulder once or twice.

As the semester progressed, I’d see Debbie at the parties, which I attended with religious fervor. Don’t think I wasn’t dating or getting laid. This story isn’t about my sexual escapades. This is about a special woman and love.

Debbie was fun and positive, quickly developing the reputation as a great date. I don’t mean sex. She was nicknamed “no deal Debbie.” I mean the guys who went out with her always felt she was special and she made them feel special.

When we bumped into each other, Debbie and I talked. We started as all couples do: exploratory inanities leading to deeper discussions which revealed ourselves except what we held dearest. From the beginning, I felt comfortable with her.

Cheryl called me one morning before class.

“Jason, there’s someone I want you to meet. Be at The Corner Shoppe at twelve thirty and we’ll have lunch.”

“I’ve got a class then, Cheryl, but thanks.”

“Jason, I know your schedule. Your last class ends at eleven. I’ll see you there promptly at twelve thirty.”

Cheryl was a good yenta. It was hard to tell her ‘no’. I arrived at the small cafe just off campus at the appointed hour. She saw me coming and met me half way.

“This girl’s something special. I’m sure you’ll like her, Jason.”

She held my hand in a bear-trap grip as she dragged me toward the table.

It was Debbie. She had a funny expression as I sat down. Cheryl excused herself, leaving us alone. It was our first time together.

“If you want to leave, you can. It’s unfair for me to trap you like this, but… ”

I blushed, although why an adult male would blush in this situation is beyond me.

“…why haven’t you asked me for a date?” she asked, her eyes piercing mine.

Maybe it was because I’d held my feelings in so long, sharing only a little with Ralph and Cheryl. Maybe it was Debbie. I felt she honestly wanted to know about me. Maybe it was me, feeling differently about her than any woman I’d met. Whatever it was, I told her. I told her about me. About Sharon. About everything.

She listened intently. She did want to know me. She began talking about herself, letting me know her. Lunch passed into dinner, daylight into dark. We left the restaurant to wander the campus, sitting in this building or on that bench, lost in each other. Somewhere I took her hand. Energy flowed between us.

Debbie was unlike any woman I’d dated. She was sweet and feminine, soft and alluring. She was intelligent with a quick laugh. She also had a backbone of steel and a mental toughness. The combination was appealing.

We ended in the lobby of her dorm. Although men were in and out of the womens’ rooms at all hours, she didn’t invite me up. We kissed warmly. It was a perfect first kiss.

“I’d like to go out with you. Please call me,” she said.

“I will,” I promised.

I gave her three minutes to get to her room. I called from the pay phone in the dorm’s lobby and made a date for the following night.

As I walked to my car, I knew my life would never be the same. I don’t know if I realized it was love.

We began dating: movies, concerts, pizza, and, most often, going somewhere to talk. I didn’t push her sexually, which surprised me. I found out much later, it surprised her, too. For two months the relationship ripened yet still we only kissed.

Then, one day, I had to have her. After making sure my roommates would be out, I took her to my apartment. As I led her toward the bedroom, she stopped me.

“Jason, let’s stay in here.”

“Why?”

“If I go in there with you, we’ll make love. I’m not ready for that. Oh, I’m ready physically. I want you.” She blushed as she stammered out, “I’m not a virgin, but I promised myself I’d be celibate until… Please, stay in here.”

Over the next two weeks, we made increasing progress in the mating ritual. Debbie had luscious breasts, tender, sweet and sensitive. She had delicious thighs, soft yet firm. Debbie had everything.

One night, we planned to go to a movie, but she suggested we go to my place.

“Can we talk?” she asked. I had never seen an expression like hers. It was love, wanting, adoration, desire and warmth all rolled into one. She sat on the couch and took my hands in hers.

“Jason, I know you want me. I want you every bit as much. I want to feel you in me. And I want more. I want forever. I love you.”

She waited as I digested what she had said. Her statement surprised me. I don’t know why. It was obvious she loved me. I loved her, too.

“If you ask me to, I’ll come to you now. But please, let’s wait. I’ll joyfully come to you when you’re ready for forever.”

The next week I took her home to meet my parents. I met her parents when they visited her on campus. A few weeks later, she cooked a wonderful dinner at my apartment. Afterward, we sat on the couch, sipping wine. Her feet were in my lap.

“I’m ready,” I said. She froze and a strange look came over her face.

“For what?” she asked, her voice tight.

“For forever. I love you, Debbie. Will you marry me?”

She quivered, red faced with tears rushing down her cheeks. Then she exploded, landing on me, burying me in hot, hard kisses. She madly unbuckled my belt and yanked down my trousers.

“Thank god,” she muttered hotly, “I finally get you in me.”

She stood and dropped her sweat suit and panties. She fell back on the floor, pulling me between her legs.

“Fuck me good, Jason. I’ve waited a long time for this.” She thrust against me, pleading, “Fuck me, Jason. Oh, yes. Yes.”

We fit together perfectly.

When round one was over, I carried her to the bedroom. We fucked until I couldn’t stand. As she lay in my arms, I said, “I take that as a yes.”

“Yes, my love. I’ll marry you,” she whispered.

We lived together my senior year and married after my graduation. Our life was a continual honeymoon, blessed with children in our third and fifth years of marriage.

When I got the announcement of my tenth high school reunion, I was excited about going. I wanted to see my old friends and I wanted to show off Debbie. Everyone was there: all the guys, all the girls. We laughed at the changes: baldness, pot bellies, spare tires, wrinkles. We were growing older, but I thought we still looked good.

Sharon was there, too. She looked like a wet dream. She was across the big ballroom when I spotted her.

“Is that Sharon?” Debbie asked, her fingers tight around my arm.

“Yes. How could you tell?”

“Women know these things, Jason.”

In a few minutes, Sharon was beside me. She was bubbling and lively. She was divorced. She was very interested in me. Debbie watched her like a hawk.

As we talked, my old desires for Sharon flared. As much as I loved Debbie, Sharon turned me on. Way on. I felt guilty as hell, but there it was: I wanted Sharon.

When Sharon left, Debbie’s eyes burned into me. “Jason, we’ve never lied to each other. Trust is very important.” She hesitated. Her nails dug into my arm. “She turns you on, doesn’t she?”

“Yes, she turns me on. But, honey… ”

She covered my lips with hers.

“It’s okay. I understand.”

If Debbie was upset by Sharon, it didn’t show. She had a wonderful time. Later, I saw the two of them talking. The hair on my neck stood up. Whatever could they be discussing? Debbie walked back to me with a smile on her face.

“Everything all right?” I asked.

“Of course. Ready to go?”

“It’s a little early.”

“Let’s go now, honey,” she replied. I followed her toward our room. Her strange expression made me anxious. She held out her hands for me to join her after I closed the door.

She said, “Jason, Sharon’ll be here in a few minutes. I invited her to have sex with us.”

My mouth flopped open and shut like a fish. “Why?” I gasped.

“You want her.” Her tone was matter-of-fact.

“I don’t understand,” I said plaintively.

“Jason, I’m the woman for you. Not her. I love you more than she ever could.” She watched me intently. Then, a devilish little twinkle appeared. “I’m better in bed than she is, too. Fucking her will extinguish that old flame forever.”

“Debbie, we don’t need to do this. I’m very happy… ”

Again she silenced me with a kiss. Debbie was ruthless in doing those things very important to her. I saw that look in her eye. There would be no changing her mind.

When Sharon knocked, Debbie let her in. The air was electric. Sexual energy flowed from Sharon. I was so tense I was afraid I’d shatter into a thousand pieces. But Debbie was calm. We made small talk as we sipped wine.

During a lull in the conversation, Debbie said pleasantly, “Why don’t we get comfortable?”

Casually, she began unbuttoning her blouse. I didn’t believe this was happening. As Debbie removed her blouse, Sharon began to undress.

“Come on, Jason. Join us,” Debbie said as she lowered her panties and kicked them into the corner.

It was unreal, a Twilight Zone experience. I feared Debbie would run screaming from the room when I undid my belt. But she watched me disrobe without comment or embarrassment. A little smile was on her face. Sharon, too, seemed unembarrassed, although she was very excited. My heart was pounding out of my chest.

It was strange seeing Sharon naked again. Her figure was lean and taut, a dancer’s body with small breasts. Next to Debbie’s lushness, she was almost boyish.

Debbie pulled me beside her and put Sharon’s hand in mine. She sat on the edge of the bed and said, “I want you to enjoy each other. I’ll watch. It’s okay. Go ahead, Jason.”

Sharon was wild and wanting. I was wilder. We fell on the bed. The foreplay was short and intense before I slipped into her flowing wetness. I could see Debbie from the corner of my eye.

Sharon sweated and moaned and bucked under me. Sharon was good, damn good. She came and came again. The tightening in my ass told me my orgasm was on the way. As I started to explode in Sharon, Debbie whispered in my ear, “I love you, Jason. I love you.” My head jerked toward her. She kissed me as the last of my cum fired deep into my old flame.

I collapsed on Sharon. We were sweat covered and exhausted. I felt soft cotton on my back. Debbie was wiping away my sweat with a towel. When I rolled over, Debbie dried my cock gently. Sharon, legs splayed, watched her. As if doing nothing more ordinary than wiping the kitchen counter, Debbie began drying Sharon’s body. She started at the top. I tried to watch both their faces as Debbie dried Sharon’s breasts.

Sharon was peeved as Debbie approached her pussy.

“Look, Debbie. Like this. You’ll recognize the taste,” she said. She extended a finger to collect a drop of cum from her lower lips. Arrogantly, she sucked it away.

Anger flashed for an instant from Debbie, but she smiled as she jammed two fingers up Sharon, making her gasp. Leisurely, Debbie licked her fingers.

“You’re right. But – it’s better when it comes from me,” Debbie said sweetly. She began drying again. Sharon’s mouth hung open.

When she thought we were sufficiently dry, she offered to get us each a drink. Humming quietly, she brought them to us.

“Well, you two were something,” Debbie said. “Did you enjoy that, Jason?”

“Yes,” I replied honestly.

“Good. I’m glad you did,” she said.

With Sharon on one side and Debbie on the other, we talked about ourselves. Debbie was an effective inquisitor. Sharon told us about her two children. The second was by another man and caused her divorce. She seemed embarrassed by her unexpected revelation. Debbie talked about our lives and our two children. She was so proud of them my chest puffed out for us.

My cock was twitching again. My adrenalin started to pump. I knew what was coming and I wanted it. Debbie saw my rising member. She stroked it lightly with her fingertips.

When I was hard again, she asked, “Ready, sweetheart?”

“Yes,” I answered.

“My turn,” she said and lay back on the bed.

As I knelt between Debbie’s legs, every fiber of my being was attuned to her. Debbie trapped me with her knees and held my face in her hands. Time crawled as we neither spoke nor moved. The depth and strength of her love brought tears to my eyes and pounding in my chest. Finally, she spoke with feeling too intense to describe.

“Jason, I love you more than any woman has ever loved you. I love you more than any other woman ever will. I’ll never leave you, or have another man or his child. I’m the best wife any man ever had. I’m your wife. Yours. Yours alone.”

She kissed me. Angels screamed and bells gonged. There was a sensual gleam in her eye when she broke the kiss.

“And, I’m the best fuck you can imagine. I’m going to fuck you as you’ve never been fucked in your life.”

Her hand slipped down to guide my raging cock into her wetness. Slowly, we began to move together. Softly but intently, she continued whispering she was my love, the best, that nobody wanted me more, nobody could do for me what she could.

I’d never been so emotionally engaged. My world was her: her feel and her pussy; her words and her face. I forgot Sharon was there. I wanted this feeling to last forever, but the pressure was building. Debbie pulled my head down by hers and wrapped her arms around me. Her legs scissored, holding me tightly against her.

She implored, “Harder! Fuck me as only you can! Fuck me, Jason! Give me your seed!”

I was a fucking machine and she thrust against me with every stroke. Her thighs crushed me. Her nails dug into my shoulders, blood oozed from the cuts. I exploded with an emotional and physical intensity I’d never felt.

Sharon dressed as I lay inert, too drained to move. Debbie was naked, sitting beside me, gently stroking my cock.

“I wasn’t trying to take him, you know,” Sharon said.

“Yes you were. But you can’t. He’s mine,” Debbie replied.

They glared at each other until Sharon looked away, red with embarrassment. Debbie’s voice was unemotional when she said, “I wasn’t afraid of you taking him, but he had strong memories of you. I didn’t want him to go through life wondering if he made the right choice. He needed to know, not wonder. He needed to know I’m the best woman.”

Sharon started to speak. Something in Debbie’s face stopped her.

“Good night, Sharon,” Debbie said.

Sharon realized she’d been dismissed. She mumbled her goodbyes and closed the door quietly behind her. Debbie lay against me, her breath hot on my neck.

“The old flame gone?” she asked.

“Forever.” She snuggled closer.

“You’re the best woman – the only woman – for me.”

She giggled and sat up. Her eyes were happy and bright.

“I’m glad you learned that today, but I already knew it.”

Her face changed from victorious to a soft, loving tiredness as the tension of the evening flooded from her. Tears rolled down her cheeks.

“Please, Jason. Make love to me. Then, let me sleep in your arms.”

चाची की सहेली की आग बुझाई

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हाय दोस्तों, मैं आपका दोस्त विक्की फिर से हाज़िर हूँ आपको अपनी एक और नई कहानी बताने | अगर आपने मेरी पिछली नहीं पढ़ी है तो उसको जरुर पढ़े जिसमे मैंने बताया कि कैसे मैंने चाची को चोदा और उनको माँ बनाया | और जिन्होंने मेरी पिछली पढ़ी है उनको मैंने वादा किया था कि मैं आपको बताऊंगा की मैंने कैसे अपनी चाची की सहेली को चोदा | तो बिना किसी बकचोदी के मैं अपनी कहानी पे आता हूँ और आपको बताता हूँ कैसे मैंने चाची की सहेली की वीरान ज़िन्दगी में रंग भरे |

जैसा की मैंने पिछली कहानी में आपको बताया कि मैंने अपनी चाची को कैसे चोदा और कैसे हमारे बीच शारीरिक सम्बन्ध बना | मैं और चाची जब भी मौका मिली चुदाई मचा लिया करते थे और मज़े ले लिया करते थे | हम दोनों कभी कभी बाहर साथ घूमने जाया करते थे और चुदाई मचा के वापस आ जाया करते थे | एक बार मैं बाहर जाने को हुआ तो चाची ने मुझ से कहा कि विक्की कहाँ जा रहे हो ? तो मैंने कहा कहीं नहीं चाची बस ऐसे ही | तो चाची ने कहा मुझे थोडा मेरी सहेली के यहाँ तक ले चलो ज्यादा देर नहीं लगेगी | तो मैंने कहा हाँ ठीक है चलो और हम दोनों घर से निकल गए |

रास्ते में जाते वक़्त चाची पीछे से मेरे लंड पे हाँथ लगा रही थी और मैं चाची के दूध का एहसास अपनी पीठ पर कर रहा था | फिर मैंने कहा चाची हाँथ हटाओ किसी ने देख लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी | तो चाची ने कहा अच्छा देख लेने दो और फिर अपना हाँथ हटा लिया | थोड़ी देर में हम चाची की सहेली के घर पहुँच गए तो मैंने कहा ठीक है चाची मैं जाता हूँ जब चला हो तो मुझे फ़ोन लगा लेना | तो चाची ने कहा कहाँ जायेगा ! बस अपने दोस्तों के साथ अवारागिरी करेगा, चल मेरे साथ मैं अपनी दोस्त से मिलवाती हूँ तुझे | तो मैंने कहा मैं क्या करूँगा उससे मिल के, तो चाची ने मेरा हाँथ पकड़ा और मुझे खींच के अन्दर ले गई |

मैं अन्दर जाते समय सोच रहा था कि अन्दर ऐसा कौन मिल जायेगा मुझे, मेरे को चले ही जाना था | फिर जैसे ही चाची की सहेली ने दरवाज़ा खोला तो चाची की सहेली को देख कर मैं हैरान हो गया और मेरे मैंने मन में बोला बहनचोद, मैं इसे छोड़ कर जा रहा था अच्छा हुआ चाची ने मुझे रोक लिया | उस वक़्त मुझे चाची पे और प्यार उमड़ने लगा | चाची कि सहेली बहुत मस्त लग रही थी मेरी चाची से भी ज्यादा अच्छी | फिर मैं अन्दर गया और हम सोफे पे बैठ गए | हम चाय पे रहे थे तभी चाची की सहेली जिसका नाम सुनैना है, उसने चाची को इशारा किया कि मुझे कुछ प्राइवेट बात करनी है ज़रा कहीं अकेले में आओ | तो चाची ने कहा बोल दो ये भी अपना ही है मेरे और इसके बीच में कुछ भी प्राइवेट नहीं है |

तो सुनैना ने कहा कि ये थोड़ी अलग बात है और इसके सामने मुझे शर्म आ रही है | तो चाची ने कहा अरे शर्म छोडो, हम दोनों तो क्या क्या करते हैं तुम्हें नहीं पता ? तो उसने हैरानी से मेरी तरफ देखा और फिर चाची की ओर नज़रें घुमा कर कहा उतना तो नहीं करते होगे | तो चाची ने मुझे पकड़ा और किस कर दिया | अब सुनैना का मुंह फटा रह गया और वो हमारी तरफ हैरानी से देखने लगी | तभी चाची ने कहा ठीक है इतना कि और करके बताऊँ ? तो उसने कहा बस मैं समझ गई | तो चाची ने कहा ठीक है अब बताओ | तो सुनैना ने कहा मेरे पति ज्यादातर बाहर रहते हैं और जब भी आते हैं मुझे बहुत काम समय देते हैं और मुझे चोदते भी कभी कभी ही हैं |

तो चाची ने पूछा उनका कितना बड़ा है तो सुनैना ने अपनी ऊँगली से अपने पति के लंड का नाप बताया | तो चाची हसने लगी और कहा मेरे पति का तो और भी छोटा है | तो उसने चाची से पूछा कि तुम खुश कैसे रहती हो फिर ? तो चाची ने मेरे कंधे पे हाँथ रखा और कहा ये है ना | तो सुनैना ने पूछा अच्छा इसका कितना बड़ा है | तो चाची मेरे लंड पे हाँथ रखा और कहा ये तो तुम देख के बताना कितना बड़ा है | फिर मैं और सुनैना एक दुसरे को एक टक देखने लगे | फिर चाची ने कहा बस देखना शुरू हो गया अब आगे क्या ? तो सुनैना उठी और मेरे पास आने लगी तो चाची ने कहा इतना आसान नहीं है इससे चुदना, पहले इससे भी तो पूछ लो ?

तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा प्लीजजज्ज, तो मैंने सोचा चलो थोडा परेशान कर लेते है | तो मैंने कहा अच्छा मैं अपना आपको दे दूंगा तो मुझे क्या मिलेगा ? तो उसने कहा तुम्हें मेरी मिलेगी | तो मैंने चाची की तरफ देखा और मुस्कुराने लगा | तो उसने कहा अच्छा नहीं करना तो रहने दो | तो मुझे लगा अबे मेरा प्लान मुझी पर उल्टा पड़ रहा है | तो मैंने कहा अरे मैं तो ऐसे ही बोल रहा था वैसे आपको चोदने का मन तो मेरा तब से कर रहा है जब से मैंने आपको देखा है | तो उसने पूछा कब से देखा है तुमने मुझे ? तो मैंने कहा अभी देखा है और मेरा मन बन गया | फिर चाची ने कहा अब खड़े मत रहो शुरू हो जाओ |

तो वो मेरे पास आई और मेरी जीन्स के ऊपर से मेरे लंड पे हाँथ फिरने लगी और कहने लगी ये तो मुझे बहुत बड़ा लग रहा है | फिर उसने मेरी जीन्स की ज़िप खोली और मेरी चड्डी नीचे करके मेरा लंड बाहर निकला | जैसे ही उसने मेरा लंड बाहर निकाला तो उसने अपने मुंह पर हाँथ रख लिया और फिर कहा बाप रे! इतना मस्त लंड है तुम्हारा और तुम्हारी चाची इसे अब लाई है मेरे पास, मैं इसे कब से कह रही थी कि मुझे कोई ऐसा ही लंड चाहिए | तब जाके मेरे दिमाग में बात घुसी कि मैं यहाँ आया नहीं हूँ, मुझे लाया गया है और ये एक सोची समझी साज़िश है | फिर उसने मेरा लंड पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगी तो मैंने चाची को पास बुलाया और उनको किस करने लगा |

फिर वो मेरा लंड चूसने लगी और वो मेरा लंड बहुत ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी जैसे की पहली बार ऐसा लंड मिला है | फिर वो उठी और अपने कपडे उतारने लगी, तो मैंने कहा रुको और चाची से कहा कि चाची तुम भी जाओ और दोनों एक दुसरे के कपडे उतारो | चाची भी जल्दी से उठी और सुनैना के पास चली गई | चाची सुनैना के पास गई और दोनों किस करने लगे तो मुझे लगा बेटा, ये दोनों तो लेस्बियन है | फिर दोनों ने एक दुसरे के कपडे उतारना शुरू कर दिए और मैं देख कर मज़े ले रहा था और अपना लंड पकड़ के हिला रहा था | सुनैना चाची से ज्यादा गोरी थी और उसके दूध चाची के बराबर ही थे | जैसे ही उसने अपने कपडे उतारे मैंने इतनी ज़ोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया जिससे मेरा वहीँ छूट गया |

फिर मैं उनके पास गया और सुनैना के होंठों को चूमने लगा | मुझे उसके होंठ चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था और चाची पीछे से मेरा लंड पकड़ के हिला रही थी तो मेरा मज़ा दुगना हो गया | फिर मैंने उसके दूध को चूसा और खूब दबाया और उसमें से दूध भी निकल रहा था तो मैं दूध से दूध पीने लगा | फिर मैंने सुनैना को सोफे पे बैठाया और खुद घुटने के बल बैठ गया | फिर मैंने उसकी चूत पे अपना लंड रखा और अन्दर डाल दिया | सुनैना ने ज़ोर से चीख दिया और सोफे को कसके पकड़ने लगी | फिर मैंने सुनैना को थोड़ी देर चोदा और फिर चाची को सुनैना को ऊपर बैठा दिया और वहीँ पर चाची कि भी चूत मारी | लेकिन सुनैना की चूत चाची की चूत से ज्यादा टाइट थी और साफ़ भी |

फिर मैंने चाची को हटा दिया और सुनैना को पलटा के लिटा दिया | फिर मैं सुनैना के ऊपर लेट गया और फिर उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत चोदने लगा | चाची वहीँ सोफे पे बैठ के अपनी चूत रगड़ रही थी | फिर हमने एक करवट ली और फिर हम लेटे लेटे चुदाई करने लगे | फिर जैसे ही मुझे लगा कि मेरी निकलने वाला है तो मैंने उससे कहा कहाँ गिरा दूँ ? तो वो बोली अन्दर ही गिरा दो और फिर मैंने अन्दर ही अपना माल झडा दिया | जैसे ही मेरा माल अन्दर गिरा वो पीछे घूमी और हम दोनों किस करने लगे |

फिर हम उठे और कपडे पहन लिए | फिर सुनैना ने कहा मुझे तुम अपना नंबर दे दो मैं जब भी कॉल करूँ आ जाना और ऐसे ही मुझे चोदना | फिर सुनैना ने चाची की तरफ देखा और कहा यार ये तो सच में बहुत बढ़िया है | तो दोस्तों कैसी लगी ये वाली स्टोरी और अगर मैंने कोई और नई चुदाई की तो आपको जरुर बताऊंगा |

अपनी चाची को बनाया माँ

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हैल्लो दोस्तों मैं हूँ आपका यार विक्की और आज मैं आपको अपनी चुदाई की एक दास्ताँ बताने जा रहा हूँ जिसमे मैंने अपनी चाची को चोदा था | मैं आपको पहले अपने बारे में बता दूँ, मैं गुजरात का रहने वाला हूँ और मेरे घरवालों का कपडे का कारोबार है | हमारे घर में मेरे मुम्मी पापा चाचा चाची बुआ फूफा और दादा दादी सब मिल कर एक ही घर में रहते है लेकिन कमरे अलग अलग हैं | अब ज्यादा बकचोदी न करते हुए मैं सीधे कहानी पर आता हूँ और आपको बताता हूँ कैसे मैंने अपनी चाची को चोदा था |

कहानी शुरू होती है तब से जब मेरे चाचा की शादी को पांच साल हो गए थे और उनके बच्चे नहीं थे और वो लोग बच्चा गोद लेने की सोच रहे थे | लेकिन हमारी दादी ने मना कर दिया था | ऐसे ही कभी मैं चाची के दूध देखा करता था जब भी वो झुकती थी | मैं कभी कभी होली पे चाची को रंग लगाने के बहाने उनके दूध छुआ करता था और कभी तो उनकी ब्रा पैंटी सूंघ कर मुट्ठ मारा करता था | मेरा चाची को चोदने का बहुत मन करता था लेकिन मुझे मौका नहीं मिल पता था | मैंने एक बार चाची के कमरे की खिड़की से झाँका तो मैंने देखा था तो चाची अपने कपडे बदल रही थी और उन्होंने सिर्फ पेटीकोट पहना था और उनके दूध मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे |

चाची के दूध बहुत गोरे थे और बड़े तो बहुत थे और उनके ऊपर काले निप्पल देख कर तो मुझे मज़ा ही आ गया था | मैंने तो उस दिन तीन बार मुट्ठ मारा था वही सोच सोच के | चाची जब भी बाहर जाती थी तो मैं उनके कमरे में जाकर उनकी पैंटी सुंघा करता था | ऐसे ही एक बार मैं चाची क कमरे में उनकी पैंटी सूंघ रहा था तो एकदम से चाची आ गई और मुझे पीछे से देखा और कहा अरे ! विक्की कुछ काम था क्या ? तो मैंने पैंटी वहीँ फेक दी और चाची ने मुझे फेकते हुए देख लिया लेकिन कुछ नहीं कहा और फिर मैं वहाँ से चला गया |मुझे लगा था कि चाची मुझसे गुस्सा हो जाएगी लेकिन चाची मुझे और फ्रैंक हो गई |

अब चाची मेरे को हाँथ पकड़ कर अपने पास बैठा लिया करती थी और बातें किया करती थी | चाची मुझसे पूछती रहती थी शादी कब करोगे और तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या ? मुझे कभी कभी समझ नहीं आता नहीं था कि आखिर चाची ये सब पूछ क्यूँ रही है ? फिरएक दिन चाची ने मुझसे पूछा तुमने कभी वो किया है ? तो मैंने पूछा वो क्या ? तो चाची ने मुंह घूमते हुए कहा वही, तो मैं समझ गया और कहा नहीं चाची नहीं किया | तो चाची बोली मतलब अच्छे लड़के हो | तो मैंने कहा हाँ चाची अच्छा हूँ | एक बार मेरे मम्मी पापा और चाचा को किसी फंक्शन में गए हुए थे | उस दिन खूब बारिश हो रही थी और बिजली चमक रही थी चाची ने मुझे अपने साथ सोने के लिए बुला लिया |

रात को मैंने हाँथ सीधा किया और थोड़ी देर बाद चाची ने करवट ली तो चाची का दूध मेरे हाँथ पर आके रख गया और मेरी नींद तो वैसे ही टूटी हुई थी | जैसे ही चाची का दूध मेरे हाँथ आके रखा तो मेरी आँखें पूरी तरह से खुल गई और मैंने सोच की अब क्या करूँ ? तो मैंने थोड़ी देर अपना हाँथ वहीँ रहने दिया और थोड़ी तक चाची ने कोई हरकत नहीं की तो मुझे लगा चाची की अच्छी नींद लगी है मौके का फायदा उठा लो | तो मैं धीरे धीरे चाची के दूध दबाने लगा | तभी चाची ने मेरा हाँथ पकड़ लिया तो मेरी गांड फट गई और चाची ने कहा मत करो सोच जाओ जिगर (मेरे चाचा का नाम) | मुझे लगा चाची नींद में हैं और मुझे चाचा समझ रही है, तो मैं चुपचाप सो गया |

फिर कुछ दिन बाद फिर से मेरे घरवाले बाहर चले गए और मैं और चाची ही घर पर थे | मैं अपने कमरे में सो रहा था जैसे मेरी नींद हलकी सी खुली तो मैंने देखा कि चाची आ रही है | तो मैं फिर से सोने का नाटक करने लगा | मैंने अपना पजामा उता और मेरा लंड तो खड़ा ही था तो मेरे लंड का उठाव कम्बल से दिख रहा था | जैसे ही चाची मेरे पास आई और मुझे उठाने लगी और मैं नहीं उठा तो वो उठी और बोली शायद गहरी नींद में है, सोने दो | फिर एकदम से मुझे आवाज़ आई इसका तो बड़ा लग रहा है देखूँ क्या, अगर उठ गया तो ? तो चाची ने मेरा कम्बल उठाया और मेरा लंड देख कर कहा वाह ऐसा लंड तो इसके चाचा का भी नहीं है, अगर ये मेरी में जाये तो मज़ा ही आ जाये | तो चाची ने कम्बल हटा दिया और मेरे लंड पकड़ के हिलाने लगी और बोल रही थी कि मेरे उठाने से नहीं उठा तो इससे क्या उठेगा ? लेकिन चाची को नहीं पता था कि मैं तो नाटक कर रहा हूँ |

मैं एकदम से उठ गया और चाची की तरफ हैरानी से देखने लगा | चाची ने मेरा लंड हाँथ में पकड़ा था और मेरी तरफ देख रही थी | तो मैंने कहा ये क्या कर रही हो चाची ? तो चाची ने कहा बदला ले रही हूँ | तो मैंने पूछा कैसा बदला ? तो चाची ने कहा उस दिन जब रात को तुमने मेरे दूध दबाये थे | मैं हैरान रह गया और चाची ने मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया | जब चाची अपने कोमल हांथों से मेरा लंड पकड़ कर हिला रही थी तो मुझे अन्दर से बड़ी ख़ुशी हो रही थी | फिर चाची ने मेरे लंड को चांटा और मुंह में डाल लिया | जैसे ही चाची ने मेरा लंड अपने मुंह में डाला तो मुझे तो जन्नत ही नज़र आ गई | फिर चाची ने मेरा लंड चूसा और मेरा छूट गया |

फिर चाची उठी और जाने को हुई तो मैंने चाची का हाँथ पकड़ के कहा अब मेरी बारी है | फिर मैंने चाची को पकड़ा और उनके होंठ चूमने लगा | चाची के होंठ बहुत ही प्यारे थे और मुझे उनका रस चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था | फिर मैंने चाची को लिटा दिया और उनके ऊपर लेट कर चुम्मा चाटी करने लगा | चाची भी मेरे साथ बराबरी से चुम्मा चाटी कर रही थी और पुरे मज़े ले रही थी | फिर मैंने चाची के ब्लाउज के हुक खोले और ब्रा उठा दिया | चाची के दूध बहुत बड़े थे और दबाने में मेरे पुरे हाँथ में समां रहे थे इसलिए चाची के दूध दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था | फिर मैंने चाची के दूध को मुंह से लगाया और चूसने लगा |

चाची ऊउम्मम्म ऊऊम्म्म्म कर रही थी और कह रही थी और चुसो विक्की, तो मैंने चाची के निप्पल कटाने शुरू कर दिए | अब चाची गरम होने लगी थी तो मैंने चाची की साड़ी उतार दी | और जैसे ही मैंने उनकी पेटीकोट का नाडा खोला और उतारने लगा तो उनके ग्रे और चिकने पैर देख के मेरा लंड और जमके के खड़ा होने लगा | चाची ने नीले कलर कि पैंटी पहनी थी और वो नीचे से थोड़ी दी गीली हो गई थी | फिर मैंने चाची को चूमने लगा और उनकी चूत को उनकी पैंटी के ऊपर से घिसने लगा | मैंने चाची की चूत में हाँथ डाला और उनकी चूत को छुआ तो लगा कि जैसे नीचे आग लगी है | फिर मैंने चाची की पैंटी उतार दी और अब चाची मेरे सामने बिलकुल नंगी पड़ी थी | फिर मैंने चाची की चूत में ऊँगली की और फिर दोनों ऊँगली डाल दी |

फिर मैंने चाची के चूत पे रगड़ने लगा तो चाची ऊउम्म् आअह्ह्ह्ह करने लगी तो मैंने कहा अभी डाला नहीं है | फिर मैंने चाची की चूत में लंड डाल दिया तो चाची की आअह्ह्ह्ह निकल गई और चाची ने कहा तुम्हारे चाची का तो बहुत छोटा है और तुम्हारे चाचा मुझे संतुष्ट भी नहीं कर पाते | तो मैंने चाची को ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया और चाची दर्द भरी सिस्कारियां लेने लगी | मैं चाची को चोदे जा रहा तभी चाची ने कहा अब दुसरे तरीके से चोदो तो हमे पोजीशन चेंज की और फिर से चुदाई करने लग गए | मैंने चाची को करीब 20 मिनिट तक चोदा और फिर मैंने अपना दही चाची की चूत में ही झाडा दिया और फिर वहीँ चाची से लिपट के लेट गया | हम दोनों थोड़ी देर तक सोये और जैसे ही मैं उठा तो देखा कि चाची मुझे देख रही है तो मैंने फिर से चाची को चोद दिया | चाची ने मुझ से कहा इतनी बार चुदी लेकिन मज़ा तो आज आया है, असली चुदाई इसे बोलते है | अब चाची का एक बच्चा है और आपको तो पता है वो किसका है ?

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी दास्ताँ, वैसे मैंने एक बार चाची की सहेली को भी चोदा है लेकिन मैं वादा करता हूँ वो अगली कहानी में ज़रूर बताऊंगा 

दोनो मुझे चोद रहे थे और मैं दोनों तरफ से चुद रही थी

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मेरी उम्र 24 साल है, मैं एक प्राइवेट स्कूल में कंप्यूटर टीचर की पोस्ट पर हूँ, मुझ में जवानी कूट-कूट कर भरी पड़ी है, मेरी गोल मोल गांड, कसी हुईं छातियाँ किसी भी मर्द की नियत खराब कर डालें ! मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, मैं एक बहुत ही गर्म और चुदक्कड़ औरत हूँ। बिना लौड़े के मुझसे रहा नहीं जाता और मेरे पति मुझे हर रोज़ चोद नहीं पाते जिस वजह से मुझे गैर मर्दों की बाँहों का शृंगार बनना पड़ता है।
शादी से पहले से ही में एक चालू लड़की के तौर से जानी जाती रही हूँ, स्कूल के समय से ही मुझे चुदाई का चस्का लग गया था जो बाद में मेरी ज़रुरत बनता गया।
अच्छे-अच्छे लौड़ों से मैंने खूब चुदाई करवाई है और अब मैं आप सबको शादी के बाद का किस्सा सुनाने जा रही हूँ।
मेरा पति बहुत ढीला है, उसका लौड़ा भी कुछ ख़ास नहीं है। मैं जिस स्कूल में जॉब करती हूँ वो स्कूल बारहवीं कक्षा तक है।
जब मैं चलती हूँ तो मेरी गांड ऊपर नीचे हिलती है। मैं सूट भी भड़काऊ किस्म के पहनती हूँ। लड़कों की नज़र मेरी छाती और गांड पर आ टिकती है। जवान जवान लडके हैं, कई लड़के तो बिल्कुल नहीं डरते और कमेन्ट देने से परहेज़ नहीं करते।
उनमें से ही दो लड़के बारहवीं में पढ़ने वाले जिनमें से एक का नाम अखिलेश और दूसरे का अमितोज था, दोनों निहायत हरामी लड़के हैं। मैं उन पर फिदा हुई पड़ी थी, मुझे देख दोनों लौड़े पकड़ कर मसलने लगते और मुझे इशारा करते ताकि मेरा धयान उनके खड़े लौड़े पर जाए। कंप्यूटर लैब ज्यादातर खाली रहती थी।
एक दिन भगवान ने मेरी करीब आकार सुन ली।
उस दिन सुबह से ही तेज़ बारिश हो रही थी जिसके चलते बहुत ही कम छात्र स्कूल आये और काफी टीचर भी नहीं आ पाए। लेकिन मैं ज़रूर आई। मैं रेनकोट डाल कर आई थी फिर भी थोड़ी भीग गई थी। उनकी क्लास में से सिर्फ चार बच्चे आये, वो दोनों और दो लड़कियाँ !
वो दोनों लड़कियाँ तो क्लास में बैठी रही, मैं भीग गई थी इसलिए लैब में बैठी हुई थी।
कंप्यूटर लैब बिल्कुल अलग थी, बीच में पूरा मैदान पड़ता है, बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी, वो दोनों वहाँ आ गए !
उनको लैब में देख मेरा दिल कुछ करवाने का था- तुम दोनों यहाँ ?
हाँ ! मेरी जान ! तेरे लिए आये हैं !
दोनों मेरे पास आये, मैं खड़ी हो गई, एक मेरे पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा मेरी गर्दन पर तो मैं गर्म होने लगी। दूसरे ने आगे से मेरे सूट में हाथ घुसा कर मेरा मम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा।
अह उह ! मेरा हाथ कहाँ रुका? नीचे उसके लौड़े पर जाकर रुका। मैंने उसका लौड़ा मसला !
पीछे वाले ने मेरी कमीज़ उतार दी।
मैंने कहा- कोई आ जाएगा ! सही जगह नहीं है राजा !
वो बोले- सही जगह कहाँ है?
उसने मेरी ब्रा भी उतार दी और दोनों एक एक चुचूक चूसने लगे। मैंने दोनों के लौड़े उनकी पैंट से बाहर निकाले और मुठ मारने लगी।
वाह मैडम ! वाह ! क्या मम्मे हैं आपके !
मैं एक एक करके दोनों के लौड़े चूसने लगी।
तभी स्कूल की घण्टी बजी।
मैंने उन्हें कहा- मैं आधे दिन की छुट्टी लेकर घर जा रही हूँ ! मेरे पीछे पीछे बाइक लेते आना ! अपनी बाइक मेरे घर के काफी आगे लगाना और पिछले दरवाजे से आना !
मैंने पिछला दरवाजा खोल दिया और दोनों अन्दर आ गए और मुझे दबोच लिया।
मेरा एक-एक कपड़ा उतार फेंका, मुझे नंगी रांड बना मेरे मम्मों पर टूट पड़े, साथ-साथ मेरी चूत में उंगली करते रहे।
अह ! उह ! कमीने ध्यान से कर !
भोंसड़ी की ! मादर चोद ! बहुत मटक मटक चलती थी स्कूल में ! आज टाँगें चौड़ी करवाएंगे तेरी !
अह अह !
पूरी नंगी दोनों के बीच लेटी हुई थी मैं !
मैंने उनके लौड़े निकाल लिए और बारी-बारी मुँह में लेकर चूसने लगी। वो साथ में मेरी चूत चाट रहे थे और कभी मेरा मम्मा चूस लेते !
मैं पूरी रंडी बन चुकी थी। कितने दिनों बाद दो मर्द एक साथ मेरे ऊपर सवार थे !
मोटे-मोटे लौड़े !
मैं तो धन्य हो गई थी !
अह ! ओह ! मैंने टाँगें खोल दी !
उसने मेरी चूत में लौड़ा घुसा दिया और चोदने लगा। साथ साथ मेरी गांड में उंगली करते-करते !
एक लौड़ा मेरे मुँह में था, एक चूत में ! कुछ देर चुदवाने के बाद मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी तरफ पीठ करके थोड़ा थूक अपनी गांड पर लगाया और उसके लौड़े को अपने छेद पर रखते हुए नीचे बैठती गई और देखते ही उसका पूरा लौड़ा अन्दर ले गई।
दोनों हैरान हुए देखते रहे ! मैं पक्की रंडी बन चुद रही थी। उसका लौड़ा आराम से मेरी गांड के अन्दर-बाहर हो रहा था, दूसरे का मेरे होंठों में प्यार से चल रहा था।
गांड चूत से कसी होने की वजह उसे भी मजा आ रहा था।
मैंने दूसरे को अपने ऊपर आने को कहा।
वो दूसरे की जांघों पर बैठ गया और मैंने अपने हाथ से पकड़ उसका लौड़ा अपनी चूत पर रखते हुए खुद को आगे खिसकाया तो उसका टोपा चूत में घुस गया। बाकी का काम उसने खुद किया और अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया।
दोनों तरफ से चुद कर मुझे बहुत मजा आने लगा। इस तरह से मैं शादी से पहले चुदी थी कई बार ! और आज फिर से दोनों झटके मार-मार मुझे चोद रहे थे और मैं चुद रही थी।
अह ! अह ! अह ! अह ! उसने चूत से निकाल लिया और नीचे वाले ने मुझे पकड़ अपने नीचे लिटा मेरे ऊपर सवार हो गया। टाँगें उठा कर उसने मेरी गांड मारी और अपना सारा माल मेरी गांड में भर कर वही ढेरी हो गया।
दूसरे ने जल्दी से मेरे ऊपर सवार होकर मेरी चूत में घुसा दिया और उसने भी रफ़्तार पकड़ ली और कुछ पल में हम दोनों एक साथ झड़ चुके थे। और दोनों ने अपने गीले लौड़े एक साथ मेरे मुँह में घुसा कर साफ़ करवाए।
उनके साथ मेरे नाजायज़ संबंध चलते रहे लेकिन यह बात स्कूल तक पहुँच गई। प्रिंसीपल बहुत ठरकी था उसने एक दिन मुझे ऑफिस में पकड़ लिया और वहीं मसलने लगा।
मैंने उसे कहा- रात को नौ बजे मेरे घर आ जाना ! मेरे पति की रात की शिफ्ट चल रही है !

दीदी की सील मेरे सामने टूटी

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हैल्लो फ्रेंड्स.. मेरा नाम विक्की है और मेरे घर में 4 लोग रहते है.. में मेरे पापा मेरी मम्मी और मेरी दीदी। मेरी दीदी का नाम प्रिया है और वो दिखने में बहुत सुंदर है। मेरी दीदी का फिगर बहुत अच्छा है में और मेरी दीदी हमेशा से ही साथ रहे है। मेरे स्कूल के सारे लड़के मेरी दीदी को गंदी नज़र से देखते थे। हमारे स्कूल में लड़कियों के लिए जो ड्रेस थी वो स्कर्ट और टॉप थी। फिर मेरी दीदी जब सीड़ियों से ऊपर जाती थी तो उनके क्लास के लड़के नीचे से उनकी स्कर्ट में झांकते थे। तभी एक बार मैंने उन्हें बात करते सुना कि आज प्रिया ने काले कलर की पेंटी पहन रखी है काश उसने पेंटी नहीं पहनी होती तो उसकी चूत दिख जाती और सब हसंने लगे और जैसे जैसे मेरी दीदी बड़ी होती गयी.. मेरी दीदी उतनी ही सुंदर और हॉट लगने लगी।

फिर जब हम स्कूल खत्म करके कॉलेज में आए तो मेरी दीदी दूसरे कॉलेज में चली गयी। में जिस कॉलेज में था वो दीदी के कॉलेज से 3 किमी. की दूरी पर ही था। इसलिए में दीदी को उनके कॉलेज छोड़कर अपने कॉलेज जाता था। फिर एक दिन शाम को में अकेला ही बाईक से अपने एक फ्रेंड के यहाँ पर जा रहा था तो मेरा एक्सीडेंट हो गया और मेरे सीधे पैर में फ्रेक्चर हो गया और डॉक्टर ने मुझे 2 महीने के लिए बेड रेस्ट के लिए बोला और इसकी वजह से दीदी को कॉलेज जाने में प्राब्लम होने लगी। फिर मेरी ही कॉलोनी में एक लड़का था जिसका नाम रोहन था। वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त और मेरी दीदी का क्लासमेट भी था और मेरी दोस्ती उससे क्रिकेट खेलते समय हुई थी। रोहन दिखने में बहुत स्मार्ट था और उसका शरीर भी बहुत अच्छा था। तभी एक दिन मैंने रोहन से कहा कि में जब तक ठीक नहीं हो जाता वो दीदी को अपने साथ कॉलेज ले जाए और उसने कहा कि ठीक है और अगले दिन से दीदी उसके साथ कॉलेज जाने लगी। फिर धीरे धीरे रोहन और दीदी में एक बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी और वो दोनों ज्यादातर टाईम साथ ही रहते थे।

एक दिन दीदी मुझसे बातें कर रही थी और में बेड पर लेटा हुआ था। मेरे पैर में फ्रॅक्चर था.. दीदी बार बार किसी से मैसेज में बातें कर रही थी। फिर दीदी रूम से बाहर गयी और दीदी का मोबाईल वहीं पर छूटट गया और मैंने फोन उठाकर दीदी के मैसेज पढ़े वो सारे मैसेज रोहन के थे.. मुझे उन मैसेज से कुछ गड़बड़ लगी। तभी कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर मेरा प्लास्टर खुल गया और में घूमने फिरने लगा.. लेकिन में अभी भी बाईक नहीं चला सकता था और रोज़ की तरह दीदी रोहन के साथ कॉलेज चली गयी और में घर में ही था और डॉक्टर ने मुझे कुछ दिन और आराम करने को कहा था। वो दिन के 2 बजे का टाईम था.. में कुछ समान लाने के लिए घर से बाहर निकला आते वक़्त में रोहन के घर की तरफ से आ रहा था तो मुझे रोहन की बाईक दिखी और मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि सुबह रोहन और मेरी दीदी कॉलेज गये थे तो अभी रोहन यहाँ पर क्या कर रहा है? और मुझे यह भी पता था कि रोहन के पापा और मम्मी दोनों ही जॉब करते है। तभी मैंने सोचा कि जो भी है.. चलते है.. रोहन से बातें करेंगे और मैंने बाहर का गेट खोलकर अंदर आकर घर की डोर बेल बजाई.. लेकिन किसी ने गेट नहीं खोला। में कुछ देर तक वहीं पर खड़ा था.. लेकिन कोई नहीं आया। फिर में वापस अपने घर की तरफ जाने लगा.. लेकिन में जैसे ही गेट के पास पहुंचा तो मुझे घर के अंदर से किसी की बातें करने की आवाज़ आई और में जाकर सुनने लगा.. लेकिन मुझे जो आवाज़ आ रही थी वो किसी लड़की की आवाज़ थी और वो कह रही थी कि प्लीज़ रोहन दर्द होगा.. प्लीज़ मुझे जाने दो इस पर रोहन कहता है कि कुछ नहीं होगा पहली बार दर्द होगा फिर तुम्हे मज़ा आएगा और आह्ह्ह उफ्फ्फ… की आवाज़ आ रही थी। तभी मुझे समझ में आ गया कि रोहन किसी लड़की को चोदने के लिए अपने घर लेकर आया है।


फिर में चुपके से दूसरी साईड चला गया क्योंकि उसके घर में सिर्फ एक खिड़की थी जो कि पीछे की साईड बनी हुई थी.. में वहाँ पर चला गया और मैंने देखा कि रोहन और एक लड़की थी और दोनों किस कर रहे थे और मुझे देखकर बहुत मज़ा आ रहा था.. लेकिन उसके एक मिनट के बाद मुझे बहुत बड़ा शॉट लगा क्योंकि जब मैंने उस लड़की का चेहरा देखा तो वो कोई और नहीं मेरी दीदी प्रिया थी और मुझे यह सब देखकर बहुत अजीब सा लग रहा था कि मेरी दीदी मेरे दोस्त के साथ.. यह कैसे हो सकता है? फिर में वापस देखने लगा दीदी बार बार उससे दूर हटने की कोशिश कर रही थी और कह रही थी कि प्लीज रोहन मैंने कभी नहीं किया है.. मुझे बहुत डर लग रहा है। तभी रोहन दीदी से कहने लगा कि डरो मत प्रिया.. में बहुत धीरे धीरे से करूँगा और तुम्हे जरा भी दर्द नहीं होगा और यह कहकर उसने वापस मेरी दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और दीदी को लिप किस करने लगा। वो दीदी को किस करने के साथ साथ मेरी दीदी के बूब्स को टॉप के ऊपर से दबा रहा था और चूस रहा था और दीदी एह्ह्ह उफफ अह्ह्ह कर रही थी।

फिर वो बार बार अपना हाथ मेरी दीदी के टॉप के अंदर डाल देता और ब्रा के ऊपर से दीदी के बूब्स को दबाता। अब उसने मेरी दीदी के टॉप को निकाल दिया और वहीं ज़मीन पर गिरा दिया। मैंने पहली बार दीदी को ब्रा में देखा था। दीदी ने गुलाबी कलर की ब्रा पहन रखी थी.. रोहन मेरी दीदी के बूब्स देखने लगा और दीदी अपने हाथ से छिपाने की कोशिश कर रही थी। तभी रोहन आया और उसने दीदी का हाथ हटा दिया। उसने दीदी से कहा कि प्लीज़ प्रिया शरमाओ मत अभी बहुत मज़ा आएगा और दीदी की ब्रा ऊपर से थोड़ा सा हटाकर उनके बूब्स को चूमने लगा। दीदी बार बार पीछे हटने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन उसने दीदी को अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और चूमने लगा अब उसने दीदी की ब्रा के हुक को खोल दिया और ब्रा को खींचकर निकाल दिया। मेरी दीदी के बूब्स हिलने लगे वो मेरी दीदी के बूब्स को देखकर पागल हो गया और उसने धीरे से दीदी के बूब्स पकड़े और दीदी की निप्पल को चूसने लगा। दीदी अह्ह्ह ऊउह्ह करने लगी और वो गले से लेकर दीदी की नाभि तक दीदी को किस कर रहा था। फिर उसने दीदी की जीन्स का बटन खोलकर चैन ढीली कर दी और अपना एक हाथ दीदी की पेंटी में डालकर रगड़ने लगा। दीदी उसका हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन उसने दीदी को पूरा जकड़ रखा था और दीदी की चूत में हाथ डाल कर रगड़ रहा था.. दीदी आह्ह्ह ओह्ह्ह माँआआअह्ह मरी में कर रही थी.. प्लीज़ रोहन आह्ह्ह बस करो.. लेकिन रोहन मानने वाला कहाँ था। उसने दीदी की जीन्स खोल दी और अब दीदी सिर्फ़ गुलाबी कलर की पेंटी में थी और वो नीचे अपने घुटनो के बल बैठ गया और दीदी की चूत के पास सूंघने चाटने लगा और किस करने लगा और दीदी उसके सर को पकड़े हुई थी।

फिर उसने दीदी की पेंटी निकाल ली और उसे सूंघने लगा और चाटने लगा। अब उसने अपनी पेंट भी उतार ली और वो भी पूरा नंगा हो गया और उसने दीदी से लंड चूसने के लिए कहा.. लेकिन दीदी ने मना कर दिया। फिर उसने कहा कि कोई बात नहीं.. अगली बार फिर उसने दीदी को लेटा दिया और उसने मेरी दीदी के पैरों को फैला दिया जिससे दीदी की चूत साफ साफ दिखने लगी.. दीदी ने तुरंत अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया। तभी उसने कहा कि प्लीज़ प्रिया तुम शरमाओ मत और यह कहकर उसने दीदी का हाथ हटा दिया। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था.. वो अह्ह्ह उफ्फ्फ करने लगा और वो अपना लंड सहलाते हुए कहने लगा कि आहह प्रिया क्या चूत है तेरी.. आज मज़ा आ जाएगा और मेरी दीदी की चूत पर अपना लंड लगा कर चाटने लगा और दीदी उसके बाल पकड़कर बार बार पीछे हो रही थी और वो दीदी की जांघो को पकड़ कर उन्हें आगे की तरफ खींच रहा था और दीदी की चूत चाट रहा था।

तभी दीदी की सिसकियों की आवाज़ मेरे कानो में आ रही थी। दीदी अब अपने हाथों से अपने बूब्स को पकड़कर अपने निप्पल को मसल रही थी और अपने दांतों से होंठो को दबा रही थी। मेरा दोस्त अपने घुटनो के बल बैठ गया और एक हाथ से अपना लंड पकड़कर दीदी की चूत पर रगड़ने लगा। दीदी बहुत डर रही थी। वो बार बार रोहन से कह रही थी कि प्लीज़ रोहन दर्द होगा धीरे धीरे करना और उसके लंड के रगड़ने से सिसकियां ले रही थी। तभी उसने एक धीरे से धक्का दिया और दीदी पीछे की तरफ हो गयी। उसका लंड अभी घुसा नहीं था। वो दीदी से कहने लगा कि डरो मत प्रिया कुछ नहीं होगा और उसने फिर दीदी के जांघो को कसकर पकड़ लिया और एक जोर का धक्का दिया। तभी दीदी बहुत जोर से चीख पड़ी.. माँआआ मरी में बचाओ मुझे। तभी मैंने देखा कि रोहन के लंड का टोपा दीदी की चूत में चला गया था और वो रुक गया और दीदी अपनी उंगली को दातों से दबाए हुए थी और उनकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।


तभी रोहन ने अपना लंड बाहर निकाला तो उसके लंड पर दीदी की चूत का खून लगा हुआ था और वो मेरी दीदी की तरफ देख रहा था। फिर उसने कहा कि देख प्रिया तेरी सील टूट गई.. तेरा खून लगा हुआ है और फिर उसने दीदी के पैरो को फैला दिया। तभी मैंने देखा कि मेरी दीदी की चूत से खून निकल रहा था और दीदी उठकर बैठ गयी और वो खून देखकर थोड़ा सा डर गयी थी। फिर रोहन ने कहा कि डरो मत पहली बार खून निकलता है और दीदी की चूत को जीभ से चाटने लगा और उसने अपनी जीभ से चाटकर दीदी का पूरा खून साफ किया। तभी दीदी ने उसे कहा कि रोहन मुझे बहुत दर्द हो रहा है वो दीदी के पास लेट गया और दीदी को किस करने लगा। उसने कहा कि प्रिया बस हो गया अब दर्द नहीं करेगा.. बस पहली बार दर्द होता है और वो दीदी को किस करते करते दीदी के बूब्स को मसलने लगा। तभी कुछ देर में दीदी फिर से गरम हो गयी। अब वो मेरी दीदी के ऊपर लेट गया और दीदी से अपने पैर फैलाने को कहा.. दीदी ने भी अपने पैर फैला दिए और उसने धीरे से अपना लंड मेरी दीदी की चूत में घुसा दिया और फिर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।

फिर दीदी अह्ह्ह ससस्स करने लगी और रोहन का आधा लंड मेरी दीदी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था। उसने चोदते चोदते दीदी से कहा कि प्रिया जब से मैंने तुझे देखा है.. में तुझे चोदना चाहता था और आज में जी भरके तुझे चोदूंगा और वो धीरे धीरे मेरी दीदी को चोदने लगा। अब उसने मेरी दीदी के निप्पल को अपने मुहं में ले लिया और ज़ोर से धक्का दिया दीदी पूरा पीछे की तरफ हो गयी और उसका पूरा लंड एक ही बार में मेरी दीदी की चूत में चला गया और वो पूरी ताक़त से मेरी दीदी को चोदने लगा दीदी चीख रही थी और वो अपने सर को इधर उधर कर रही थी। तभी थोड़ी देर चोदने के बाद रोहन झड़ गया। उसने अपना वीर्य मेरी दीदी की चूत में गिरा दिया और थोड़ी देर तक रोहन मेरी दीदी के ऊपर लेटा रहा और धीरे धीरे मेरी दीदी को चोदता रहा। कुछ देर बाद वो दीदी के ऊपर से हट गया और उसने मेरी दीदी की पेंटी उठाई और दीदी की चूत को साफ किया और फिर दोनों ने अपने कपड़े पहने और कुछ देर रोहन दीदी को किस करता रहा और उस दिन के बाद रोहन ने कई बार मेरी दीदी को चोदा है ।।

अब मैं नौकर को बेडरूम में बुलाकर हर रात अपनी चूत की सर्विसिंग करवाती हूँ

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गुड इवनिंग फ्रेंड्स. मैं रचना अग्रवाल आप सभी का अन्तर्वासनास डॉट नेट पर बहुत बहुत स्वागत करती हूँ. मैं इसकी मस्त सेक्सी कहानियों की बहुत बड़ी फैन हूँ. आज मैं आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ. मैं कई दिनों से सोच रही थी की मैं भी आपको अपनी नाजायज रिश्ते की चुदाई की कहानी जरुर सुनाऊंगी. तो मैं आज आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ.

मेरे हसबैंड वीरेद्र अग्रवाल एयरटेल कंपनी में सॉफ्टवेर इंजिनियर थे. हम दोनों मियां बीबी और बच्चे मजे से दिल्ली में रह रहें थे. यहाँ उनको काम करते ५ साल हो गए थे. फिर उनके ट्रांसफर का आर्डर आ गया. मेरे पति को बैंगलोर भेज दिया गया. इस ट्रांसफर से मैं बहुत नाखुश थी. क्यूंकि यहाँ दिल्ली में रहते हुए मुझे ५ साल हो गए थे. बच्चों के नाम भी अच्छे स्कूलों में लिखवा दिए थे. उनकी पढाई भी अच्छी चल रही थी. और यहाँ सोसाइटी में मेरे कई अच्छी सहेलियां भी बन गयी थी. मेरी पूरी जिंदगी सेट हो गयी थी. मैं दिल्ली में बहुत खुश थी. फिर ना जाने कहाँ से ये मुआं ट्रांसफर का जिन्न आ गया. मेरे पति ने अपने बोस से ना नुकुर की तो वो गुसा गए और कहने लगे की आपको २ लाख महीना की सैलरी मिलती है. आपको तो कंपनी के मुताबिक चलना होगा.

मेरे पति बेमन से बैंगलोर चले गए. घर के काम के लिए उन्होंने रामनाथ नामक एक जवान नौकर रख दिया. पति के जाने के बाद मुझे बहुत बुरा लगा. बस दोस्तों, पूछिए मत इस बारे में. कई हफ्ते मैं रोटी रही. क्यूंकि एक तो मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते थे. उपर से मुझे हर रात खुब मजे देते थे. वो मुझे हर रात तरह तरह से चोदते थे. वो किसी कामदेव से कम ना थे. मैं बहुत रोई. पर पतिदेव को पैसा तो कमाना ही था. सिर्फ प्यार से तो इस दुनिया में कुछ नही होता है, पैसे भी चाहिए अच्छी जिंदगी के लिए. किसी तरह मैंने अपने दिल को बहलाना शुरू किया. मैं अपने मोहल्ले की सहलियों के पास हर दिन किटी पार्टी में जाने लगा. वहां मेरा वक्त आराम से कट जाता था. मेरा नौकर रामनाथ बहुत मददगार निकला. मैं जो भी उसे काम देती ‘जी बीबीजी!! जी बीबीजी !!’ कहता और सारा काम कर देता.


रामनाथ यादव कास्ट का था. यही नॉएडा के एक गांव का रहने वाला था. पर था बहुत मस्त बंदा. उम्र कोई १८ २० की होगी. सुबह जल्दी ६ बजे वो घर आ जाता. बच्चो के लिए नास्ता बनाता. उनको स्कूल छोड़ने जाता. फिर लौटकर मेरे घर का सारा काम करता. सुबह से शाम तक वो शायद ही आराम करता हो. धीरे धीरे मेरी रामनाथ से खूब पटरी खाने लगी.

अपने खाली वक्त में मैं उससे खूब बात करती.

अरे रामनाथ! तू अच्छा ख़ासा जवान है. शादी क्यूँ नही कर लेता??’ एक दिन ऐसे ही मैंने हसी हसीं में उससे पूछ लिया.

अरे बीबीजी ! हमारे सिर पर ५ लाख का कर्जा है. हमारे बापू की दवा में सारा पैसा लग गया. उधर लेकर उनकी दवा कराई. फिर भी बापू नही बचे’ रामनाथ कहने लगा तो उसकी आँखें भीग गयी.


‘मैं समझ सकती हूँ’ मैंने कहा और उसके जवान कंधे पर मैंने सहानुभूति में हाथ रख दिया.

‘रामनाथ, तो क्या तेरी कोई यार भी नही है ???’ मैंने उसका मिजाज हल्का करते हुए पूछा. वो हसने लगा.

नही बीबीजी! हमका लडकियन से बहुत शरम आवत है’ वो जरा गांव की भासा में बोला. मैं हसने लगी.

मेरे पति के जाने के बाद मैं ये कह सकती हूँ की मेरा नौकर मेरा बड़ा हमदर्द, मेरा हमराज बन गया था. मेरे बच्चों को वो तरह तरह से हँसाता था. मेरे बच्चे उसके हाथ से ही खाना खाते थे. उसके साथ ही खेलते थे. मेरी हसबंड वीरेन्द्र मुझे हर रात बैंगलोर से फोन करते थे. मैं उनको बताती थी की किस तरह उनके जाने के बाद नौकर रामनाथ ने बच्चों को बड़ी अच्छी तरह से सम्भाल रखा है. वीरेन्द्र भी बहुत खुश थे. दोस्तों, अपनी माँ की कसम खाके कहती हूँ की सारी चीजे बड़ी तेजी से बदल गयी.

जहाँ मैं हर रात अपने पति से खूब प्यार करती थी, तरह तरह से प्रेम लीलाएं करती थी, अब सब कुछ उल्टा हो गया. अब जब मैं बेडरूम में जाती तो अपने भोले भाले बेहद सज्जन नौकर रामनाथ को लेकर तरह तरह की मीठी कल्पनाएँ करने लगी. मैं अब नंगी हो जाती और डिल्डो लेकर अपनी चूत में डाल लेती और रामनाथ को ही याद करती और तरह तरह से उसको सोचते हुए मैं डिल्डो से खुद को चोदती. दोस्तों, मुझे बहुत मजा आता. अब तो मैं हर रात यही करती. नौकर रामनाथ को लेकर तरह तरह की कल्पना करती की वो मुझको ऐसे पेल रहा है, ऐसे चोद रहा है, मैं मुझे ठोक रहा है. जब जब मैं रामनाथ के बारे में सोचती और अपनी चूत में ऊँगली देती, मुझे परम सुख प्राप्त होता. समज लीजिए की मुझे जन्नत मिल जाती.

धीरे धीरे मेरी ज्वलंत अन्तर्वासना अंगारे की तरह भडकने लगी. जी तो यही करता की कास रामनाथ मुझे एक बार चोदे. उसका १८ साल के जवान लंड का स्वाद कैसा होगा, ये सोच सोच के मैं मरी जाने लगी. कई बार अपनी चूत में ऊँगली करते करते मेरा बदन जलने लगता और मैं बाथरूम में ठन्डे पानी से नहाने चली जाती. तब जाकर मेरी चुदास शांत होती. मेरे हसबैंड बैंगलोर से पैसे भेजते रहते. इसलिए मुझे किसी तरह की कोई दिक्कत नही थी. बस यही दिक्कत थी की कास कोई लंड मेरी चूत की सर्विसिंग कर देता.

जैसे जैसे दिन बीतने लगे मैं नौकर रामनाथ को लेकर जुनूनी हो गयी. अब मैं जल्द से जल्द उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहती थी. उसके जवान शरीर को मैं भोगना चाहती थी. साफ़ सरल शब्दों में कहूँ तो मैं उससे पूरी रात चुदवाना चाहती थी. उसके जवां लंड से मैं अपनी कामवासना बुझाना चाहती थी. मैं ठान लिया की अब मुझे उसका लंड बस किसी भी सूरत में चाहिए. अगली रात को मेरे सारे परिवार से खाना खाया. रामनाथ बच्चों को उनके कमरे में ले गया और उनको लोरी देकर सुला दिया. अब वो अपने घर जाने लगा तो मैंने उसको आवाज लगायी.

जी बीबीजी !! हुकुम! वो बोला.

रामनाथ, मेरे पैर में बड़ा दर्द हो रहा है. प्लीस जरा दबा दो’ मैंने कहा

जी बीबीजी ! वो बोला. मेरे बेडरूम में आ गया. मैंने एक मस्त नाइटी पहन ली. रामनाथ मेरे पैर दबाने लगा. मुझे बड़ा मजा आने लगा. पर मुझे उससे पैर नही दबवाने थे. मुझे तो उसका जवां लंड खाना था.

रामनाथ जरा उपर !! मैंने कहा

वो अब मेरी जाँघों पर दबाने लगा. मैंने जान बूझकर अपनी नाइटी उपर कर ली. रामनाथ मेरे तरासे हुए बदन को देखकर मंत्रमुग्ध तो था. पर उससे ऐसी वैसी कोई हरकत नही की. मैं चाहती थी वो मुझे पकड़ ले और बस चोद ले. पर वो निरा भोंदा बाबा था. मैं अचानक से उसको पकड़ लिया.

रमानाथ, आज मेरी प्यास बुझा दो! मैं कबसे तुम्हारे प्यार की प्यासी हूँ ! मैने कहा. वो बिलकुल हडबडा गया. वो डर गया. उनके सिर पर पसीना छूट गया.

नही नही बीबीजी ! ये आप क्या कह रही है! आप तो मेरी मालकिन है. मैं आपके साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ ! वो बोला.

रामनाथ !! तुम मुझे मना नही कर सकते. मुझे आज रात तुम चाहिए किसी भी सूरत में’ मैं किसी चुदासी छिनाल की तरह गुस्से में चिल्लाई. मैं बहुत गुस्सा हो गयी थी.

नही नही बीबीजी !! हम ये नही कर सकते! रामनाथ बोला और वहाँ से बाहर चला गया. मैं उसको बुलाने पीछे पीछे गयी, पर वो सायद कुछ जादा ही घबरा गया था. वो अपने घर चला गया था. मैं उसके जाने पर बहुत बहुत गुस्सा हुई. मैं उसकी मालकिन थी. वो मेरी बात मारे कैसे चला गया. मैं उससे बदला लेना चाहती थी. अगले दिन जब वो आया तो मैंने उसका हिसाब कर दिया. वो नही जानता है मैं ऐसा करुँगी.

नही बीबीजी ! मुझे काम से मत निकालो! मुझे पैसो की बहुत जरुरत है! वो हाथजोड़ के मिन्नतें करना लगा. मैं जान गयी की ऊंट अब पहाड के नीचे आ गया है.

मैं तुमको काम पर दुबारा रख लुंगी, पर जो काम तुम कल रात अधूरा छोड़ कर गए थे, वो तुमको पूरा करना होगा. मैं जब जब तुमको कमरे में बुलाऊंगी, तुमको आना होगा!  मैंने साफ साफ रामनाथ से कह दिया. वो फिरसे सोच में पड़ गया. पर उसको पैसो की बड़ी जरुरत थी. मैंने ताड़ लिया था. जब रात हो गयी तो मैंने धीरे से रामनाथ को इशारा किया और कहा की बच्चो को उनके कमरे में जाकर सुलादे और फिर मेरे कमरे में आये.

रात १० बजे रामनाथ मेरे कमरे में आ गया. मैं लाल पारदर्शी नाईटी पहन रखी थी. रामनाथ मेरे बेड पर आ गया. मैंने अपने हाथों से उसकी शर्ट की एक एक बटन खोल दी. वो उपर से नंगा हो गया. वो सिर्फ १८ साल का था. बिलकुल मस्त जवान बांका छोरा था वो.

मेरे मम्मे चूसो !! मैंने आदेश दिया

जी बीबीजी!! वो बोला और मेरे मम्मे पीने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगा. पति को बैंगलोर गए ३ महीने से भी जादा समय हो गया था. पुरे ३ महीने से मैंने कोई लंड नही खाया था. पुरे ३ महीने से किसी मर्द ने मुझको नहीं चोदा था. पर आज मैं अपनी सारी हवस पूरी कर लुंगी. मैं सोच लिया था.

रामनाथ मेरे मम्मे पीने लगा. वो मेरे उपर ही लेट सा गया था. मैं अपना हाथ उसके पेट के नीचे से ले जाते हुए अपनी चूत तक ले गयी. अपनी चूत सहलाने लगी और उसमे ऊँगली करने लगी. रामनाथ एक अच्छे मर्द की तरह मेरे मम्मे पी रहा था. ‘रामनाथ! घबराओ मत, मुझे अपनी बीवी समझ के मेरे दूध पियो और मुझे आज इतना कसके चोदो की मेरी चीख निकल जाए’ मैंने कहा. रामनाथ पहले तो बड़ा चुप चुप था, संकोच व शर्म कर रहा था. अब वो सहज हो गया. मस्ती से मेरे दूध पीने लगा. मुझे जन्नत का मजा मिलने लगा. मैंने अपनी नाईटी उतार दी और अपने नौकर के सामने बिलकुल नंगी हो गयी. मेरी मोहल्ले की हर औरत अपने पति के ना होने पर अपने नौकर से चुदवाती थी. तो मैंने कौन सा गलत किया. रामनाथ एक आज्ञाकारी चेले की तरह मेरे दोनों दूध अपने दांत से मसल रहा था और पी रहा था. मैं अपनी चूत सहला रही थी और उसने ऊँगली कर रही थी. धीरे धीरे मेरी चूत चुदने को बिलकुल तैयार हो गयी थी. मेरा नौकर रामनाथ अब मुझे अपनी बीबी समझ के मेरे मस्त गोल मटोल दूध पी रहा था.

बीबीजी ! अब आपको पेलूँ क्या ?? उसने भोलेपन से पूछा.

बीबीजी नही बुध्दू ! आज रात के लिए मैं सिर्फ तुम्हरी बीबी हूँ! मैंने उसे आँख मारी.

रामनाथ मेरी चूत पर आ गया और मेरी चूत पीने लगा. आह, ओह्ह , म्म्म मेरे मुह से यही सब निकलने लगा. क्यूंकि पुरे ३ महीने से किसी ने मेरी चूत नही पी थी. औरतों को चूत पिलाने में भी खास मजा मिलता है. रामनाथ मेरे दोनों मोटी मोटी जांधों के बीच छिप गया था. वो मस्ती से मेरी बुर पी रहा था. मैं सुख के सातवे आसमान पर थी. वो एक हाथ से मेरी चूत में बड़ी जल्दी जल्दी ऊँगली भी कर रहा था. वो किसी मशीन की तरह मेरी चूत में ऊँगली कर रहा था. सच में दोस्तों, मुझे बहुत मजा मिल रहा था. मेरे पति भी मेरी चूत में ऐसे ही ऊँगली करते थे. अब रामनाथ ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरे पति वीरेंद्र ने मुझको बहुत चोदा था, इसलिए मेरी चूत बहुत फटी हुई थी. रामनाथ का लंड बड़ी आराम से मेरी बुर में चला गया. वो मुझको लेने लगा.

शाबाश रामनाथ !! शाबास! मैं अगले महीने से तुम्हारी पगार १००० बढा दूंगी! मैंने कहा. मेरा वफादार नौकर मुझको चोदने लगा. मेरे मम्मो को वो अपने जवान हाथों से मसल रहा था. मुझे बहुत सुख मिल रहा था.

और तेज रामनाथ !! मुझे और तेज चोदो !! मेरी चीखे निकाल दो ! मैंने कहा

रे रंडी!! तू भी क्या याद करेगी !! वो बोला और जोर जोर से मुझे पेलने लगा. उसके जबरदस्त धक्को से पूरा बेड चरमराने लगा. कुछ देर बाद उसने शताब्दी ट्रेन जैसी रफ्तार पकड़ ली. मुझको घचाघच पेलने लगा. अब मेरी चीखें निकलने लगी.

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली.  वो मुझे बहुत अच्छे से चोद रहा था.

ले रंडी !! आज तेरा पति नही है तो नौकर का लंड खा ले जी भरके !! रामनाथ बड़ी उत्तेजना में आ गया. मुझे बड़ी खुसी हुई. मैं इसी तरह गाली खा खाके चुदवाना चाहती थी.

चोद मुझे कसके! तुझे तेरे मरे बाप की कसम !! मैंने कहा

रामनाथ थोडा गुस्से में आ गया. वो मुझे रंडियों के जैसे चोदने लगा. चुदास की उत्तेजना में उसने मुझे ५ ६ तमाचे भी जड़ दिए. मुझे मार मार कर चोदने लगा. फिर उसकी तेज बहुत तेज हो गयी. कुछ सेकंड में उसने मुझे कई सौ बार चोद दिया. अब वो माल छोड़ने वाला था. उसने जल्दी से अपना लंड मेरी चूत से निकाला और सीधा मेरे मुह की तरह ले आया. मैंने अपना मूल खोल दिया. रामनाथ जल्दी जल्दी हाथ से अपना लंड फेटने लगा. माँ अपना मुह खोले रही उसका माल पीने के लिए. कुछ देर बाद फुच फुच्च की पिचकरी उसके लंड से निकली और सीधा मेरे मुह में चली गयी. मैंने उसका सारा माल पी लिया. उसके बाद दोस्तों मैंने उससे कह कह कर अपनी गांड भी मरवाई.

पति के कहने पर देवर जी ने मुझे मुता मुता कर चोदा और मेरे साथ सुहागरात मनाई

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हाय दोस्तों,  मैं पिछले कई महीने से यहाँ की कामुक और सेक्सी कहानियाँ पढ़ रही हूँ. मेरी एक सहेली ने मुझे नॉनवेज स्टोरी के बारे में बताया था. उसका बॉयफ्रेंड इसकी कहानियाँ पढकर ही रोज उसकी चूत लेता था. तो मैं भी यहाँ की मधुर कहानियाँ पढ़ने लगी. और आज मैं भी आपको अपनी कहानी सुनाते हुए बड़ी खुशी अनुभव कर रही हूँ. तो दोस्तों, आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ.

मैं मथुरा की रहने वाली हूँ. अभी मेरी शादी को ३ साल हुए है. कुछ दिन से मेरी पति मुझसे एक अजीब की डिमांड कर रहें थे. वो बार बार बस एक ही बात कर रहें थे ‘एक बार अनिल को अपनी चूत दे दो’ अनिल मेरा देवर है. उम्र में मेरे पति और मुझसे छोटा है. शुरू शुरू में तो मुझे बड़ा बुरा लगा की कैसा पति है जो अपनी धर्मपत्नी को किसी दूसरे मर्द से चुदवाने की इक्षा रखता है. पर बाद में मुझे पूरी बात पता चली. दरअसल अनिल को कैंसर हो गया था. डॉक्टर ने मेरे पति से कहा की अनिल कुछ दिन का मेहमान है. इसलिए वो जो जो चाहता है उसे दे दो. जब मेरे पति ने उससे पूछा तो उसने मुझे चोदने की इक्षा जताई.

क्यूंकि ३ साल से वो मेरे रूप रंग को देखता आ रहा था. इसलिए वो मुझे एक बार भोगना चाहता था. जब मैंने ये बात सुनी तो मुझे बहुत बुरा लगा की मेरा देवर अब कुछ दिन का मेहमान है. अनिल को ब्लड कैंसर हो गया था. उसके बचने की कोई सम्भावना नही थी. इसलिए मैंने भी तयार हो गयी. मरने से पहले मैं अपने देवर की ख्वाहिश जरुर पूरी करुँगी मैंने सोचा. अगले दिन सुनील[ मेरे पति] बजार से ढेर सारे गुलाब के फूल ले आये. उन्होंने अनिल के कमरे को सुहागरात जैसा सजा दिया. बेड पर साफ और नई चादर बिछा दी. मेरा देवर अनिल मरने से पहले अपनी भाभी यानि मेरे साथ एक बार सुहागरात मनाना मनाता चाहता था. तो उस रात मैं भी खूब सज धज गयी. मैंने अपनी बनारसी साड़ी पहनी थी. ढेर सारा मेकप किया था. पति मुझको लेकर अनिल के कमरे तक ले आई.


लो अनिल! तुम्हारी भाभी आज रात के लिए तुम्हारी है?? मेरे पति ने कहा और मेरा हाथ अनिल के हाथ में दे दिया. हम दोनों ने अनिल को ये नही बताया था की उसको ब्लड कैंसर हो गया है. वरना वो पैनिक हो जाता और समय से पहले ही उसकी मौत हो जाती. डॉक्टर ने कहा था की उसे ये न बताया जाए.

भैया आप भी साथ में सुहागरात मनाओ! अनिल ने कह दिया. मेरी पति थोडा शर्मा गए. ठीक है! मैंने उनकी तरह से हाँ कर दी. अपने देवर को लेकर मैंने कई बार अपनी चूत में ऊँगली की थी और मुठ मारी थी. पर आज देवर का लंड खाने को मुझे मिल जाएगा. एक नया लंड का स्वाद मुझको मिल जाएगा. हम तीनों को सुहागरात शुरू हो गयी. मेरे देवर अनिल ने मुझे अपने बिस्तर पर बिठा लिया. मेरे पति ने पुरे बिस्तर पर गुलाब के पंख तोड़ तोड़ कर बिखेर दिए थे. अनिल और मेरे पति सुनील दोनों ने नए कपडे पहने थे. मेरे देवर मेरे बदन से खेलने लगे, तो मेरे पति भी मेरे पैरों को चूमने लगे. कुछ देर बाद देवर जी ने मुझे नंगा कर दिया. वो मेरे बड़े बड़े मम्मो को वो दबाने लगे.

भाभी रोज तुम्हारे मम्मे ब्लौस के उपर से देखता था, आज मैंने अंडर से देखे है. भाभी तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हरे जैसी हसीना मैं आज तक नही देखी! देवर जी बोले. मैं उनके इस कोम्प्लिमेंट पर बड़ी खुश हुई. क्यूंकि मेरे पति मुझे चोदते तो रोज थे, पर कभी मेरे योवन, मेरे रूप की कभी तारीफ नही करते थे. हर जवान औरत चाहती है की कोई ना कोई मर्द उसकी हर रोज तारीफ़ करे. अनिल [मेरा देवर] मेरे मम्मे पीने लगा. जबकि मेरे पति मेरे चूत पीने लगे. ‘पंखुड़ी बेबी!! मुझे माफ कर देना. तुम सच में बहुत सुंदर हो. मैं कभी तुम्हारी तारीफ ही नही करता हूँ. क्यूंकि मेरा काम मुझको बड़ी टेंशन और तनाव दे देता है. सॉरी बेबी!! पतिदेव बोले.

कोई नही जी !! मैं बोली


देवर जी और मेरे पति दोनों अब नंगे हो गए. देवर जी की ही ये सुहागरात थी. इसलिए उन्होंने मुझे सीधा बेड पर लिटा दिया और मेरे उपर सिर से पाँव तक गुलाब के फूल डाल दिए. मुझे बहुत अच्छा लगा. बड़ी खुशी मिली मुझे. देवर मेरे दोनों स्तन को अपने सख्त हाथ से दबाने लगा. मुझे हल्का हल्का दर्द ही हो रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. आज किसी दूसरे मर्द के हाथों ने मुझे मेरे गुप्त अंगों पर हाथ लगाया था. मुझे अच्छा लगा. अनिल का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और कुछ देर बाद तो मेरे पति से भी जादा लम्बा हो गया. मन हुआ की देवर से कहूँ की अपनी भाभी को अपना लंड चुस्वाओ, पर फिर सोचा की ऐसा करना सही नही होगा. इसलिए मैंने अपनी इक्षा को दबाए रखा.

अनिल मेरे दोनों मम्मे अपने हाथ से गोल गोल आकार में दबाता रहा और पीता रहा. मेरी पति दूसरी तरह मेरी चिकनी संगमरमरी जांघ को सहला और चूम रहें थे. आज मैं २ २ मर्दों से चुदने वाली थी. अनिल के इस कमरे में मैं आज उसके साथ सुहागरात मनाने आई थी. पुरा कमरा फूलों से महक रहा था. कभी सोचा नही था की अनिल को इस भरी जवानी में कैंसर का रोग हो जाएगा. कभी सोचा नही था की वो कभी मेरी चूत मारेगा. पर दोस्तों, इन्सान जो नही सोचता है, वही उसके साथ होता है. अनिल मेरे होंठ, मेरे लब का बार बार रसपान कर रहा था. आखिर मैं उसकी भाभी थी. मरने से पहले उसकी ये आखरी ख्वाइश तो पूरी कर ही सकती थी. मेरे मेरे माथे को बार बार मुझे अपनी बीबी समझ के चूम रहा था. मेरे दोनों उजले कन्धों को वो चूम लेता था और काट लेता था. मेरे पति अपने छोटे भाई का मेरे लिए उमड़ता प्यार देख कर मुस्कुरा देते थे. कबसे अनिल मुझे और मेरी चूत को भोगना चाहता था. आज उसकी तमन्ना पूरी होने वाली थी. अमिल की आँखों में जहाँ मेरे लिए बेसुमार प्यार था वहीँ मेरी चूत मारने की वासना भी मैं उसकी आँखों में देख रही थी. पतिदेव बार बार मुस्कुराते थे की आज पंखुड़ी तो एक नए मर्द से आज चुद जाएगी. अनिल मुझसे उम्र में छोटा था, इसलिए मुझे उससे किसी तरह की शर्म नही आ रही थी.

तभी अनिल ने मेरा सीधा मम्मा अपने मुंह में भर लिया. आँखे बंद करके मेरे उपर ही लेट गया और पीने लगा. लगा जैसे कोई बच्चा मेरा दूध पि रहा हो. पति मेरी बुर पी रहें थे. करीब एक घंटे तक मेरे दूध पीटा रहा. क्यूंकि वो मेरे साथ अपनी यादगार सुहागरात मना रहा था. मैं उसको किसी भी बात के लिए मना नहीं कर सकती थी. मुझे हर हाल में उसकी इक्छा पूरी करनी थी. अनिल, मेरा देवर मेरे नंगी सपाट, चिकनी पीठ को अपने हाथ से सहलाता था और लेटकर मेरे मम्मे पी रहा था. मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था. इसके पीछे वजह थी की मेरे पति सुनील तो बस मुझे जल्दी जल्दी हर रात चोद लेटे थे, और सो जाते थे. बड़े मतलबी सैंया थे वो. पर आज मेरा देवर अनिल मुझे प्रमिकाओं जैसा प्यार कर रहा था. मुझे बड़ा आनंद मिल रहा था. कुछ देर बाद अनिल मेरे दोनों मम्मे अच्छे से पी चुका.

भाभी! तुम्हारी चूत में ऊँगली करूँगा! वो बोला.

ठीक है देवर जी, कर लो ! मैंने कहा.

मेरी पति अब मेरी चूत ने हट गए. वो मेरे सिरहाने आ गए. उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. मैं चूसने लगी. मेरा देवर अनिल मेरी चूत पर आ गया. मैंने आज सुबह ही अपनी झांटे बना ली थी. क्यूंकि मैं अपने देवर को खुश करना चाहती थी. अनिल ने अपने दोनों अंगूठे से मेरी चूत रबर की तरह फैला दी. उसको मेरी बड़ी सी फटी फटी चूत के दीदार हो गए. मेरा भोसड़ा अच्छी तरह से फट चुका था. क्यूंकि मेरे पति मुझे हर रात चोदते थे. इसलिए मेरा भोसड़ा अच्छे से फट चुका था.

मेरे देवर अनिल के मुंह में मेरा भोसड़ा देख के पानी आ गया.

भाभी!! तुमने तो भैया का खूब लंड खाया है! अनिल हँसते हुए बोला

हाँ देवर जी, तुम सही कहते हो! मैंने कहा.

अनिल ने अपने अन्गुठे से जब मेरा भोसड़ा फैलाया तो मेरे मूतने का छेद और उनके नीचे मेरी चूत के दर्शन उसको हो गए. मेरी चूत अंडर ने सफ़ेद सफ़ेद चमड़ी वाली थी, जैसा जादा हिन्दुस्तानी औरतों की चूत की चमड़ी अंडर से सफ़ेद सफ़ेद होती है. अनिल मेरी चूत पीने लगा. मुझे बड़ी खुशी हुई. क्यूंकि मेरे पति शादी के दिनों में मेरी चूत पिया करते थे. फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरी चूत पीना बिल्कुल बंद कर दी. मेरा देवर अनिल आज मेरी चूत पी रहा था. फिर उसने अपना मुंह हटा लिया और अपनी दो लम्बी उँगलियाँ मेरे भोसड़े में डाल दी. मुझे तो स्वर्ग ही मिल गया था. अनिल अपनी २ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी चूत में चलाने लगा. मैं तो मजे में डूब गयी.

मेरा देवर अनिल तो बड़ा शरारती निकला. जहाँ एक तरह वो मेरे बड़े से फटे हुए भोसड़े में अपनी लम्बी २ उँगलियाँ जल्दी जल्दी चला रहा था, वहीँ वो अपने उन्गुठे ने मेरी मूत करने के छेद को सहला रहा था. बाप रे!! उत्तेजना और सनसनी मेरी चूत में बहुत जादा होने लगी. मन हुआ की जहाँ से मैं मूतती हूँ, काश उसमे भी अनिल अपना लंड डाल दे और मुझे पेले. बजाए. उधर मेरे पति मेरे सिरहाने पर आकर खड़े हो गए थे, और मुझे अपना लंड चुसवा रहे थे. दोस्तों, मैं बता नही सकती हूँ की मुझे कितनी मौज आ रही थी. लग रहा था की २ २ लंड मुझको चोद रहें है. अनिल की शरारतों ने तो मेरी जान ही निकाल दी. मेरी चूत से मक्खन निकलने लगा. मारे उत्तेजना के मैं मूतने लगी तो अनिल ने अपना मुंह लगा दिया और मेरा सारा मूत वो पी गया. मुझे बड़ी खुशी हुई. कई मिनटों से वो अपनी २ मोटी मोटी ऊँगली मेरी चूत में कर रहा था, इससे मेरा भोसड़ा और खुल गया और छेद और चौड़ा हो गया.

देवर जी! अब अपनी भाभी को और मत सताओ! मुझे अब तुम चोदो और सुहागरात मनाओ! आखिर मैंने कह ही दिया. यह सुनते ही जैसे अनिल को नया उत्साह आ गया. फटाफट उसने अपना मोटा लंड मेरे भोसड़े में खोंस दिया और मुझे चोदने लगे. उधर मेरे पति सुनील मेरा दूसरी तरह मुंह चोद रहें थे. एक साथ २ २ लौडे का स्वाद मुझको मिल रहा था. देवर जी कबसे मेरी चूत का भोग लगाना चाहते थे. आज जाकर उनका सपना पूरा हुआ था. वो मुझे फट फट करके भांज रहें थे. पति मेरे मुंह में चोद रहें थे. देवर जी मेरे मम्मो को सहला रहे थे. वो मेरी चूत पर अब बड़ी मेहनत कर रहें थे. आ ममा माँ माँ ऊई उई आह आह्हह्ह !! मैं गरम चुदासी होकर गरमा गरम सिसकियाँ ले रही थी. अनिल मुझे जादा से जादा, गहरा से गहरा चोदना चाहता था. मन हुआ की उसे बता दूँ की उसको कैंसर हो गया है. फिर सोचा की बेचारे का सारा मजा तुरंत खत्म हो जाएगा. इसलिए ये रात उसको ना पता चलने पाये. वो मुझे घप घप करके भांजता रहा, मैं बस उसकी सूरत ही निहारती रही. बताओ जवानी में क्या किसी की मरने की उमर होती है. मैं तो बस अपने देवर जी अनिल को ही देख रही थी.

अनेक जोरदार धक्के देकर वो मेरी चूत में ही झड गया. अब मेरे पति मेरी चूत पर आ गए. उनका लंड खड़ा था, रेडी था, इसलिए वो मुझे ठोकने लगे. अनिल, मेरा देवर मेरे बगल ही लेट गया. उसे पसीना आ गया था. मैं उसके सीने पर उसके काले काले सीने के बालों को सहलाने लगी. वो अभी बांका छोरा था. मेरी पति सुनील ने मुझको २० मिनट तक लिया फिर वो भी झड गए. अनिल एक बार फिर से तयार हो गया था.

भाभी! कुतिया बनो!! वो बोला.

मैंने कोई बहाने नही मारे. कुतिया बन गयी. अनिल ने एक बार फिर से मेरी चूत में लंड खोस दिया. और मुझे लेने लगा. जोश जोश में वो मेरे चूतडों पर जोर जोर से थप्पड़ लगा देता. उसकी मार ने मेरे चुतड लाल लाल हो जाते. ऐसा करते हुए अनिल ने मुझे काफी देर ठोका, फिर मेरे मस्त मस्त चूतडों पर ही उसने अपना सारा माल गिरा दिया. दोस्तों, अनिल के साथ मेरी सुहागरात बड़ी मस्त रही. रात भर उसने मुझे कई बार लिया. पर २ हफ्ते भी ना बिता की अनिल चल बसा. मैं उसकी याद करके बहुत रोई. मेरे पति ने उसका अंतिम संस्कार किया. आज भी मैं उसके साथ बितायी वो सुहागरात याद करके हर रात रोती हूँ. 

मेरी लड़को से चुदवाने की आदत रोज नया कड़क लंड चाइये होता हे

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम जरीन है, में मुंबई का रहने वाली हूँ, में 19 साल की हूँ और अब में आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा चरित्र कैसा है? मेरी आदत है कि में हर साल बॉयफ्रेंड चेंज करती हूँ, क्या करूँ? मेरा एक से दिल ही नहीं भरता है। मैंने पहला बॉयफ्रेंड पटाया था, उसका नाम अब्दुल था, लेकिन वो कुछ करता ही था इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया। फिर मैंने मेरे एक कज़िन को पटाया, उसका नाम सलमान था, वो मेरे बाजू की बिल्डिंग में ही रहता था और रोज मेरे घर पर आता था। तब मेरे घरवाले उससे मेरी शादी करने की बात कर रहे थे और वो रात को भी मेरे ही घर में रहता था। अब मम्मी और पापा दोनों बेड पर सोते थे और में मेरा छोटा भाई और सलमान नीचे सोते थे। मेरे और उसके बीच में मेरा छोटा भाई सोता था। फिर वो एक रात को उठा और मेरे बाजू में आकर सो गया और उसने मेरे बूब्स पर अपना एक हाथ रखा, तो वैसे ही मेरी आँख खुल गयी, लेकिन में नहीं उठी और उसको कुछ बोली भी नहीं।

फिर उसने मेरे बूब्स को दबाना शुरू किया। अब में गर्म हो रही थी। फिर उसने मेरी चूत पर अपना एक हाथ लगाया और सहलाने लगा, अब मेरी चूत गीली हो गयी थी। फिर उसने मुझे किस करना शुरू किया और मेरे होंठो पर किस किया, तो में भी उसका साथ देने लगी। फिर उसने मेरी सलवार के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया और मेरी चूत में अपनी एक उंगली डालकर हिलाने लगा। फिर बस वो हर रात अपना काम करता और जाकर सो जाता। अब वो मेरी पूरी जरूरत पूरी नहीं करता था, तो फिर मैंने उसको भी रात को कुछ करने नहीं दिया। फिर मैंने एक और लड़का पटाया, उसका नाम ज़ाहिद था, वो तो इतना शर्मिला था कि वो ठीक से मुझसे बात भी नहीं करता था, तो मैंने उसको भी छोड़ दिया।

अब एक तो में इतनी गर्म थी और मुझे कोई चुदवाने के लिए मिल ही नहीं रहा था। फिर मैंने अपनी क्लास में ही एक सलमान नाम के लड़के को पटाया, उसका प्यार का नाम पेटी था। फिर मैंने उसे तब पटाया, जब कॉलेज की पिकनिक जाने वाली थी और हम 10 लोग कार करके बाहर से जाने वाले थे और वहाँ उसने मुझे किस किया और बहुत कुछ किया, लेकिन मुझे पूरा चोदा नहीं था। फिर आते वक़्त भी कार में उसने मुझे बहुत संतुस्ट किया, लेकिन उतने से मेरा क्या होने वाला था? अब मुझे पूरा लंड अपनी चूत में डलवाना था, लेकिन वैसे कभी मौका मिला ही नहीं, तो फिर मैंने उसको भी छोड़ दिया।


फिर मैंने एक शाहिद नाम के लड़के को पटाया, वो मेरे कॉलेज में ही था और वो साइबर कैफे पर काम करता था। में रोज उसके साइबर पर जाती थी और वो मुझे कैबिन में लेकर बैठता था, वो बहुत ही फास्ट था। अब वो सब कुछ फटाफट कर रहा था। अब वो हर रोज कैबिन में मुझे किस करता था, मेरे बूब्स दबाता था और मेरी चूत में भी उंगली डालता था, लेकिन फिर एक दिन उसके घर पर कोई नहीं था, तो तभी मैंने उसको कॉल किया और कहा कि में साइबर पर आ रही हूँ। तो उसने कहा कि नहीं साइबर पर मत आओ, मेरे घर पर आओ, आज में अकेला हूँ। तो में खुश हो गयी और हाँ कह दिया। अब मैंने सोच लिया था कि अब इससे तो मुझे चुदना ही है और फिर में उसके घर पहुँची, जब दोपहर के 3 बजे थे। फिर में उसके घर में अंदर गयी, फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गया और चाय पानी सब पिलाई और फिर मेरे बाजू में आकर बैठ गया। फिर उसने मुझे किस करने के लिए मेरा मुँह पकड़ा। फिर उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूसता रहा और में भी चूस रही थी। फिर उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया और किस कर रहा था और मेरे बूब्स दबा रहा था और में उूउऊहह, उूउऊहह करके चिल्ला रही थी।

फिर उसने मेरी कमीज उतारी और फिर मेरी सलवार भी उतार दी। अब में उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। फिर उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब वो भी अपनी अंडरवेयर में था। फिर उसने मेरी ब्रा और पेंटी भी उतार दी और फिर मेरी चूत को चाटने लगा। अब में आआआ, आआअहह करके चिल्ला रही थी। फिर पहले उसने मेरी चूत में अपनी जीभ अंदर डाली, तो में और चिल्लाई क्योंकि में पहली बार चुद रही थी। फिर उसके बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला, उसका लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच का मोटा था। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह पर रख दिया और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और ज़ोर से एक धक्का दिया, लेकिन फिर भी उसका लंड पूरी तरह से अंदर नहीं गया और फिर उसने एक ज़ोरदार झटका मारा, तो में बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी। फिर उसने मेरे मुँह पर अपना एक हाथ रखा और ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगा।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने उससे कहा कि मुझे छोड़ो शाहिद। तो फिर वो थोड़ी देर तक रुका और मुझे किस किया और फिर थोड़ी देर के बाद उसने ज़ोर-ज़ोर से धक्के देना शुरू किया। फिर उसने लगभग मुझे 20 मिनट तक चोदा। अब उसके लंड का पानी मेरी चूत में ही निकलने वाला था कि तभी उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। फिर मैंने उसके लंड को चाटा और फिर मैंने अपने कपड़े पहने और में अपने घर चली गयी। फिर दूसरी बार मुझे उससे चुदाने का कभी मौका ही नहीं मिला। फिर वो दूसरी जगह काम पर लग गया और हमारा मिलना भी बंद हो गया और फिर मैंने उसको भी छोड़ दिया। अब मेरा एक नया बॉयफ्रेंड है, उसका नाम मोहम्मद है और अभी में उसके साथ ही चुदवाती हूँ ।।

बरसात की रात कामवाली के साथ

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शनिवार की सुबह थी. पिछली रात बहुत बरसात हुई थी. और मुझे बिस्तर से बहार निकलने का जरा भी मन नहीं हो रहा था. कोलेज बंक करने का फूल इरादा बना चूका था मैं. और तभी डोरबेल बजी. मैंने सोचा की साला इतने खराब मौसम में कौन आ गया!

नीपा ने रजत को कन्विंस किया था की वो हम तीनो का खाना बना लेगी. रजत ख़ुशी ख़ुशी मान गया. निपा ने मेरे पेरेंट्स को भी कन्विंस कर लिया. वो भी खुश थे क्यूंकि मैं शहर में अकेला था और वो मेरे खाने पिने की आदतों से चिंतित थे.

कुछ दिन पहले ही हमें पता चला की निपा प्रेग्नेंट हे. उसका पहला ट्राईमिस्टर चल रहा था. वो मेरे ऊपर कम रौफ दिखा रही थी. लेकीन मैं अभी भी उसका सेक्सी गुलाम तो हूँ ही. मैंने दरवाजा खोला तो वहां पर निपा ही खड़ी थी और साथ में उसका कुक भी था.


“बाबू मैं सब के लिए खाना नहीं बना सकती हूँ. और ऊपर से तुम्हारा कमरा भी बड़ा गन्दा होता हे. आज से मैंने लक्ष्मी को बोला हे की तुम्हारे काम का ध्यान रखे.” निपा ने कहा.

मुझे याद हे की पिछली कामवाली को मैंने ही काम बंद करने के लिए कहा था. क्यूंकि वो बड़ी अनियमित थी. कल रात को ही मेरी माँ ने निपा को एक और कामवाली को लाने के लिए बोला था. निपा ने लक्ष्मी को बोला की तुम्हे कमरे साफ़ करने हे, मेरे कपडे धोने हे, उन्हें सूखा के फोल्ड करने हे. और अगर कुछ काम हो तो निपा को बोलना हे.

लक्ष्मी अपने काम में लग गई और निपा अपने कमरे में चली गई. मैंने लक्ष्मी को द्देखा. उसने अपनी साडी को कमर में खोसा हुआ था. और इसलिए उसके पैरों का कुछ हिस्सा दिख रहा था. चमड़ी बिना बाल वाली, साफ़ और अच्छी थी. मुझे उसका बदन अच्छा लगा. लक्ष्मी ने कमरे में झाड़ू लगाईं और झटकारा. फिर वो निचे चली गई. मैं भी सीड़ियों के पास वाले टेबल पर जा के बैठ गया ताकि वो निचे काम कर रही हो तो भी मैं उसे देख सकूँ.

आज से पहले तक मैंने उसे हमेशा इग्नोर ही किया हे. वो अब बर्तन मांज रही थी. मैं उसे देख ही रहा था की निपा उसके पास आ गई. वो दोनों बातें कर रही थी. और तभी अचानक निपा ने ऊपर देखा. शायद वो कब से मुझे देख रही थी लक्ष्मी के बदन को देखते हुए.


मैं उठ के टॉयलेट में गया. फिर फ्रेश हो के मैं वापस आ गया अपने कमरे में. लक्ष्मी ऊपर आई और अपने काम में लग गई. और मैं चुपके से उसे ही देख रहा था.

तभी मेरा फोन वायब्रेट हुआ. निपा ने टेक्स्ट किया था, “तुम लक्ष्मी को देख रहे थे ना? सच बताओ.”

“हां देख रहा था.” मैंने हिम्मत कर के सच बोल दिया.

“ओके, लेकिन ये अच्छी बात नहीं हे.”

और फिर उसने कोई भी मेसेज नहीं किया. कुछ देर के बाद में मैंने अपने मोबाइल में पोर्न की क्लिप्स देखनी चाली कर दी और उसकी वजह से मेरा लंड खड़ा हो गया.

“मेरा आज का काम हो गया हे.” लक्ष्मी ने आके बोला मुझे. मैंने उसकी तरफ देखा. वो स्माइल कर रही थी और मेरे खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से देख रही थी.

मैंने कहा, “ओके, ठीक हे.”

लक्ष्मी निकल गई.

कुछ दिन बिट गए. लक्ष्मी ही सब काम करती थी घर के. और मैं जितना और जब भी मौका मिलता तो उसकी सेक्सी स्किन को देख लेटा था. रजत की माँ अब शहर में आई थी. मैं रजत और निपा के साथ रहता हूँ और सास के आने की वजह से अब निपा की डिमांड भी कम हो गई.

एक सुबह, मुझे निचे से कुछ खुसपुसाहट सुनाई पड़ी. पिछले दो दिनों से बहुत बारिश हो रही थी. और आगे भी और बरसात होने का अनुमान था ही. मैं सीड़ियों के पास जा के खड़ा हो गया ताकि समझ सकूँ की निचे क्या बात हो रही थी. मैं समझ गया की वो लक्ष्मी के लिए बातें हो रही थी. काम पर आते वक्त वो पूरी भीग चुकी थी. निपा उसे अपनी साडी देना चाहती थी. लेकिन उसकी सास को ये बात पसंद नहीं थी.

मैंने आवाज लगाईं, “लक्ष्मी तुम ऊपर आओ.”

कुछ ही देर में लक्ष्मी आ गई. वो पूरी भीगी हुई थी सर से लेकर पैरों तक. मैंने अपने कपबोर्ड को खोला और उसे एक टी शर्ट और बरमूडा दे दिया.

“इस को पहन लो और अपने कपड़ो को मशीन में धो के सूखा दो.” मैंने उसको कहा. वो थोडा अनकम्फर्टेबल लग रही थी तो मैंने कहा की गिले कपडे पहन के काम करोगी तो बीमार हो जाओगी. वो मान गई.

लक्ष्मी ने बाथरूम में जा के कपडे बदल लिया और वो मेरी टी शर्ट और बरमूडा पहन के बहार आ गई.

“क्या तुमने अपनी ब्रा निकाली” मैंने पूछा.

वो बोली, “नहीं!”

“निकाल दो वो भी तो गीली हे, और गीली पहन के कुछ फायदा भी तो नहीं हे”, मैंने कहा.

उसने मना कर दिया, और वो थोड़ी जिद्दी लग रही थी.

“निकाल दो वरना मैं जोर करूँगा!” मैंने कहा.

उसने इग्नोर किया. मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया और उसके पीछे हाथ लगा के उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया.

“तुम निकालती हो अपनी ब्रा को या मैं ही निकाल दूँ,” मैंने कहा.

वो बाथरूम की तरफ भागी. और कुछ देर में जब वो वापस आई तो मैंने देखा की उसने अपने सब कपडे जिसमे उसकी ब्रा भी थी उन्हें धो के सुखा दिए थे.

मैंने उसके कपडे ले के पंखे के निचे रख दिए. और मैंने ब्रा को ख़ास ध्यान दे के सही सुखाया.

पूरा दिन वो काम करते हुए अजीब सा फिल कर रही थी. टी शर्ट के ऊपर से उसके निपल्स एकदम साफ़ साफ़ दिख रहे थे और उसे ऐसे देख के मैंने पूरा दिन मजा लिया.

शाम को वो अपने कपडे ले के चेंज करने के लिए निचे आ गई. बहार अभी भी बारिश हो रही थी.

मैंने उसे पूछा, “लक्ष्मी तुम्हारे घर में कितने लोग हे?”

वो बोली, “मैं मेरी माँ और एक भाई हे.”

मैंने कहा, “किसी के पास फोन हे घर पर?”

लक्ष्मी बोली, “मेरे भाई के पास हे तो.”

मैं बोला, “अच्छा हे. एक काम करो भाई को कॉल करो और बोली बरसात बहुत हे इसलिए आज तुम रात को यही रुक जाओगी!”

लेकिन लक्ष्मी ऐसा करने के लिए रेडी नहीं लग रही थी. मैंने निपा को बुलाया और उसे कहा की देखो अभी तो लक्ष्मी के कपडे सूखे भी नहीं हे और बहार बारिश वैसी ही तेज हे. और अगर ये ऐसे में गई और फिर से भीग गई तो कल काम पर नहीं आएगी बीमार हो के.

निपा ने मेरी बात समझी और उसने लक्ष्मी के भाई को कॉल कर के बोला की आज रात को लक्ष्मी हमारे घर पर ही रहेगी.

लेकिन फिर प्रॉब्लम दूसरी जगह से आ गया. निपा की सास इस बात से जरा भी राजी नहीं थी की लक्ष्मी उसके साथ रुके. निपा ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो तो जैसे बहरी हो गई थी. इसलिए मैंने कहा लक्ष्मी तुम ऊपर मेरे कमरे के सामने वाले कमरे में सो जाना. निपा को मैंने बताया की वो कमरा वैसे भी खाली ही हे.

सब लोगों ने खाना खाया और सोने के लिए चले गए कुछ ही देर में. जब मैं ऊपर गया तो देखा लक्ष्मी कमरे को साफ़ कर रही थी. मैं अन्दर गया और उसे कहा, “अरे बाप रे यहाँ तो बहुत कूड़ा हे. एक काम करो मेरे कमरे में चलो वही सो जाना. सिर्फ आज रात की ही तो बात हे.”

मैंने टीवी ओन कर दी और लक्ष्मी देखने लगी. मैंने अपनी पढ़ाई चालु कर दी. मैंने रात को लक्ष्मी को कहा जाओ निचे से सब्जी चावल ले के आओ मेरे लिए. वो निचे गई और दो लोगों के खाने जितना खाना ले के आई.

मैंने उसे अपने साथ में बैठ के खाने के लिए कहा. वो शर्मा रही थी. तो मैंने उसे डांट के अपने साथ में बिठाया. वो शांति से खाना खा रही थी. मैंने भी खा लिया. वो खाने के बाद बर्तन मांजने के लिए चली गई. और फिर निचे फर्श के ऊपर वो अपने बिस्तर लगा रही थी. मैं भी बिस्तर में गिर गया.

रात को बारिश का जोर और भी बढ़ चूका था. बिजली इतनी तेज हो रही थी की उसकी रौशनी हमारे घर को 10 गुना रोशन कर देती थी. और आवाज ऐसी थी की कोई नींद में सोया हो तो आवाज सुन के जाग जाए.

“बाबु.” वो बोली.

मैंने कहा, “हां बोलो लक्ष्मी.”

वो बोली, “मुझे बहुत डर लग रहा हे.”

मैंने कहा, “सो जाओ कुछ देर में नींद आ जाएगी.”

वो सोने लगी. मैंने उसे देखा तो उसका बदन कांप रहा था. मैं निचे उतर गया और उसके बदन को अपने हाथ से टच किया.

वो बोली, “ये क्या कर रहे हो बाबू?”

“चुप!” मैंने ऊँगली को मुहं पर रख के कहा. और फिर उसे उठा के मैंने अपने बिस्तर में डाला और उसके ऊपर अपनी रजाई डाल दी. और फिर मैं भी उसके पास में ही लेट गया.

फिर से जोर से बिजली चमकी और लक्ष्मी एकदम से डर गई. वो डर के मारे मेरे ऊपर आ गई. मैंने अपने हाथों से उसके बदन को लपेट लिया और अपने हाथ को मैंने उसकी टी शर्ट में डाल दिया. और फिर मेरा हाथ उसकी पीठ के ऊपर चला गया.

वो भी खुद को रोक नहीं सकी. मैंने अपने हाथ को उसकी कमर पर रखा, फिर उसकी गांड को दबा दिया बरमूडा में हाथ डाल के. वो चुप ही रही.

मेरा एक हाथ उसके बम्स के साथ खेल रहा था. और दुसरे हाथ से मैं उसकी कमर को दबा रहा था. और फिर एक झटके में मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया. वो जोर जोर से साँसे ले रही थी. मेरे हाथ उसकी कमर और गांड से खेलते रहे. वो चुपचाप मजे ले रही थी.

और फिर कुछ ही देर में मैंने उसे टोपलेस कर दिया. और फिर मैंने उसे निचे कर दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. मैंने उसकी और अपनी दोनों की टी शर्ट निकाल दी. हम दोनों ही टोपलेस थे अब. मैंने उसके मस्तक, आँखों, दाढ़ी, नाक, कान, गले को और फिर बूब्स को किस किया. मैंने उसके हाथ को कंधे के पास से पकड के ऊपर कर दिया. उसकी बगल में बाल नहीं थे और फिर उसके पिंक चुचे और मस्त चुचिया देखि मैंने.

मैं उसे किस कर रहा था. और उसने मेरे शोर्ट को पकड़ के घुटनों तक खिंच दिया. मेरा खड़ा लंड उसके पेट को टच हो रहा था. उसने मेरे माथे को पकड़ के अपनी तरफ खिंच लिया. मैंने अपनेआप को थोडा एडजस्ट किया ताकि मैं सही तरह से उसके बूब्स को चूस सकूँ. उसके बूब्स बड़े ही कडक थे और निपल्स एकदम हार्ड. वो एकदम एक्साइट हो चुकी थी और उसकी साँसे एकदम तेज चल रही थी.

अब उसने मेरे लंड को पकड़ के हिलाना चालू कर दिया. वो मुझे मस्त हेंडजॉब दे रही थी और उसकी वजह से मैं और भी एक्साइट हो रहा था.

उसकी आँखे बंद हो गई और वो अपने लोवर लिप्स को चूसने लगी. मैं ऊपर को हुआ ताकि वो मेरे लंड को सही पकड़ सके. वो मुझे हलकी हलकी किस दे रही थी और फिर धीरे धीरे निचे हो के वो मेरे लंड पर चली गई. मैंने झुक के उसके बरमूडा को उतार फेंका. और वो सिन क्या जोरदार था! मैं और मेरी कामवाली बिस्तर के अन्दर पुरे के पुरे नंगे! और बहार हो रहे बरसात की आवाज!

मैंने लक्ष्मी की टांगो को खोल दिया. और उसकी चूत वाला हिस्सा भी बिना बालवाला ही था. उसकी चूत एकदम सेक्सी थी और उसके लिप्स एकदम पिंक थे.

मैंने उसकी क्लाइटोरिस को हिलाने लगा. वो मोअन कर रही थी. उसने मेरे हाथ को पकड़ा और मेरी ऊँगली को अपनी चूत की तरफ बढ़ाया. वो निचे पूरी तरह से गीली हो गई थी. मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली और उसे ऊँगली से फिंगर फक देने लगा. और फिर मैंने निचे हो के लक्ष्मी की प्यारी सी चूत को अपनी जबान से चाटना चालू कर दिया. वो एकदम उत्साहित थी और रोमांचित थी. वो दो बार झड़ चुकी थी. मैंने उसकी चूत को चाट चाट के साफ़ किया और चूसता रहा.

कुछ देर के बाद मैं थक चूका था. मैंने उसे पीछे घुमने के लिए कहा. वो पलट गई. मैंने उसकी गांड की फांको के बिच में अपना लंड रख दिया. मैंने हाथ को आगे कर के उसके बूब्स पकड़ लिए और पीछे से एक धक्का लगा के लंड को उसकी चूत में भर दिया. वो आह्ह्ह कर उठी. मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में चिकनाहट की वजह से एकदम आराम से घुस चूका था. उसके बदन में कम्पन हो रहा था.

कोई खून नहीं निकला, वो वर्जिन नहीं थी!!!

मैं उसे चोदने लगा. मैं अपने बदन का पूरा जोर दे के उसे झटके लगाते रहा. वो भी आगे पीछे हो के मरवा रही थी अपनी. मेरा वीर्य छटकने को था तब मैं थोडा रुका और अपने लंड को मैंने उसकी क्लाइटोरिस के ऊपर घिसा. फिर से एक बार लंड को अन्दर डाल के मैंने उसे चोदा. मेरे लंड को झड़ने से मैं रोक नहीं सका. और एन मौके पर लंड को बहार निकाल के मैंने उसकी कमर पर ही अपने शुक्राणु छोड़ दिए!

हम दोनों थक चुके थे. और एक दुसरे को बाहों में भर के सो गए!

दोस्तों ने मेरी माँ का गेंगबेंग किया और चुत फाड़ी

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दोस्तो, मेरा नाम अमन है, मैंने मेरी चुदक्कड़ माँ की चूत और गांड चुदाई की थी. उस दिन मेरी माँ शिल्पा ने मुझे बताया कि उसने किस किस से अपनी चुदाई करवाई थी. मैं उसके मुंह से ये सब सुनकर एकदम चौंक गया कि उसने मेरे 4 दोस्तों के साथ भी चुदाई करवाई है.

हम उस दिन चुदाई के बाद नंगे ही बिस्तर पर पड़े हुए थे तो मैंने शिल्पा से कहा- मेरी रंडी, तूने मेरे दोस्तों को चुदाई के लिए कैसे पटाया?

तो वो हंस कर बोली- मैंने उन्हें नहीं पटाया बल्कि उन्होंने मुझे ब्लैकमेल करके चोदा था.


मैंने उससे कहा- पूरी कहानी बता मेरी रानी?

तो शिल्पा ने मुझे उसकी चुदाई की कहानी बताई जो मैं आप सबके सामने उसी की तरफ से लिख रहा हूँ.

आगे की सेक्स स्टोरी मेरी माँ की जुबानी..

एक दिन जब तू स्कूल गया हुआ था तो तेरे पापा के दोस्त शर्मा जी मेरे घर आये, वो मेरी चुदाई करने ही आए थे.


हम दोनों चुदाई कर रहे थे तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी तो मैं बस गाऊन पहनकर देखने चली गई, देखा वो तेरा दोस्त राहुल था. उसने मुझे देखा तो उसे शक हो गया कि कुछ गड़बड़ है तो वो तेरे बारे में पूछने लगा तो मैंने उसे बता दिया कि वो स्कूल गया है.

मैं चाहती थी कि वो जल्दी से चला जाये मगर वो कुछ और ही सोच रहा था, वो बोला- आंटी अंदर नहीं बुलाओगी?

तो मैंने ना चाहते हुए भी उसे अंदर बुला लिया.

वो अंदर गया और बैठ गया फिर इधर उधर की बात करने लगा. मगर मुझे उसकी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी क्यूंकि उस वक़्त मेरी चुदाई अधूरी थी तो मेरी चूत में खुजली मच रही थी, मैं बार बार अपनी चूत खुजा रही थी.

यह बात राहुल ने देख ली, वो मुझसे बोला- आंटी कोई परेशानी है क्या?

मैंने ‘कुछ नहीं’ बोल दिया.

मगर तभी अंदर से शर्मा जी नंगे ही बाहर आ गए, उन्हें देखकर राहुल सब समझ गया मगर अब मेरी गांड फटने लगी.

राहुल को देखकर शर्मा जी अंदर भाग गए तो राहुल बोला- आंटी, ये सब क्या चल रहा है? मैं अमन को इस बारे में सब बताऊंगा.

अब मैं डर गई, मैंने उससे विनती की कि वो तुझे कुछ न बताये मगर वो बोला- इसमें मेरा क्या फायदा है?

तो मैंने कहा- तू जो कहेगा मैं वो करने के लिए तैयार हूँ.

राहुल के चहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई और उसने गाऊन के ऊपर से मेरे बूब्स पकड़ लिए और बोला- मेरी जान, मैं भी तुझे चोदना चाहता हूँ.

मुझे अंदाजा था कि वो ऐसा ही कुछ बोलेगा मगर फिर भी मैं थोड़ा नाटक करने लगी कि मैं ये सब नहीं कर सकती… तू मेरे बेटे जैसा है.

तो राहुल बोला- साली रंडी… यहाँ अपने यार से चुद रही है तो मुझसे चुदने में क्या परेशानी है?

और उसने यह कहते हुए अपना लंड बाहर निकाल दिया, उसका लंड 7 इंच लंबा था, उसका लंड देखकर मैंने कहा- ठीक है, तू कर लेना जो करना है मगर अभी नहीं अभी यहाँ से जा, मैं तुझे फ़ोन करके बुला लूँगी.

राहुल बोला- ठीक है मेरी जान… तेरे लिए एक सरप्राइज भी लेकर आऊंगा उस दिन!

फिर वो बोला- चल एक बार अपनी जवानी के दर्शन तो करवा दे?

यह कहकर उसने नीचे से पकड़ कर मेरा पूरा गाऊन ऊपर उठा दिया.

अब मैं उसके सामने नंगी थी, तभी उसने मेरी चूत में उंगली डाल दी मैंने उसे पीछे धकेलते हुए कहा- अभी नहीं!

तो वो मुझे चूमता हुआ चला गया.

अब मुझे शर्मा के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था, मैं गुस्से में कमरे में गई, उसे बोला- साले मादरचोद… तेरी गांड में इतनी क्या आग लगी थी जो बाहर माँ चुदाने आ गया?

तो वो बोला- डार्लिंग, मैं तो यह देखने आया था कि तुम इतनी देर से बाहर क्या कर रही थी?

यह कहकर उसने मुझे पकड़ लिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी.

मुझे अभी भी बहुत गुस्सा आ रहा था मगर चूत की आग के सामने गुस्सा ठंडा पड़ गया.

जैसे ही चुदाई ख़त्म हुई मैं गुस्से में आ गई और उसे बोला- साले, आज के बाद अपनी गांड जैसी शक्ल लेकर मेरे पास मत आना.

तो वो मुझे मनाने लगा मगर मैंने उसे घर से बाहर कर दिया और सो गई.

अगले दो दिन मैंने राहुल को फ़ोन नहीं किया. राहुल हमारे घर के पास रहता था तो एक दिन शाम को वो तुझसे मिलने आया और किसी काम से जब तू अपने कमरे गया तो वो किचन में मेरे पास आया और मेरी गांड पर एक थप्पड़ मार कर बोला- साली रंडी, तूने फ़ोन क्यूँ नहीं किया?

मैंने उससे कहा- मुझे समय नहीं मिला!

तो वो बोला- कल तू ऑफिस मत जाना, कल अमन के स्कूल जाने के बाद मैं आकर तेरी चुदाई करूँगा.

यह कहकर वो चला गया.

अगले दिन तेरे स्कूल जाने के बाद वो घर आया और आते ही उसने मेरे कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए, मुझे नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया.

मैं मन से उससे चुदाई नहीं करवाना चाहती थी मगर फिर भी मैं फंस चुकी थी.

फिर राहुल ने मेरे पूरे बदन को चूसना शुरू कर दिया; उसने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया; थोड़ी देर तक मैंने उसका लंड चूस फिर उसने 69 में आकर मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी; थोड़ी देर बाद उसने मुझे सीधा लिटाकर मेरी चूत में एक झटके में लंड डाल दिया; मेरी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई.

फिर वो मेरी चुदाई करने लगा और लगभग 15 मिनट चोदने के बाद मेरे मुंह में झड़ गया; फिर वो मेरे ऊपर से हटा तो मैं बाथरूम चली गई.

जब मैं वापस आई तो दरवाजे पर किसी ने घंटी बजाई तो मैं गाऊन पहनकर देखने चली गई.

जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तेरे 3 और दोस्त बाहर खड़े थे; मैं उनसे कुछ पूछती, उससे पहले ही वो अंदर आ गए; और दरवाजा बंद करके मुझे गोद में उठा लिया; और अंदर कमरे में ले जाने लगे.

मैं अचानक हुए इस हमले से डर गई.

उन्हें देखकर राहुल हँसने लगा; मगर मुझे परेशान देखकर बोला- मेरी जान यही है तेरा सरप्राइज!

तो मैं राहुल पर भड़क गई, मैंने उसे बोला- साले तूने मुझे समझा क्या है कि मैं किसी से भी चुदाई करवा लूँगी? अभी तुम सब यहाँ से निकल जाओ वर्ना मैं शोर मचा दूंगी.

अब वो सब डर गए; तभी राहुल मेरे पास आया और बोला- शिल्पा यार, हम चारों तुझे बहुत दिनों से चोदना चाह रहे थे; इसलिए हमने अमन से दोस्ती की थी. आज मौका मिला है; प्लीज हमें करने दो; सिर्फ एक बार तुम्हें चोदेंगे; फिर अगर तुम मना करोगी तो कभी नहीं आएंगे.

मैंने मन में सोचा कि मैंने पहले कभी 4 लड़कों के साथ एक साथ चुदाई नहीं करवाई है; तो यह भी करना चाहिए.

थोड़ा सोच कर मैंने हाँ कर दी; मगर मैंने बोल दिया- अगर सालो, किसी और को इस बारे में पता चला ना तो तुम्हारी गांड फटवा दूंगी.

वो चारों खुश हो गए और अपने कपड़े उतारकर नंगे हो गए; फिर चारों ने मिलकर मुझे भी नंगी कर दिया.

उन्होंने बिस्तर पर मुझे सीधा लिटाया; और अजय और अंकित मेरे बूब्स चूसने लगे; राहुल मेरे मुंह में अपना लंड डालने लगा और अमित मेरी चूत चाटने लगा.

मुझे उस वक़्त बहुत मज़ा आ रहा था; अमित के चूत चाटने से लग रहा था कि उसने पहले बहुत चूत चाटी थी.

तभी अमित ने अपना लंड मेरी चूत में डालकर झटके देने लगा; बाकि तीनों अपना काम बखूबी कर रहे थे.

फिर अजय ने अमित की जगह ले ली; वो मेरी चूत की चुदाई करने लगा.

ऐसे ही बदल बदलकर वो चारों मेरी चुदाई करने लगे.

फिर मैंने उनसे कहा- मेरी चूत और गांड में एक साथ लंड डालो.

अजय नीचे लेट गया; और मैंने उसका लंड अपनी चूत में सेट करके उसके ऊपर लेट गई; पीछे से अंकित ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया.

अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैंने ऐसे पहले भी चुदाई करवाई थी; वो दोनों बहुत अच्छी तरह से मेरी चुदाई कर रहे थे; थोड़ी देर चोदने के बाद राहुल और अमित ने उनकी जगह ले ली.

हमारी इस चुदाई का खेल शाम तक चला, इस बीच पता नहीं मैं कितनी बार झड़ी थी.

अब हम चारों ने अपने आप को साफ़ किया, फिर वो सब चले गए.

उसके बाद भी तेरे स्कूल जाने के बाद तेरे दोस्त आकर मेरी चूत मारते थे.

अपनी माँ के मुंह से चुदाई की कहानी सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया तो मैंने माँ से कहा- चल मेरी जान, आज एक बार फिर से तेरी चूत मारने के लिए मेरा लंड सलामी दे रहा है.

फिर मैंने माँ को घोड़ी बनाकर उसकी चूत और गांड का बाजा बजाया.

मेरी माँ आज भी मुझसे अपनी चुदाई करवाती हैं.

तो दोस्तो, आशा करता हूँ कि मेरी माँ की मेरे दोस्तों के साथ हुई चुदाई की कहानी आपको पसंद आई होगी.

हमेशा अपने ड्राईवर से चुदवाती हूँ

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हैल्लो दोस्तों, में एक शादीशुदा 32 साल की महिला हूँ, जो हमेशा ही अपने पति के साथ रहना चाहती है, लेकिन जैसा होता है कि सभी को सब कुछ नहीं मिलता है, वैसा ही मेरे साथ भी हुआ। मेरी शादी एक ऐसे व्यक्ति से हुई, जिनका काम हमेशा ही बाहर होता है। वैसे तो में उनसे खुश थी, लेकिन उनकी यही एक बात मुझे पसंद नहीं थी इसलिए शायद मेरे साथ ऐसा हुआ। फिर एक दिन में एक पार्टी से लौट रही थी (में अक्सर पार्टी में जाया करती हूँ क्योंकि मुझे इससे अच्छा टाईम पास कोई नहीं लगता है, वहाँ मेरी कई सहेलियाँ भी मुझे मिलती है) उस दिन मेरे पति को गये हुए पाँच दिन बीत चुके थे और वो एक हफ्ते और नहीं आने वाले थे, शायद इसलिए मुझे पार्टी में रात के 12 बज गये और लौटते समय मेरी कार भी खराब हो गयी तो मेरा ड्राइवर बोला कि चलो मेडम में आपको घर छोड़ देता हूँ, वैसे भी अब थोड़ी दूर बचा हुआ है इसके बाद में कार को ठीक करवा कर सुबह आ जाऊंगा।

तो मैंने भी ठीक है कह दिया, क्योंकि वो जगह ऐसी थी जहाँ से मुझे ना तो कोई टेक्सी मिल सकती थी और ना ही कोई और साधन। फिर जैसे तैसे में घर पहुँची, तो नौकरानी ने दरवाज़ा खोला, तो तभी मैंने और ड्राइवर ने एक साथ ही पानी की फरमाइश कर दी। फिर में अपने कमरे में चली गयी और थोड़ी ही देर बाद नौकरानी वहाँ पर पानी रख गयी। फिर में अपने कपड़े बदलकर जैसे ही बाथरूम की तरफ गयी, तो ड्राइवर ने कहा कि आप मुझे कुछ रुपए दे दीजिये ताकि में कार को ठीक करा सकूँ। फिर मैंने कहा कि ठीक है और फिर में अपने कमरे में जाकर पर्स से रुपए निकालने लगी तो तभी वो पीछे मेरे कमरे में भी आ गया। फिर मैंने उसको रुपए दिए और कहा कि 10 बजे तक ज़रूर आ जाना मुझे कहीं जाना है, तो वो कुछ भी नहीं बोला और बस हाँ में अपना सिर हिला दिया।

फिर तभी नौकरानी भी वहाँ आ गयी और बोली कि मेडम में अपने कमरे में जा रही हूँ, कोई ज़रूरत हो तो रुकूँ, वैसे मैंने खाना लगा दिया है, आप खा लीजिएगा। फिर मैंने कहा कि ठीक है और फिर वो चली गयी, उसका कमरा ऊपर था। फिर जैसे ही में बाथरूम की तरफ जाने लगी तो वो ड्राइवर भी जाने लगा।  अब पहले में सोच रही थी कि शायद वो कुछ उल्टा सीधा करने की फिराक में है, लेकिन फिर मैंने  सोचा कि में ही गलत थी, लेकिन मुझे क्या पता था कि अब में ही गलत हूँ? क्योंकि फिर जैसे ही में बाथरूम से निकली और अपने कमरे में गयी तो वो वहाँ आ गया और कहा कि मेडम आप मुझे बहुत अच्छी लगती है बस एक बार मुझे आपका स्वाद ले लेने दीजिए, फिर कभी भी में आपसे कुछ नहीं कहूँगा और ना ही किसी को बताऊंगा, तो में गुस्सा हो गयी और चिल्लाते हुए कहा कि तुम……।



तो तभी उसने मेरा मुँह पकड़ लिया और मुझे बेड पर फेंक दिया और मेरी गाउन को उतारने लगा और उसने अपने एक हाथ से मेरा मुँह पकड़ रखा था। फिर तभी मैंने अपने हाथों का उपयोग करके उसको मारने की कोशिश की, लेकिन में ऐसा नहीं कर सकी। तो इस पर वो बोला कि साली रंडी ना जाने किस- किस चुदवाती होगी? और आज में एक बार के लिए कह रहा हूँ, तो मना कर रही है।  फिर मैंने सोचा कि इस तरह से तकलीफ़ उठाने से क्या फ़ायदा? मज़ा ही ले लूँ और फिर मैंने अपने हाथ उसके लंड पर लगा दिए, तो इस पर उसने मेरा मुँह तो छोड़ दिया, लेकिन अब में और भी डर गयी थी, क्योंकि उसका लंड लगभग 9 इंच लंबा और 4 इंच मोटा था। फिर मैंने कहा कि सुनो ये ठीक नहीं है और मुझे डर भी लग रहा है। फिर उसने मेरा गाउन मेरी कमर तक उठाते हुए कहा कि ठीक-वीक छोड़िए मेडम, में आपको वो मज़ा दूँगा जो आपने कभी नहीं लिया होगा, तो मैंने कहा कि लेकिन तुम्हारा बहुत बड़ा है।

फिर उसने कहा कि ये मर्द का है मेडम और आपकी कौन सी छोटी है, ना ही आप कुंवारी है, मेरी बीवी जब कुँवारी होकर झेल गयी तो आप तो झेल ही जाएगी और फिर उसने मेरी पेंटी में अपना हाथ डालकर मेरी चूत को छुते हुए कहा कि इसमें बहुत दम होता है मेडम और फिर उसने मेरी पेंटी उतार दी और अपने कपड़े उतारकर मेरे ऊपर आ गया। फिर उसने मेरा गाउन फाड़ दिया और मुझे चूमने लगा और में भी उसे चूमने लगी। अब इससे में बहुत गर्म हो गयी थी, फिर तभी उसने मेरी ब्रा भी उतार दी और मेरे बूब्स को बहुत ज़ोर जोर से दबाने लगा। फिर मैंने अपना एक हाथ उसके लंड पर रखा जो बहुत तना हुआ था। फिर मैंने कहा कि अब जल्दी करो, तो उसने मुस्कुराते हुए अपना थूक बाहर निकाला और अपने लंड पर लगाकर मेरी चूत के मुँह पर रखा और मुझे ज़ोर से पकड़ लिया, वो भी इस तरह जैसे में कोई छोटी सी चीज़ हूँ और एक ज़ोर से धक्का मारा।

अब मेरी चीख निकलने वाली थी कि तभी उसने मेरे मुँह को भी अपने मुँह से बंद कर दिया और मुझे चूमने लगा, शायद उसे पता था कि मुझे दर्द होगा और में चीखूँगी। अब में छटपटा रही थी और उसकी पकड़ से निकलना चाहती थी, लेकिन उसने मुझे इस तरह से पकड़ा था कि में नहीं निकल पाई। अब वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाकर अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल चुका था और फिर उसने जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। फिर थोड़ी देर के बाद मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और मेरे मुँह से सीयी अया अया अया आ और ज़ोर से की आवाजें निकलने लगी और फिर थोड़ी देर के बाद में झड़ गयी और मेरे बाद वो भी झड़ गया। इस तरह मैंने अपने पति को धोखा दिया, लेकिन मुझे मज़ा ज़रूर आया। अब में हमेशा अपने ड्राईवर से चुदवाती हूँ और फुल मजे करती हूँ। अब मुझे पति के छोटे लंड से ज्यादा मजा ड्राईवर के मोटे लंड में आता है।

पहली बार सेक्स में 5 लोगो संग गैंगबैंग चुदाई

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ये कहानी सुरभि की है जो की पहले कभी किसी के साथ सेक्स नही की थी और एक ही बार सुरभि की पहली चुदाई गैंग बैंग में नंगी होकर 5 लड़कों से हुई जिसमे वो खुलकर चुदी,आइये आगे की कहानी हम सुरभि की जुबानी ही सुनते है. मेरी पहली हार्डकोर गैंग बैंग चुदाई की कहानी सेक्स कहानियाँ, सामूहिक चुदाई, ग्रुप सेक्स, मैं सुरभी आपको अपनी कहानी सुना रही हूँ। अभी मैं केवल 23 साल की हूँ पर मेरे मम्मे 34 साइज के है, कमर पतली 30 की है और हिप्स 32 के है। मैं देखने में बिलकुल कयामत लगती हूँ। मैं जिधर से भी निकलती हूँ जवान तो जवान बुड्ढों के भी लण्ड अग्नि मिसाइल की तरह खड़े हो जाते है। हर आदमी बस मुझसे एक बार कसके चोद लेना चाहता है।हाँ तो दोस्तों ,इसकी सुरुवात ऐसै होती है।

मैं जब 17 साल की कली हुई तो मेरी सहेलियां अपने आशिक़ो से खूब चुदवाती थी। और अपनी दास्तान मुझे सुनाती थी। मैं शर्मा जाती थी और दिखावा करती थी की मैं उनकी कोई बात नही सुन रही हूँ और ना ही मुझसे मजा आ रहा है। जबकि हकीकत ये थी की मैं कान लगाकर उनकी बात सुनती थी। मेरा भी मन करता था कि काश मेरा भी कोई आशिक़ होता और मुझे सलवार फाड़ के मेरी चूत फाड़ के रख देता।

असल में मैं एक अच्छे परिवार से बेलोंग करती थी। मेरे पप्पा डॉक्टर थे और मम्मी इनकम टैक्स ऑफिसर थी। मैं कभी बसों, या टेम्पो में नही चलती थी। हमेशा एक ड्राइवर मुझसे कहीं में ले जाता था। इसलिये मुझसे कभी किसी लड़के से बात करने का मौका नही मिला। पर धीरे धीरे मैं जैसे जैसे 17, 18, 19 साल पार करती गयी, मैं कली से खिला हुआ फूल बनने लगी। मैं दिन पर दिन जैसे ही रात होती मैं इंटेरनेट अपने लैपटॉप पर खोल लेती और ब्लू फिल्म देखने लगती। उस समय फेसबुक नही सुरु हुआ था। हाँ ऑरकुट शूरु हो गया था। पर दोस्तों, मैं रात में सिर्फ लंबे लंबे मोटे मोटे लण्ड के बारे में ही सोचती रहती और ब्लू फिल्म सारि सारी रात देखती। जब मेरी मम्मी चेक करने आती तो मैं जल्दी से किताब उठा लेती।


मेरी मम्मी समझती की लड़की बड़ी पढ़ाकू है और रात के 11-12 बजे भी पढ़ रही है। पर मम्मी नही जानती थी की उनकी लड़की अब जवान हो गयी है। वो लंबे लंबे रास से भरे लण्ड के बारे में जान गई है। उनकी बेटी चूत चुदाई के बारे में सब जान गई है। मर्सी! मुझसे भी चुदना है! अपने दोस्त से मुझसे चुदवा दो। मैं तुमको पिज़्ज़ा खिलाऊंगी मैं अपनी दोस्त मर्सी से कहा। हम साथ में ग्रेजुएशन कर रहे थे।ठीक है मैं अपने बॉयफ्रेंड लियो से बात करुँगी मर्सी बोली मैं बेसब्री से चूदने का इंतजार करने लगी। शानिवार रात को मर्सी के बॉयफ्रेंड ने अपने फार्महाउस में पार्टी दी। पार्टी में बेयर, व्हिस्की, रम, ग्रिल्ड चिकन, और बर्बेक़यु था। मर्सी के कहे अनुसार मैं शॉर्ट स्कर्ट में गयी। मेरी टांगे झांघे ठक् दिख रही थी। पार्टी के वक्त ही लियो ने मर्सीी। मर्सी ऊपर कमरे में चली गयी। मैं जान गयी की अब वो चुदेगी। करीब 1 घण्टे बाद मर्सी लौटी उसकी लिपस्टिक, काजल बिखरा हुआ था। अरे मर्सी? इतनी देर कहाँ लग गयी मैं पूछा 3 राउंड के खेल कर आई हूँ! मर्सी ने बताया।

मेरा खून एकदम से जल गया। अब 3 राउंड के बाद लियो मुझे क्या चोदेंगे। अब तो वो चादर तान कर ac चला कर सोयेगा। मर्सी ने मुझे कमरे में ऊपर भेजा। पर देखा तो लियो से व्हिस्की के 2 पेग लगाकर वो बेड पर पसर गया था, वो भी बिलकुल नंगा। दोस्तों, इस तरह मेरी चूदने की इक्षा ना पूरी हो सकी।कुछ दिनों बात श्लोक जो मेरी क्लास में है , थोड़ा काला कलूटा सा है मुझे लाइन देने लगा। मैं उससे पट गयी। मैं श्लोक को डेट करने लगी। वो मुझे अपनी करिश्मा बाइक पर बैठाता। हम दोनों, मॉल,जाते, मल्टीप्लेक्स में पिक्चर देखते। कभी कभी हम डिस्को भी जाते। पता नही क्यों मैं कुछ ज्यादा ही वाइल्ड हो गयी। यार श्लोक, तू बस मुझे बस घुमाएगा ही या कुछ करेगा भी?? मैंने श्लोक से पूछा उस दिन श्लोक अपने पापा की होंडा सिटी लेकर आया था। क्या मस्त गाडी थी। बिलकुल हवाई जहाज की तरह चलती थी। ac बड़ी मस्त थी। गर्मी में सर्दी और सर्दी में गर्मी। पार्टी करते 1 बज गए थे। हम बार से निकले ही थे।

कार में श्लोक ने मुझ पकड़ लिया। सुरभी, तो भी कार में ही दे दे! श्लोक बोला अबे चूतिये, इसमें पूछना क्या, चल चोद मुझे, मैं तो कब से इंतजार कर रही हूँ! मैंने व्हिस्की के नशे में कहा श्लोक ने मुझसे पकड़ लिया और ताबड़ तोड़ मेरे जवाँ जिस्म पर किस्सेस की बरसात कर दी। उसने एक अँधेरे वाली जगह पार्क की थी। हम एक मॉल की अंदर ग्राउंड पार्किंग में थे। श्लोक से अपनी हौंडा सिटी की सीट पीछे कर दी थी। मैं आराम से लेट गयी थी और अपनी सील तुड़वाना चाहती थी।

श्लोक ने मेरी शार्ट स्कर्ट ऊपर कर दी और मेरी चिकनी टांगों को चूमने लगा। धीरे 2 वो ऊपर बढ़ने लगा। फिर वो मेरी मांसल झंघों पर पंहुचा और किश करने लगा। आँख उसने मेरी डिजायनर पैंटी ढूंढ ली और मेरी चूत को चड्ढी के ऊपर से ही चूमने लगा। मैं गरम होने लगी। श्लोक ने मेरा टॉप जिसमे ब्रिटनी स्पीयर्स बनी थी निकाल दिया। आज तक मैं सिर्फ अपनी मम्मी के सामने नंगी हुई थी, पर आज दूसरी बार श्लोक के सामने नंगी हो रही है। बिना नंगी हुए आखिर मैं कैसे चुदवा सकती थी। श्लोक मेरी ब्रा निकलने लगा। मैंने विरोध नही किया। फिर उसने खुद को नंगा किया और मेरी डिजायनर पैंटी भी निकाल दी। श्लोक ने कार को लॉक कर लिया जिसने कोई अंदर ना आ पाए। उसने सारी लाइट्स बन्द कर दी। मैंने अपने नाजुक पतले पतले हाथ अपने सिर के नीचे रख दिए। श्लोक मेरे बूब्स पिने लगा। वो बड़ी लग्न ने मेरी निप्पल्स पी रहा था। बिच बीच में वो कभी कभी मेरे काले निपल्स को काट भी लेता था। मैं चिहुँक उठती थी।


फिर श्लोक मेरी पुसी की ओर बड़ा। मेरी पुसी किसी भट्टी की तरह गर्म थी। श्लोक मेरी पुसी चाटने लगा। वो अपनी जीभ को गोल गोल घुमाकर मेरी चूत चाट रहा था। मुझे थोड़ी गुदगुदी भी हो रही थी। वाकई दोस्तों, चूत चतवाने में बहुत आनंद मिलता है। आज मैंने जाना। जब चूत चतवाने में इतना मजा मिलता है तो चुदवाने में कितना मजा मिलेगा। मेरा क्लासमेट श्लोक मेरी चूत को ऊपर से नीचे उसकी मुलायम तहो में चाटने लगा। लगा मै कहीं झड़ ना जाऊ। श्लोक ने फिर अपना फोन निकाला।

अपनी ऊँगली से मेरी चूत को फैलाया और मेरी गुलाबी कुंवारी झिल्ली की फोटो खींची। मैं कोई विरोध् नही किया। उसने मेरे पैर कार के बोनट पर रख दिए। उसने मेरी चूत पर एक दो बार ऊपर से नीचे तक ऊँगली फिराई फिर अपने बड़े से लण्ड को एक दो बार मुठ मारके ताव दिया। मेरी धड़कन बढ़ गयी। हाय! अब मैं भी चूदने वाली थी। आज मैं भी अपनी फ्रेंड्स की तरह लण्ड खा जाऊंगी। मेरी धड़कन बढ़ गयी। इस बात का डर भी था कज कहीं सिक्योरिटी गार्ड ना आ जाए और हम लोगो को रंगे हाथ पकड़ ले। श्लोक ने अपने फ़ोन की रिकॉर्डिंग खोल दी और एक जगह सेट कर दिया।

श्लोक जरा धीरे करना भाई! कम दर्द हो! मैंने कहाओए सुरभी! मुझे भाई मत बोल। मुझे बहनचोद नही बनना है। और रही बात दर्द की सब लौंडियों को पहली बार होता है! श्लोक बोला मैंने अपनी आँखे बंद कर ली। मैं अपने पापा की बहाःदुर बेटी बन गयी। श्लोक ने अपनी अग्नि मिसाइल मेरे लॉन्चिंग पैड यानि मेरी चूत पर रखी और ये जोर का दम लगाया। बाप रे!! मेरी तो माँ चुद गयी। लगा की किसी ने मुझे चाकू मार दिया हो। मैं छटपटाने लगी। श्लोक ने मेरे दोनों पतले चिकने पैर कस के पकड़ लिए और लण्ड को ऊपर लाया और फिर से पेल दिया मेरी कुंवारी चूत की गहराई में उसका लण्ड लाल लाल हो गया। जैसे उसने अपने मोटे लण्ड को लाल स्याही की शीशी में डूबा दिया हो। मैंने डरकर आँखे नही खोली। मैं दर्द बर्दास्त कर गयी।

मैं अपने पापा की बहादुर बेटी थी। श्लोक मेरी लाल स्याही की शीशी में डुबकी लगाता रहा। आधे घण्टे बाद दर्द कम हो गया।सुरभी डार्लिंग! ओपन योर आईज! श्लोक श्लोक मैंने आँखे खोली। बस बेबी नॉव टेक थे प्लेजर ऑफ़ फकिंग!! श्लोक बोला।वो मुझे झटके मार मार के चोदने लगा। सारी कार हिलने लगी और जंपिंग जंपिंग करने लगी। श्लोक ने मुझे कस के पकड़ लिया और रगड़ के चोदने लगा। कार डांस करने लगी।

फिर दोस्तों, मुझे चूदने में जो मजा आया की बता नही सकती। ओह!! मुझे चर्म सुख मिल गया। ऊऊऊऊ आहहा हा आ! जोररर से ! और तेजज्ज और क्स्स्स के मैं श्लोक ने रिक्वेस्ट करने लगी। श्लोक मुझे रगड़ के चोदने लगा। मैंने अपनी तांग पूरी खोल दी जिससे वो मेरी चूत फाड़ के रख दे। श्लोक के धक्कों को गिनना नामुमकिन था। बस कार में पट पट चट चट की आवाज ही गूंज रही थी। हम दोनों पसीना पसीना हो गए थे। मेरी गर्म चुदती हुई कुंवारी चूत की महक पूरी कार में फ़ैल गई थी। आप ये कहानी न्यू हिंदी सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.

श्लोक ने उस रात मुझसे ढाई घण्टे चोदा था। मैं कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाऊ उसने लण्ड निकाल लिया था और मेरे मुँह पर छोड़ दिया था। उसके गरमा गरम वीर्य को मैंने पूरा का पूरा चाट लिया था। फिर हमने कपड़े पहने। अब मैं श्लोक से ज्यादातर मॉल्स की कार पार्किंग में पेलवाती थी।ई वांट टू डु गैंग बैंग!! एक दिन यूँ ही मजाक मजाक में मैंने उसे व्हाट्स अप कर दिया। श्लोक समझा की मैं सीरियस हूँ। उसने लियो, रूद्र, अंशुमान, और विक्रम से बात करली। मुझसे उन चारो की प्रोफाइल भी भेज दी। सारे लड़के खूब हट्टे कट्टे थे। मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं एक साथ 5-5 लण्ड लुंगी कितना मजा आएगा। मेरे पहले गैंग बैंग की प्लानिंग होनी लगी। लियो ने प्लानिंग की की उसके फार्महाउस पर ही मेरा गैंग बैंग होना चाहिए। आखिर वो दिन आ गया। संडे की सुबह सभी दोस्त अपनी अपनी कार लेकर आ गए।

मैं अपनी स्विफ्ट डिजायर लेकर पहुँची। लियो बेयर की 5 कार्ट ले आया। इसमें 60 बोतले बिअर की थी। विक्रम थोड़ा कोकीन ले आया जिससे और मजा आये। श्लोक, अंशुमान भी चिचेन सैंडविच ले आये। रूद्र कंडोम के कई पैकेट्स, और सेल्डेनफिल की गोलियां ले आया, जिससे मुझे वो सब बार बार रगड़ रगड़ के चोद सके।दोस्तों, मुझसे थोड़ी शरम आ रही थी, बस ये जल्द ही दूर हो गयी। क्योंकि ये पांचों लड़के मेरे क्लासमेट थे। सब मेरे साथ ही पढ़ते थे। सुरभी!! शो अप बेबी!! लियो बोला। मैंने अपने सारे कपड़े उतार फेके। श्लोक से पहली चुदाई के बाद मैं खुल गयी थी। लियो मेरे पास आया और मेरे तने हुए बूब्स को पिने लगा। उधर विक्रम, श्लोक, अंशुमान, रूद्र ने अपने कपड़े उतार दिए। पांचो के जवान मोटे मोटे लण्ड लहराने लगे जैसे सर्दियों में खेतों में सरसों लहराने लगती है।

रूद्र, विक्रम, और लियो जिम जाते थे। जिनके 6 पैक थे। इसलिए इनके लण्ड जादा बड़े, पुस्ट व हट्टे कट्टे थे। लियो और रूद्र मेरे एक एक बूब्स पिने लगी जबकि बाकी बिअर गटकने लगे। लियो ने एक बोतल मुझे भी पिला दी। मैं भी नशे में हो गयी।ऐ गाँडुओं! जिसका लण्ड सबसे बड़ा और लम्बा हो वही मुझे फक करेगा!! मैंने कह दिया। पांचो लड़के सीटी मरने लगे की मैं खुलकर चुदवा रही हूँ।विक्रम ही सबसे पावरफुल लगता था। उनका कॉक भी 12इंच का था। उसने मुझसे सोफे पर बैठा दिया और मेरी गाण्ड के पीछे से आकर कुत्तों की तरह मेरी चूत चाटने लगा। उफ़्फ़!! जितनी जल्दी जल्दी वो जीभ दौड़ा रहा था, मुझसे चर्म सुख मिल रहा था।बेबी, हु टूक यूर वर्जिनिटी?? विक्रम ने पूछा।ई डिड! श्लोक ने हाथ खड़ा किया।ऐसा कड़क मॉल नही देखा! सिर्फ एक बार की चुदी लौण्डिया हमे गैंग बैंग ले लिए मिल गयी!! वी पीपल आर लकी!! विक्रम बोला।

वो जल्दी जल्दी मेरी चूत चाटने लगे। उसने मुझसे लेटाया नही था। बल्कि सोफे के हत्थे का सहारा देकर बैठा दिया था। विक्रम ने अपने हाथ में ढेर सारा थूक लिया, अपने लौड़े पर मला और पेल दिया मेरी गुलाबी पुसी में और मुझे चोदने लगा। मैं मजे से चूदने लगी। तब तक लियो आया और उसने मेरे मुँह में अपना लण्ड दे दिया। मैं आँखे बंद किये चूसने लगी। फिर रूद्र को विक्रम से जलन होने लगी। वो मेरे नीचे बैठकर मेरे बूब्स पिने लगा। अंशुमान का लौड़ा भी ईर्ष्या महसूस करने लगा। वो मेरे पास आकर मेरे पीठ और मेरे गोल गोल चुत्तड़ सहलाने लगे। एक साथ 4 5 लड़कों के स्पर्श से मदहोश होने लगी। उफ्फ्फ!! दोस्तों मैं जन्नत में थी।

आप भी कभी गैंग बैंग करके देख्ना। मजा आजाएगा। मैं खुद को रानी मधुमक्खी जैसी महसूस कर रही थी। ये पांचो लड़के मेरे सर्वेन्ट थे। विक्रम मुझे गाचागच चोदने लगा। उधर लियो मेरा मुँह चोदने लगा। रूद्र मेरे बूब्स पी पीकर मुझे अतिरिक्त उत्तेजना दे रहा था। रूद्र मुझसे मेरी नंगी पीठ पर कन्धों से मेरे चुत्तड़ो तक बड़े प्यार से सहला रहा था। फ्रेंड्स, ई कैन नॉट एक्सप्लेन , ई वास् इन हेवन!! आधे घण्टे तक मुझे चोदने के बाद विक्रम हट गया। अब लियो मुझे चोदने लगा, श्लोक आकर मेरे मुंह को चोदने लगा। फिर 40 मिनट बाद लियो झड़ गया। अब रूद्र मेरी गुलाबी चूत पीछे से मारने लगा मुझे बैठाकर अब अंसुमान मेरे मुँह को चोदने लगा। फिर अंशुमान और श्लोक ने भी बारी बारी मुझे चोदा और मेरी गुलाबी पुसी को फाड़ के रख दिया।फिर हम सबसे थोड़ा रेस्ट किया। हमने चिकन खाया व्हिस्की पि। थोड़ी कोकीन भी खींची। सबने मुझे बिना कंडोम के चोदा।

फिर सबने सिल्डेनाफिल की गोलियां खायी। सबका लण्ड जो मुझे चोद चोद कर सुख गया था, फिर से जाग गया। इस बार रूद्र मुझे सबसे पहले चोदने खाने लगा। फिर अंशुमान ने, फिर श्लोक ने, फिर लियो और विक्रम ने। उन संडे को मैं पूरा दिन खुलकर चुदी। मैंने पांचो के लण्ड भी खूब चूसे। सच में दोस्तों लण्ड चूसने में भी कम मजा नही मिलता है। मैं सिर हिला हिलाकर अपने मुंह में गले तक लँडों को चूस रही थी। उसके सीमेन को निगल जाती थी।

मैंने बिलकुल उसी तरह अपना गैंग बैंग किया था, जैसा मैं ब्लू फिल्म्स में छुप छुपकर देखा करती थी। मेरे गैंग बैंग में मेरे रिसोर्सेस का पूरा यूज़ हुआ। पांचो फ्रेंड्स ने मेरे बूब्स जी भरकर पिए, और मेरी गुलाबी पुसी को खूब बजाया।कैसी लगी मेरी सेक्स स्टोरी , अच्छा लगी तो शेयर करना, अगर कोई मेरी चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में मेरी कहानी के बारे में लिखे की आपको ये कहानी कैसी लगी और आप मुझे किस स्टाइल में छोड़ेंगे ये भी बताये.

जेठ जी के अंधेपन का फायदा

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हैल्लो दोस्तों, में प्रियंका और यह मेरी एक सच्ची घटना है जिसको में आज आप सभी को सुनाने जा रही हूँ. दोस्तों यह मेरी पहली कहानी है तो प्लीज आप सभी मेरी गलतियों को माफ़ करें और अब में थोड़ा अपने बारे में बता दूँ कि मेरा नाम प्रियंका है और में बिहार की रहने वाली हूँ, मेरी उम्र 25 है और मेरे जिस्म का हर एक हिस्सा एकदम सही आकार में है मेरे बूब्स बड़े ही सेक्सी बिल्कुल गोल आकार के है और हर किसी को एकदम अपनी तरफ आकर्षित कर ले, ना ज़्यादा बड़े ना ज़्यादा छोटे, मेरा रंग गोरा, लम्बाई 5 फीट है और अब में अपनी कहानी शुरू करती हूँ.


यह कहानी तब की है जब में 21 साल की थी और जब मेरी शादी हो गयी थी, लेकिन मेरी विदाई शादी के तीन साल के बाद हुई क्योंकि हमारे यहाँ गोना की परंपरा है जिसमे शादी के कुछ दिनों के बाद विदाई होती है, लेकिन दोस्तों जब में 18 साल की थी तब मुझे सेक्स के बारे में थोड़ा थोड़ा पता चलने लगा था और मैंने कई बार छुप छुपकर भैया-भाभी का सेक्स भी देखा था और अब मेरे इंतजार की घड़ी खत्म हो गई और मेरी सुहागरात की रात आ ही गई, में जिसके बारे में सोच सोचकर मन ही मन बहुत खुश थी.

फिर वो मेरे पास आए और मुझसे बिना कुछ बोले ही वो अपने कपड़े उतारने लगे और फिर पूरे नंगे हो गये. मुझसे भी अब रहा नहीं गया और मैंने भी अपने सारे कपड़े खुद ही उतार दिए क्योंकि आग दोनों तरफ लगी हुई थी. वो स्माईल करते हुए मेरे ऊपर टूट पड़े. मैंने सोचा कि वो पहले मेरे होंठ पर स्मूच करेंगे, लेकिन स्मूच तो बहुत दूर था और उनका हमला मेरी चूत पर हुआ तो में जोश में आ गई क्योंकि मुझे ऐसा एहसास पहले कभी नहीं हुआ था और दस मिनट तक वो मेरी चूत को चाटते रहे और में पड़ी पड़ी सिसकियाँ लेने लगी उह्ह्ह आह्ह्हह्ह अब मुझसे भी रहा नहीं गया और में भी उनका लंड पकड़कर रगड़ने लगी.


दोस्तों उनका लंड बिल्कुल जलते लोहे की तरह गरम, लाल और तनकर खड़ा था और इस चूसने चूसाने में हमें पता ही नहीं चला कि कब हम 69 की पोज़िशन में आ गये, लेकिन अब थोड़ी देर बाद उनका अटेक सीधा मेरी बैचारी चूत पर हुआ, लेकिन समस्या यह थी कि उनका लंड अंदर जा ही नहीं रहा था. फिर उन्होंने तब थोड़ी वेसलीन अपने लंड पर लगाई और थोड़ी मेरी चूत पर भी लगाकर एक ही ज़ोर के धक्के से लंड मेरी चूत में डाल दिया.

में उनकी इस बेरहमी की वजह से बहुत ज़ोर से चीख पड़ी क्योंकि अब मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था और मेरी चूत से खून भी निकल रहा था. तभी मैंने देखा कि वो भी अपने लंड को पकड़कर धक्के दे रहे थे क्योंकि उनके लंड का ऊपर वाला हिस्सा पलट चुका था शायद वो भी अभी तक मेरी तरह वर्जिन ही थे इसलिए उन्हें दर्द हो रहा था. वो रुक गये और मेरे बूब्स को मसलने लगे.

फिर दो चार मिनट बाद हमारी चुदाई एक बार फिर से शुरू हो गई और अब हम दोनों जल्दी ही झड़ गये. फिर हम दोनों वैसे ही सो गये और उनका लंड उस पूरी रात मेरी चूत के अंदर ही रहा और रात भर हम एक दूसरे से लिपटे ही रहे. फिर जब सुबह हुई तो उन्होंने पहली बार मुझसे बात की और मुझसे पूछा कि क्यों कैसा लगा कल रात को? तो में उनके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से शरमा गई और में फ्रेश होने बाथरूम में चली गई.

फिर मैंने तैयार होकर अपने सास ससुर का आशीर्वाद लिया. दोस्तों में अपने ससुराल वालों से परिचय करवाती हूँ, मेरे पति तीन भाई है और उनसे बड़े वाले बचपन से ही अंधे है इसलिए शायद अब तक उनकी शादी नहीं हुई थी और छोटा वाला भाई स्कूल में पढ़ता था. वो हमेशा अपने घर से दूर रहकर अपनी पढ़ाई करता. दोस्तों अब पूरे दो साल गुजर गये थे और अब मेरे पति थोड़े थोड़े ठंडे पड़ने लगे थे. शायद उन्हें अपने काम काज की टेंशन कुछ ज़्यादा हो गई थी और में उतनी ही गरम होती जा रही थी और अभी तक हमें कोई भी बच्चा नहीं हुआ था.


फिर अचानक एक हमें खबर मिली कि मेरे सास ससुर का कार एक्सिडेंट हो गया है और दोनों की मौत हो गई है और इस खबर का सबसे ज़्यादा दुख मेरे पति के बड़े भाई को हुआ क्योंकि वो ही दोनों थे जो उस अंधे की लाठी थे कुछ समय के बाद सब सामान्य हो गया. फिर एक दिन हमे खबर मिली कि मेरे पति का तबादला दूसरी जगह हो गया है. में उनके साथ जाना चाहती थी, लेकिन उनके अंधे भाई के कारण नहीं जा पाई और अब घर पर में और पति के बड़े भाई ही रह गये थे. मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि में उनकी वजह से अपने पति के साथ जा नहीं पाई.

फिर रात को में सो गई तभी मुझे कुछ गिरने की आवाज़ आई, वो हुआ क्या था कि सूरदास जी बाथरूम में गिर गये थे. मैंने पूछा कि क्या हुआ? तो वो बोले कि में सू सू करने आया था और मेरा पैर फिसल गया और में गिर गया. बहू तुम मुझे प्लीज़ कमरे तक पहुंचा दो. मैंने उनकी मजबूरी को देखकर उन्हे उठाया तो उनकी लूँगी नीचे गिर गई और उनका काला सांप जैसा लंड अचानक से मेरा हाथ में आ गया, लेकिन उन्हे कुछ नहीं हुआ, शायद अंधे होने के कारण उन्हें सेक्स का ज्ञान नहीं था.

फिर मैंने उन्हे उनके रूम तक पहुंचा दिया और अब में अपने रूम में आकर लेट गई, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी फिर में कुछ देर के बाद उठी और बाथरूम में जाकर सू सू करने लगी. तभी मैंने सोचा कि क्यों ना अंधेपन का फायदा उठाया जाए और में तेल लेकर उनके कमरे में चली गई और उनके लंड की मालिश करने लगी. वो जाग गए और मुझसे पूछा कि कौन है? तो मैंने कहा कि में हूँ और में आपकी मालिश करने आई हूँ, शायद आपको दर्द हो रहा होगा. वो बोले कि वो सब तो ठीक है, लेकिन आज तक किसी ने मेरी मूती मालिश नहीं की, तो मैंने कहा कि इसे मूती नहीं लंड कहते है और में तो आपके भाई की हर रोज़ करती थी.

वो बोले कि ठीक है और में अब लगातार उनका लंड रगड़े जा रही थी, लेकिन मैंने महसूस किया कि उनके लंड में बिल्कुल भी तनाव नहीं आ रहा था. फिर में उसे चूसने लगी और कुछ देर चूसते चूसते उनका लंड अब खड़ा हो ही गया. दोस्तों तब मैंने बहुत ध्यान से देखा कि उनका लंड मेरी पति के लंड से थोड़ा बड़ा और मोटा था. फिर मैंने अपना पेटीकोट पूरा ऊपर किया और उनके लंड को चूत के मुहं पर रखकर धीरे धीरे बैठ गयी और फिर धीरे धीरे इधर उधर करके लंड को चूत में पूरा का पूरा अंदर डाल लिया उनका लंड जैसे जैसे मेरी चूत के अंदर जाता तो मेरे मुहं से चीख निकल जाती, क्योंकि बहुत दिनों से बिना चुदी होने की वजह से मेरी चूत बहुत टाईट हो गई थी और ऊपर से उनका वो मोटा, लम्बा लंड भी मेरी चूत पर कहर ढाने लगा था और अब कुछ देर बाद में लंड पर उछलने लगी. में उस समय पूरे जोश में थी इसलिए मुझे अपनी चूत को शांत करने के सिवा कुछ भी नहीं दिख रहा था.

फिर कुछ देर बाद वो मुझसे पूछने लगे कि तुम्हारी यह कैसी मालिश है? मैंने कहा कि यह मालिश आपको बहुत आराम और मज़ा देगी, लेकिन आप बस मेरा पूरा पूरा साथ देते रहो और फिर उन्होंने ऐसा ही किया. में लगातार लंड पर ऊपर नीचे बैठती रही और वो मुझे मेरी कमर को पकड़कर सहारा देते रहे और लगभग एक घंटे तक लगातार चुदने के बाद उनका गरम गरम वीर्य मेरी चूत में ही निकल गया.

मैंने उनसे पूछा कि क्यों कैसी लगी मेरी मालिश? तो वो बोले कि तुम मालिश को छोड़ो, यह देखो कि यह गरम गरम चिपचिपा सा क्या निकल गया है और में पूरी तरह ठीक तो हूँ ना? तो मैंने उन्हें बहुत प्यार से समझाते हुए कहा कि आपको कुछ नहीं हुआ है और यह तो हर लड़का लड़की करते है तब ऐसा ही निकलता है, लेकिन उन्हे अब भी कुछ समझ में नहीं आया और अब में ऐसे ही जब भी मेरा मन करता था उनकी लूँगी को एक साईड करके लंड पर बैठकर उनसे चुदवा लेती हूँ और आज मुझे एक बच्चा भी और मुझे पक्का विश्वास है कि यह बच्चा मेरे पति का नहीं है, लेकिन है तो घर का ही मेरे पति को पता नहीं है कि यह बच्चा उनका नहीं है और में अभी भी अपने पति से ज़्यादा उनके भाई से चुदवाकर अपनी चूत की आग को ठंडा करती हूँ क्योंकि मेरे पति अपनी नौकरी की वजह से हमेशा बाहर ही रहते है.

अंकल मम्मी पर चढ़े हुए थे

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मेरा पहला सेक्स अनुभव मेरी विधवा माँ के साथ का है। हमें बच्चा जानकर वह हमारे एक अंकल जी के साथ खुलेआम नंगी होकर सेक्स कर लेती थी। जब अंकल जी रात को हमारे घर रुक जाते तो मम्मी मुझे बहन के बिस्तर में सुला देती; नहीं तो मैं उनके साथ ही उन्हीं के बेड पर सोता था। हमने उनको नंगी होकर अंकल के साथ मस्ती करते खूब देखा था। मम्मी अक्सर अन्य मर्दों के साथ भी दिन में ही नंगी गुथमगुत्था कर लेती थी। लेकिन तब हम इन बातों का मतलब नहीं जानते थे।
एक रात अंकल मम्मी पर चढ़े हुए थे और मैं बहन के बिस्तर में था। अचानक मेरे भीतर कोई एक अनोखी तरंग पैदा हो गयी। अपने कमरे के दरवाजे को थोड़ा सा खोल के मैं मम्मी की रासलीला देखने लगा। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार फेंके और बहन को जगा लिया। मैंने कहा- चल मम्मी की तरह तू मुझसे लिपट जा। मैं अंकल की तरह तुझे ‘प्यार’ करूंगा।
बहन भी मम्मी की रास-लीला को मस्ती में देखने लगी। जब करंट बना तब मुझसे चिपट भी गयी। मेरा लंड पकड़ लिया। मैं उसके कपड़े उतारने लगा तो उसने  विरोध नहीं किया। हमें यह नहीं पता था मुझे मेरे खड़े लंड का क्या करना है? ना ही बहन को पता था की उसकी गीली हो रही चूत का राज क्या है! फिर भी लिपटा-चिपटी में ही बड़ा मजा आया और हम अक्सर ऐसा करने लगे।
एक रात, जब मैं कोई 18 साल का हो गया था, माँ के साथ लेटा हुआ था। रात के करीब डेढ़ बजे आँख खुली तो मैंने पाया कि मेरा लंड कड़क हो रहा है। कमरे में नाइट बल्ब का गहरा गुलाबी प्रकाश फैला हुआ था। माँ की तरफ देखा तो मेरे भीतर फिर वही तरंग जाग उठी- पेटीकोट के उघड़ जाने से मम्मी की मस्त जांघे नंगी चमक रही थी। बिना ब्रा के ब्लॉउज में भी उनके तगड़े उरोज मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे।
मैंने अंकल की तरह अपने कपड़े बड़ी तसल्ली से अपने कपड़े उतारे और बेफिकर हो मम्मी की चूत पर से रहा-सहा पेटीकोट का हिस्सा भी ऊपर को कर दिया। पूरी तसल्ली से उनकी चूत निहारते रहने के बाद मैंने उसे धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया। मम्मी निश्चित रूप से नींद में थी लेकिन उन्हें उसी दशा में जाने कितना मजा आने लगा कि वे अपनी टांगों को फैलाते हुए मदमस्ती में बोल उठी- आह जानी, अब चूसो इसे!
मुझे सिखाने की जरूरत नहीं थी। मैंने अंकल को यह सब करते खूब देखा था। मैं बिना समय गँवाये उनकी चूत को चाटने लगा। मम्मी भी अब तरंग में आने लगी।  अपने पैरों को पूरा फैलाते हुए उन्होंने मेरे सिर को पकड़ के अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया। साथ ही अपनी कमर को ऊँची करके चूत को मेरे मुंह में ठेलने लगीं। उनकी चूत अब तक इतनी गीली हो चुकी थी कि रस के मारे मेरा मुंह भरा जा था।
“अब डाल दो! जल्दी से डाल दो अपना गर्म लंड! फाड़ दो मेरा भोंसड़ा!” मम्मी तड़पने लगी थी।
मेरे कुछ समझ में नहीं आया तो मैं चूत चाटना छोड़ कर मम्मी के ऊपर पसर गया। उनके ब्लाउज के हुक खोल कर मस्त बूब्स को चूसने लगा। मम्मी ने आह-ऊऊऊह करते हुए टटोल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपनी चूत पर सेट करके खुद ही नीचे से ऐसा धक्का दिया कि मेरा पूरा लंड सरसराते हुए अंदर चला गया। मजा तो मुझे बहुत आया और जैसा मैंने अंकल को पेलते हुए हुए देखा था उसी तरह मैं भी मम्मी को पेलने लगा। एक  बार कमर उठा के धक्का देते ही इतना मजा आया कि बता नहीं सकता। फिर तो मैंने धकापेल मचा दिया। झटके पर झटका देता चला गया। किसी मशीन की तरह अब मेरा लंड माँ की चूत में सटा-सट भीतर बाहर हो रहा था। अब तक मम्मी की नींद पूरी तरह टूट चुकी थी। शायद उन्हें शंका हुयी। मजे लेते हुए ही वे पूछने लगीं- कौन हो तुम? आअह्ह! कैसी गजब की चुदाई! आह्ह, कितना मजा रहा है! आह्ह, पहले किसी ने मुझे ऐसा नहीं चोदा! इतना मजा किसी ने नहीं दिया! आह्ह्ह! पेलो, मुझे और भी जोर से पेलो! फाड़ दो मेरा भोंसड़ा!
मैंने उसे मजबूती से ऐसे पकड़ रखा था कि वह आस-पास देखने की स्थिति में भी नहीं थी। अचानक ही वह ईईईईईई करते हुए ढीली पड़ गयीं। लेकिन मैं पेलता रहा और तब अचानक मुझे ऐसा लगा मानो मेरा ‘पेशाब’  बेकाबू होकर उसकी चूत में निकला जा रहा हो। मैं चिल्लाया- ओह, मम्मी! मेरा पेशाब निकल गया!
मैंने गौर किया कि अवाक् मम्मी की आँखें पथरा सी गयीं और मुंह खुला-का-खुला ही रह गया। उन्होंने मुझे अब पहचाना कि उनकी चूत के रास्ते उनको ‘गजब का मजा’ देनेवाला लंड कभी उन्हीं की चूत से निकला था।

बॉस की वाइफ ने प्रमोशन दिलाया

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हेलो दोस्तों मेरा नाम विक्रम गुप्ता है मैं कानपुर से बिलोंग करता हूं मेरी उम्र 26 साल है मेरे लंड का साइज ७ इंच मोटा ४ इंच चौड़ा है.

जैसा की मैंने बताया मैं कानपुर से बिलोंग करता हूं, मैं जॉब के लिए आगरा गया, वहां मैंने एक इंस्टिट्यूट ज्वाइन कर लिया एस अ टीचर.. मेरी मुलाकात ओनर से हुई उन्होंने मेरा वेलकम किया और काम समझाया और बाकी के स्टाफ से मिलवाया..

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अकोडेशन बताया और मुझे एक रूम प्रोवाइड कर दिया, मैं रूम में गया वह रुम ठीक-ठाक ग्राउंड फ्लोर का था और आने जाने की कोई पाबंदी नहीं थी..


मैंने अपना सामान सेट किया और लेट गया, मेरी आंख लग गई. फिर शाम को मैं उठा और बाहर निकला मुझे भूख लगी थी तो मैं थोड़ी दूर पैदल चलकर गया तो देखा कि एक नॉनवेज की दुकान में बहुत भीड़ थी.

मैं वहां गया तो देखा कि सामने इंग्लिश शराब का ठेका था और जस्ट बगल में बीयर की शॉप थी, मैंने मन में सोचा कि कबाब और शराब एक ही जगह.. तो मैंने एक बियर ली और एक बिरयानी.. मैंने खाना खत्म किया और रूम में आकर सो गया..

सुबह में इंस्टिट्यूट गया सब से मिला.. मैं बॉस के केबिन में जा रहा था कि मैंने देखा कि एक लड़की बैठी थी. मुझे लगा स्टाफ होगी, पीछे से कयामत लग रही थी. मस्त सिल्की खुले बाल स्लीवलेस टॉप गोरा बदन मस्त माल था.. मैं अंदर गया गुड मॉर्निंग विश किया बॉस को.. बॉस ने मुझे उसे इंट्रोड्यूस कराया, उसके चूचे बड़े-बड़े थे. मैं देखने लगा तो वह मुझे हेलो बोली मैंने हाय कहा, बॉस ने बताया कि यह उनकी बिजनेस पार्टनर है.

मेरे बॉस का पार्ट टाइम बिजनेस भी था, जिसमें वह दोनों पार्टनर थे, तो उसने कहा कि मुझे इस बिज़नेस में भी अपनी स्किल दिखानी होगी. मैंने कहा ओके सर. फिर मैं ऑफिस में बैठा और वह दिन ऐसे ही निकल गया..


एक हफ्ता ऐसा ही रहा और मैं लेट तक काम करता और बॉस और उनकी पार्टनर भी वही रहते, मेरे जाने के बाद भी वह दोनों वही रहते थे, मंडे का दिन था मैं ऑफिस गया तो देखा कि क्यूट सी लड़की फ्रंट डेस्क पर बैठी हुई है..

मैं अंदर गया उसने मुझे गुड मॉर्निंग विश किया मैंने भी रिप्लाई दिया. फिर मुझे पता चला कि यह नहीं आई है, मेरी उससे बात हुई और कुछ ही दिनों में मेरी उससे अच्छी दोस्ती बन गई..

एक दिन लेट काम कर रहा था, तो मैं अपने रूम में जा रहा था, रास्ते में मैंने बिरयानी खाई औरत दो बियर पी. फिर मैंने देखा कि मेरा मोबाइल वही ऑफिस में रह गया. मुझे लगा कोई अर्जेंट कॉल ना आए. तो मैं वापिस ऑफिस गया जैसे ही मैं वहां पर पहुंचा तो सारी लाइट ऑफ थी. बॉस की केबिन में हल्की सी लाइट जल रही थी..

मैंने धीरे से अंदर देखा तो मैं देखते रह गया, मेरे बॉस और उसकी पार्टनर दोनों नंगे बैठे थे, और वह बॉस का लंड चूस रही थी. उसके मुंह से आवाजे अहह उऔ ओ हां उऔ ह हां हिः हह्ह्ह आ रही थी, मेरा मूड बन गया और मैं वही खड़ा देखने लगा.. फिर बॉस ने उसके पैरों को उपर किया और अपना लंड उसकी चूत में पेलने लगे..

में उन की सेक्स लीला देख रहा था कि अचानक उसने मुझे देख लिया इससे पहले वह कुछ बोल पाती मैं वहां से निकल गया, फिर दूसरे दिन में जब ऑफिस आया तो वह वही थी और आज तो और भी ज्यादा माल लग रही थी, मुझे लगा कि यह बवाल करेगी लेकिन कुछ नहीं बोली.

मैंने यह बात फ्रंट डेस्क वाली लड़की प्रियंका को बताइ, तो वह बोली सच में? मैंने कहा हां. वह बोली कि वह तुमसे कुछ नहीं बोली?? मैंने कहा नहीं.. प्रियंका मेरी बात सुनकर गर्म होने लगी और वह मुझे पता चलने लगा…

उस दिन मैंने कुछ नहीं किया. अगले दिन में जब ऑफिस आया तो देखा कि एक हॉट सी लेडी मेरी बॉस के केबिन में बॉस की चेयर में बैठी थी, मे बॉस के केबिन में अक्सर जाता हूं तो मैं आज भी गया तो देखा वहां पर वह बैठी थी, मैंने गुड मॉर्निंग विश किया और बोला सॉरी मुझे लगा सर होंगे यहां पर..

वह बोली कोई नहीं और मैं स्माइल दी, उसने भी स्माइल दिया, उसने ऊपर से नीचे तक मुझे देखा यह मैंने नोटिस किया, मैं और प्रियंका दोनों साथ में लंच करते थे, प्रियंका आज बहुत ही कमाल की लग रही थी, लंच के बाद हम दोनों हैंड वॉश करने गए, वह हैंड वॉश कर रही थी कि मैं उसके पीछे से हैंड वॉश करने लगा और मेरा लंड उसकी गांड से टच हुआ, उसकी गांड की गर्मी से मेरा लंड खड़ा हो गया. वह उसको फील हुआ और वह अपनी गांड हीलाकर मेरे लंड पर प्रेस करने लगी, और वहां से भागने लगी, मैंने उसको पकड़ा और देखा कोई और तो नहीं आ रहा, और मैं उसको किस करने लगा. पहले उसने रिस्पांस नहीं दिया लेकिन फिर वह मुझे लिप किस करने लगी.

मुझे किसी के आने की आवाज आई,, तो हम हट गए और वहां चले गए. मेरे होठ में उसकी लिपस्टिक लगी हुई थी और वह मेरी बॉस की पार्टनर ने देख लिया, लेकिन कुछ नहीं बोली.

अगले दिन जब मैं ऑफिस आया तो देखा आज सब लोग थे, बॉस उसकी पार्टनर और उसकी वाइफ.. मुझे फील हुआ कि बॉस की वाइफ और पार्टनर में अनबन है. मेरी बॉस की वाइफ से बात हुई और हमारी बोन्डिंग अच्छी हो गई, और हम साथ में लंच करने लगे..

मैंने बोला कि आप बहुत कम खाते हो, तो वह बोली कि वह अपने फिगर को लेकर पॉजिटिव है. मैंने मन में सोचा कि साला सर की क्या किस्मत है.. साला दो एकदम आयटम रहा है दोनों सुपर हॉट.. और यहां एक चूत नसीब नहीं हो रही, कि तभी सामने से वह बोली कहां खो गए, मैंने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही..

उस दिन प्रियंका नहीं आई थी, मैंने कॉल किया तो पता चला कि वह घर में अकेली थी, मैंने कहा मैं आ रहा हूं. वह बोली में रिस्क नहीं ले सकती, मैंने कहा मुझे रिस्क से खेलने की आदत है, वह हंसी और बोली कि आ जाओ और रास्ते में से कुछ सामान लेते आना..

मैं समझ गया फिर भी पूछा क्या सामान? तो बोली थी कुछ खाने को.. मैंने कुछ नहीं बनाया है, मैंने कहा खाना किसको खाना है.. वह बोली हट बदमाश.. और मैंने फोन काट दिया.

फिर मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर ऑफिस से निकल गया, मैं हमेशा अपने पर्स में कंडोम रखता हूं, पता नहीं कब बात बन जाए.. और मैं उसके घर पहुंच गया. उसने दरवाजा खोला तो देखा उसने एक स्लीवलेस टी-शर्ट पहनी थी और हॉट पैंट..

मैंने उसको देखा तो देखता ही रह गया और मेरा मुंह खुल गया. तो बोली की अब अंदर भी आओ, मैं अंदर गया और सोफे पर बैठा. वह बगल में बैठी थी, मैंने देर ना करते हुए उसको अपनी तरफ खींचा और किस करने लगा, तो बोली कि बड़ी जल्दी में हो, आज घर में मैं अकेली हूं सब लोग कल आएंगे..

मैं उसे फिर से किस करने लगा और उसका टॉप उतार दिया और उसके बूबे पीने लगा फिर उसने उसकी शॉर्ट भी निकाल दिया, हल्के से काले बाल थे उसकी चूत में, मैंने अपना हाथ रखा और सहलाया..

उसने मुझे पीछे किया और मेरी शर्ट खोल कर फेंक दिया और मेरी बॉडी को देखकर बोली वाव और मुझे लिप किस करना चालू किया, किस करते करते वह नीचे आने लगी और मेरी जींस की तरफ और मेरी जींस खोलकर नीचे किया, तो मेरा लंड उसके सामने आ गया. और उसके मुंह से टकराया, वह देख कर बोली कि इतना बड़ा और मोटा है. मैं नहीं ले पाऊंगी. तो मैंने बोला तुम परेशान ना हो मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगा. वह खुश हो गई और मेरा टोपा नीचे करके अपनी जीभ से टच किया.

फिर उसने पूरा मुह खोला और मेरा लंड चूसने लगी, वह बहुत तेजी से मेरा लंड चूस रही थी, मैं पागल हुए जा रहा था. फिर मैंने उसको उठाया और रूम में ले गया. और बेड पर पटक दिया. और उसकी चूत में टूट पड़ा और मैंने बहुत अलग तरीके से उसकी चूत चाटी और वह पागल हो गई और अपना सारा पानी छोड़ दिया, मैं उठ गया तो फिर से मेरे लंड को चूस के टाइट करने लगी, फिर मैंने कंडोम लगाया और उसकी चूत में सेट करके धक्का दिया, तो मेरा आधा लंड अंदर चला गया और मैं उसको किस करने लगा और अगले झटके में पूरा उतार दिया..

फिर थोड़ी देर बाद मैंने चुदाई स्टार्ट की और ३० मिनट तक चोदा. फिर अलग हुए और उस रात में वही रहा और उसकी गांड भी मारी.

अगले दिन मैं ऑफिस गया तो सब लोग थे प्रियंका भी आई थी, और हम दोनों मुस्कुरा रहे थे. लंच के टाइम हम फिर हैंड वॉश करने गए, उस दिन ऑफिस में कोई नहीं था, मैंने उसे कहा आओ और मैंने पीछे से उसकी जींस नीचे की और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा हम दोनों चुदाई में मगन हो गए थे, तभी पीछे से पायल जो बॉस की पार्टनर थी बोली यह सब क्या हो रहा है?

और हम अलग हो गए और गुस्से में वहां से चली गई, प्रियंका रोने लगी.. पायल बाहर जाकर सबके सामने कहने लगी की इतना टाइम लगता है हाथ धोने में?? बॉस और उसकी वाइफ वापस आ चुके थे..

वह बोले क्या हुआ? तो वह बोली थी १० मिनट तक हाथ होते हैं, वह बोले की ऑफिस की मर्यादा रखो कुछ.. प्रियंका रोते हुए वहां से चली गई. उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया. और उसी दिन मैंने देर तक काम भी किया, जब मैं बाहर आया तो २ बीयर पिया और बिरयानी खाई और फिर एक बियर पिया..

मुझे नशा हो गया मैं वापस ऑफिस की तरफ गया तो देखा बॉस और उनकी वाइफ दोनों की कार निचे थी. मैं ऊपर गया तो देखा कि अंधेरा था, मुझे लगा बॉस और उसकी वाइफ साथ में टाइम स्पेंड कर रहे होंगे, लेकिन मैंने देखा कि नीचे स्टेर से बॉस की वाइफ आ रही थी, मैं छुप गया और इंतजार करने लगा. वह सीधे अंदर गई और उन दोनों को चुदाई करते पकड़ लिया..

और फिर लड़ाई की आवाज आने लगी, वह बोली कि मुझे पता था तुम रंडी चोदते हो. लेकिन मैं तुमको खुद पकड़ना चाहती थी.. और वह बॉस का कलर पकड़ ली तो सर ने उसको जतका दिया और मुझे कॉल किया, मैं वहां था फोन उठाया और बोला तो उन्होंने कहा ऑफिस आओ..

मैंने हां कहा और वहा पंहुचा तो उसकी वाइफ ने सब बताया, बॉस बोले की इसको घर छोड़ कर आ जाओ. मैंने कहा ओके और उनको क्या आप छोड़ोगे? वह बोले की उसको भी छोड़ देना. मैंने पहले उनकी वाइफ को छोड़ा और फिर मैं उसको घर छोड़ने के लिए गया और उसका घर आ गया, वह उतर गई फिर मैं वापिस ऑफिस गया. और वहां सर को लिया और एक बार में ले गया और हम दोनों ने दारु पिया..

फिर वह मेरे रूम में ही सो गए, और सुबह चले गए. फिर मुझे वह रूम खाली करना पड़ा, तो मैं वापस कानपुर आ गया, और कुछ दिनों के बाद सर की कॉल आइ कि कहां हो कब आओगे?

तो मैं दो दिन बाद चला गया, तो बॉस मुझे पिकअप करने आए और अपने घर ले गए, वह और उनकी वाइफ नॉर्मल थे. मैंने नमस्ते किया और नाश्ता करके टीवी देख रहा था की सर बोले चल तो मैं उठा और वह बार ले गए, मैंने ४ पेग पिए उन्होंने ७ पिए. उन्होंने कहा मैं पायल को चोदता हूं क्योंकि मुझे चूत का शौक है.

मैंने कहा आपको ज्यादा हो गई, तो बोले मेरे भाई तुम हो ना मेरे साथ.. मैंने हां कहा.. और उनको लेकर वापस घर आया, और उनको सहारा देते हुए बेडरूम में जाकर लेटा दिया.

उनकी वाइफ उसे समय बाथरुम में थी जब बाहर आई तो कसम से कयामत लग रही थी, लाल नाइटी.. वह भी चिपकी हुई पूरा फिगर मेरे सामने था. मैं देखने लगा वह बोली विक्रम तो मैं होश में आया. बोली कितनी पी है तुम दोनों ने?? मैंने कहा मैंने तो नॉर्मल ही पि हे लेकिन सर आज फुल टल्ली हे..

वह बोली दिख रहा है, मैं बोला मैं नशे में नहीं हूं. आप परेशान मत हो.. वह बोली नशे में तो हो और एक कातिल स्माइल दे कर चली गई.. मैं वहीं बैठ गया सोफे पर.. वह बोली गेस्ट रूम में जाकर सो जाओ..

मैं गया और सिर्फ शर्ट पहन कर लेट गया एसी ओन करा, और मेरी आंख लग गई. थोड़ी देर बाद आंख खुली तो देखा कि सर की वाइफ मेरे रूम में थी, मैं बैठ गया वह बोली कुछ चाहिए..

मैंने कहा नहीं और उसको देखा तो उसने ब्लैक कलर की शोर्ट नाईटी डाली हुई थी और मैं उसको देखने लगा, और उसका चमकता जिस्म देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा.. वह उस ने देख लिया और स्माइल दे रही थी.

मैंने पूछा कि अब सब नॉर्मल है? तो वह उदास हो गई और बोली सब वैसा ही है. यह अभी भी उसको चोदते हैं मैंने कहा सच में? वह बोली हां.. और मेरा कोई ध्यान नहीं रखता है..

वह जुकी तो उसकी पेंटी दिख गई और उसकी चिकनी गांड भी.. वह जुक के वोडका की बोतल निकाली और माजा में मिला के पी गई. मुझे भी हल्का सा दिया, फिर फ्री हो गई और मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरा, और मुझे खींच कर किस करने लगी. मेरा लंड पकड़ कर दबाने लगी. उसकी हवस आज ही मालूम पड़ रही थी..

मैंने उसकी नाइटी उतार दी और बूब्स को पीने लगा, वह भी मेरे मुंह में किस करने लगी और मैं नीचे गया उसकी चूत की तरफ क्या चूत थी, उसकी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थी.. मैं उसे चाटने लगा.. थोड़ी देर में वह मेरे बाल पकड़ कर सहलाने लगी और मेरे मुंह में सारा का पानी छोड़ दिया, फिर वह मेरा शोर्ट उतारने लगी जैसे शोर्ट नीचे किया तो मेरा लंड उसके सामने आ गया.. वह देखते बोली क्या मस्त है.. प्रियंका ने खूब मजा लिया है इसका..

मेरा दिमाग हिल गया, मैंने सर ऊपर किया और पूछा तुमको कैसे पता? तो बोली की पायल ने बताया और सरने उसको निकाल दिया है.. मैं बोला साली रंडी कुतिया है वह.. फिर वह नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी, मैंने उस का मुह पकड़ा और उसके मुंह में लंड उतार दिया. उसकी आंखें तन गई और जब मैंने बाहर निकाला वह सांस ली. मैंने फिर से उसे चूसा और चूस चूस के लाल कर दिया..

मैंने उसे उठाकर बेड पर गिरा दिया और अपना लंड उसकी चूत में रब करने लगा.. वह बोली डालो जल्दी से.. मैंने कहा थोड़ा मजा लो.. वह बोली ६ महीने से तड़प रही हूं. डालो जल्दी मैं बोला अच्छा… वह बोली प्लीज फिर मैंने उसकी चूत में सेट करके धक्का दिया और आधा उसकी चूत में चला गया.. वह चिल्ला उठी और मुझे नाखून मारने लगी. मैं दूसरा धक्का मारा और पूरा उतार दिया उसकी चुदाई करने लगा. पूरे कमरे में फच फच की आवाज आ रही थी…

फिर उसको घोड़ी बना के पीछे से चूत मारी, ३५ मिनट तक अलग अलग पोजीशन में चोदा और बगल में लेट गया, वह संतुष्ट लग रही थी. वह बोली कि पायल से बदला लेना चाहते हो? मैं कुछ नहीं बोला..

तो वह बोली कि मेरे लिए लो.. उसके बदले में मैं तुमको वह सब दूंगी जो तुम चाहते हो, बस पायल की ऐसी चुदाई करो कि वह चल भी ना पाए..

मैंने कहा पर कैसे? तो उसने अपना फोन उठाकर वीडियो दिखाई, वह सर और पायल की वीडियो थी चुदाई करते हुए, मैंने कहा सोचने दो. उसने कहा ओके, प्रियंका के लिए बदला लो.. उसे मैंने कहा ओके.. वह बोली डन.. फिर वह मेरे लंड को पकड़ कर हीलाने लगी और खड़ा कर दिया और ऊपर आ कर चुदने लगी.

उस रात मैंने उसको ६ बार चोदा और सुबह ८ बजे वह वापस अपने रुम में चली गई. सर अभी तक टल्ली पड़े सो रहे थे. आगे की कहानी अगले पार्ट में कि कैसे मैं उनके घर में रुक उनकी चुदाई करते करते गांड भी मारी. और कैसे मैंने पायल की चूत का भोसड़ा बनाया.

देवरानी की बगल में देवर से चुद गयी

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हेलो मेरा नाम मंजू है मैं मुंबई की रहने वाली हूं, मेरी उमर ४० साल है मेरा फिगर ३६-३४-४० है. मैं गोरे रंग की हूं. मेरे बूब्स के निपल हल्के ब्राउन रंग के हैं और हमेशा तने रहते हैं. मेरे निप्पल लंबे लंबे है और मेरी चूत एकदम फुली हुई है और अंदर से गुलाबी है, मेरी चूत के होंठ एकदम मोटे मोटे हैं, जो हमेशा लंड लेने को बेताब रहते हैं.

चूत के ऊपर हल्के हल्के काले रंग के बाल भी हैं, जो मेरी चूत को और भी अट्रैक्टिव बनाते हैं और मेरी गांड एकदम गोल है और मोटी है, जब मैं चलती हूं तो मेरी गांड के गाल आपस में एक दूसरे को चूमते हैं अब में स्टोरी पर आती हु.

यह एक सच्ची कहानी है, यह बात ६ साल पहले की है, मेरा एक देवर है जिसका नाम गोगी है. उसकी बीवी हे और बच्चे भी हैं, एक बार मैं नहा रही थी, मेरे बच्चे स्कूल गए हुए थे, घर पर मैं और मेरी सास थे, जब मैं नहा रही थी मुझे ऐसा लगा कि कोई जैसे मुझे नहाते हुए देख रहा है दरवाजे के होल से.


लेकिन मैं इग्नोर कर के नहाने लगी. जब मैं बाहर आई तो देखा कि मेरे देवर जि आए हुए हैं, मैं उनको चाय बना कर दी और वह मेरी सास के पास बैठ गया, मैं भी चाय लेकर उसके पास बैठ गयी और चाय पीते पीते मेरे देवर जी ने बोला कि उसको बाथरुम जाना है और वह मेरे रुम के बाथरूम में चला गया.

१५ मिनट बाद आया तो मैंने उसकी पेंट में एक बड़ा सा गिला धब्बा देखा उसके लंड की जगह पर.. मैं एक ब्लू कलर की मैक्सी पहनी हुई थी, वह मेरे दूध को घूर के देख रहा था मुझे उसका देखना थोड़ा अजीब लगा.

लेकिन कहीं ना कहीं मेरे दिल के एक कोने में अजीब सी फीलिंग भी होने लगी और मेंरे निप्पल खड़े हो गए, जो मेरे कपड़े की ब्रा से दिखने लगे और मेंक्सी में भी निप्पल की उभार साफ चमकने लगी, मेरी चूत में भी गीलापन महसूस किया.

थोड़ी देर बाद वह चला गया, मैं भी बाथरुम में अपने कपड़े धोने चली गई, जब लास्ट मैंने अपनी पैंटी उठाई तो मैंने देखा मेरी पैंटी अंदर से गिली थी, चूत वाली जगह से.. मैंने ध्यान से देखा तो उस पर लंड का माल लगा हुआ था.


मैं सोच में पड़ गई और पता चला यह तो देवरजी ने किया है. क्या वह मेरी पैंटी के साथ खेल रहे थे? मेरी पैंटी पर अपने लंड पर रगड रहे थे? यह सब बातें मेरे दिमाग में आ गई और मेरी चूत गीली होने लगी.

मैंने अपनी पैंटी को अपने नाक के पास लेकर सुंघा तो उनके माल की खुशबू से मैं मदहोश हो गई और अपनी पैंटी में लगे अपने देवर के माल को चाटने से रोक नहीं पाई.. उसका स्वाद बहुत अच्छा था थोड़ा सा नमकीन.. मैंने उसे चाट कर साफ कर दिया और फिर उस पेंटी को अपनी चूत में रगड़ने लगी.

मुझे इतना मजा आया कि मैं ५ मिनट में ही झड़ गई, उस के थोड़ी देर बाद मुझे बहुत गिल्टी महसूस हुआ कि मैंने यह क्या कर दिया? ऐसे ही टाइम बीत गया और शाम हो गई, मुझे पति का फोन आया कि वह दिल्ली जा रहे हैं और ३ दिन बाद आएंगे और उन्होंने देवरजी को भी बोल दिया कि आज रात हमारे घर पर रुकना..

उस रात देवरजि अपनी फैमिली को लेकर हमारे घर आ गए. रात को सब ने खाना खाया खाना खाते समय मेने नोटिस किया कि देवरजी मुझे घुर रहे हैं, मुझे शरम आई क्योंकि मेरी देवरानी भी वही बेठी थी..

खाना खाने के बाद मेरी सास, मेरे बच्चे और देवर जी के बच्चे सो गये. में, मेरी देवरानी और मेरे देवर जी हम मूवी देखने लगे. ऐसी ओन था तो ठंडा होने लगा और हमने ब्लैंकेट ओढ़ लिया.

थोड़ी देर बाद मैंने अपने पैरों पर देवर जी का हाथ महसूस किया, वह मेरे पैरों को मसल रहे थे, बगल में देवरानी भी थी तो मुझे डर भी लग रहा था… इसलिए मैं पैर खींचने लगी लेकिन देवरजी नहीं माने और मेरे पैरों को मसलने लगे और धीरे-धीरे हाथ मेरी जांघ की तरफ लाने लगे, मुझे सेक्स चढने लगा, पहली बार मेरे पति के अलावा कोई मुझे टच कर रहा था. में एकदम गीली हो गई, देवर जि मेरे जांघो को मसलते रहे और मैं भी मजे से मसलवाती रही. वह मेरी जांघ मेरी पिंडली मेररे हिप्स मसलते जा रहे थे मैं मदहोश हो रही थी.

रात के ११ बज रहे थे तभी मेरे देवर जी ने बोला मैं बाहर जा रहा हूं सोने आप दोनों यहीं सो जाओ और टीवी बंद कर कर के चले गए. मैं भी दरवाजा बंद करने गई तो देखा देवरजि वही खड़े हुए थे उन्होंने मुझे कहा कि भाभी में रात को आऊंगा, दरवाजा मत बंद करना और पेंटी ब्रा निकाल कर सोना, मैंने अपना सर हां में हीला दिया.

क्योंकि मुझे भी उस टाइम सेक्स का मन हो गया था, देवरजी मेरी निचले भाग को इस तरह मसल जो रहे थे. मैंने थोडा दरवाजा बंद किया और पेंटी ब्रा निकाल कर सो गई उनके इंतजार में. मेरी देवरानी भी सो गई थी.

करीब १ बजे मुझे मेरे चुतड पर कुछ महसूस हुआ, देखा देवरजी मेरे चूतड़ मसल रहे थे अपने हाथों से.. और बगल में मेरी देवरानी भी सो रही थी, मुझे डर भी लग रहा था और एक्साइटमेंट भी हो रहा था.

उन्होंने मेरी मेक्सी कमर तक ऊपर कर दी जिस से में कमर से नीचे नंगी हो गई, पेंटी तो पहले ही निकाल चुकी थी, उन्होंने मेरी चुतड के गालों को सूंघना शुरू कर दिया, मुझे गुदगुदी होने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था. उनके होंठ मेरे चूतड़ के गालो को चुमने लगे.

उन्होंने दोनों हाथों से मेरी चूतड़ फैलाई और मुझे देवरानी की तरफ मुंह करके लेटा दिया. मैंने अपनी सांसो पर कंट्रोल किया ता की देवरानी ना उठ जाए, उन्होंने मेरी गांड के गालो को फैलाया और मेरी गांड के छेद पर नाक लगाकर सूंघने लगे, मैं मचलने लगी क्योंकि उनकी गर्म सांसे मेरी चूत को और गर्म और गीला कर रही थी.

मैंने उनके सर को पकड़कर अपनी गांड में और घुसा दिया, तभी वह भी अपनी जीभ निकालकर मेरी गांड के छेद को चाटने लगे, मैं सातवें आसमान में थी.. बहुत मजा आ रहा था.. उन्होंने मेरी चूत को चाट के मुझे पागल कर दिया.. मैंने भी उनके लंड को पकड़ा और ब्लेंके के अंदर घुसकर उन का लंड चड्डी से बाहर निकाला, बहुत ही मस्त खुशबू थी उनके लंड की. फिर मैं एकदम से उनका लंड मुंह में भर कर चूसने लगी.

मैं एकदम पागल हो चुकी थी.. उनका लंड बहुत बड़ा और मोटा था.. मैं उसको कुतिया की तरह चूसती रही और देवर जि मेरा सर मसलते रहे. १५ मिनट चूसने के बाद मुझे देवरजी ने ऊपर खींचा और मेरी जांघ को अपनी तरफ सीधा कर मेरी चूत में लंड डाल दिया.

पहली बार पति के अलावा किसी और का लंड मेरी चूत में था और वह मुझे धीरे धीरे चोदने लगे. नजारा कुछ ऐसा था कि मेरी देवरानी मेरे आगे सो रही थी और मैं बीच में और पीछे से मेरे देवर मेरी चूत की प्यास बुझा रहे थे..

साथ मेरे दूध को मसल रहे थे और मेरे निप्पल को भी चूस रहे थे. इतना मजा मुझे कभी नहीं आया. मैंने अपना सर पीछे घुमा कर अपने देवर को किस कर लिया और वह भी मेरे होठों को चूसने लगे.

मैं आह ओह हहह उहू हां ओह हहह कर रही थी लेकिन बहुत धीरे-धीरे.. उन्होंने मेरी एक टांग उठाकर मेरी चूत को तेज रफ्तार से चोदने लगे और मेरे दूध को खींचने लगे. थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी चूत में ही अपना माल निकाल दीया और लंड को मेरे मुंह तक लाये जिसे मेने चूस कर साफ कर दिया, बहुत ही टेस्टी था और फिर वह चले गए हैं फिर में भी सो गई.

अगली सुबह सब नॉर्मल था जब जबी मौका मिलता देवर ने मुझे मसल कर चले जाते कभी मेरी गांड कभी मेरे बूब्स और आज भी जब भी मौका मिलता है हम सेक्स करते हैं. और खूब इंजॉय करते हैं.. कभी-कभी वह मुझे नंगा करके अपनी कार में भी घूमाते हैं और मुझे अपना लंड चूसवाते हैं पब्लिक प्लेस में.

देवर जी के साथ रहकर मैं अब बहुत ओपन हो गयी हु और वह मुझे खूब जमकर चोदते हैं, जब भी मैं खाना खाती हूं या कुछ पीती हु तो देवरजि उस में या तो अपना माल डाल देते या उस में सूसू कर देते हैं, जिस से टेस्ट और दुगना हो जाता है.. हम एकदम पति पत्नी की तरह रहते हैं और अकेले में खूब मजे करते हैं..

गावं की आंटी को लिफ्ट देकर चोदा

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राज है, में कोल्हापुर (महाराष्ट्र) से हूँ और में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ, मेरी इस साईट पर ये पहली स्टोरी है और अब में आपका ज़्यादा टाईम ना लेते हुए सीधे अपनी स्टोरी पर आता हूँ. मेरी उम्र 23 साल है और मैंने अभी ही बी.कॉम पूरा किया था और जॉब पर लगा था. में एक गावं से हूँ और में जॉब के लिए मेरे घर से ऑफिस तक बाईक पर जाता था. में जिस जगह पर जॉब करता हूँ वो इंडस्ट्ररियल एरिया है, जहाँ पर मेरी गावं की औरतें भी काम के लिए जाती है और उनको ज्यादातर चलकर या किसी से लिफ्ट लेकर जाना पड़ता है. अब वहाँ मेरे गावं की भी औरतें जाती थी और जो मेरा ऑफिस टाईम था उसी वक्त मुझे रास्तें में दो औरतें चलकर जाती दिखती थी.

पहले दो दिन तक मैंने उन पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक दिन उनमें से एक औरत ने मुझे रुकने का इशारा किया. फिर मैंने देखा कि वो हमारे पास वाली ही आंटी है तो में रुका. सॉरी अब में आपको आंटी के बारे में बता दूँ, वो ज्यादा गोरी नहीं थी, लेकिन मस्त थी, उसका नाम शोभा था और उसकी उम्र 35 से 40 साल के बीच में होगी, उसकी गांड बड़ी थी और वो साड़ी पहनती थी और बूब्स भी मस्त थे, उसका फिगर 36-34-38 था. अब में सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ. फिर उसने हाथ किया तो में रुक गया और अब वो मेरी बाईक पर पीछे बैठ गई और बातें करने लगी.

शोभा – तुम कब से यहाँ पर जॉब करते हो?


में – 4 दिन से.

शोभा – तुम्हारा टाईम क्या रहता है?

में – 9 से 6 तक, आपका?

शोभा – मेरा भी यहीं टाईम है.


अब ऐसी बातें चलती रही और हम लोग वहाँ पहुँच गये और फिर उसने जाते वक्त ले जाने को कहा तो मैंने भी ठीक है बोला. अब पहले दिन तो वो थोड़ा पीछे बैठी थी, अब दूसरे दिन जब में जा रहा था तो वो मेरा इंतजार कर रही थी, अब मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगी.

फिर मैंने पूछा कि आज आप बहुत खुश लग रही हो तो वो बोली कि मुझे पार्टनर जो मिल गया है. अब में समझा नहीं, आज वो मेरे साथ चिपक कर बैठी थी और मेरी बैग आगे लेने को कह रही थी. फिर मैंने अपना बैग आगे लिया और अब वो मुझसे चिपक कर बैठ गई, जिससे उसके बूब्स मेरी पीठ को टच हो रहे थे और उसकी जांघे क्या मुलायम थी दोस्तों? अब में जान बूझकर ब्रेक लगाने लगा और अब में मज़ा ले रहा था और उसे भी दे रहा था.

फिर जब हम वहाँ पहुँच गये तो वो मुस्कुराने लगी और मेरी आँखो में आँखे डालकर देखने लगी. अब में भी देख रहा था, तभी उसने मेरा मोबाईल नम्बर माँगा. फिर मैंने उसे दे दिया और निकलते समय कॉल करने को कहा. अब में जाते समय उसे लेने गया तो वो बाईक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई और अब उसका हाथ मेरी जांघो पर घूम रहा था तो अब मुझे मज़ा आ रहा था. फिर वो बोली कि कल हमारी छुट्टी है तो वो मुझसे कल का प्लान पूछने लगी. फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं बस में तो घर पर ही रहूँगा और मैंने उनसे पूछा कि आपका क्या प्लान है? तो उसने कहा कि कुछ नहीं है.

फिर उसने मुझे दोपहर को अपने घर पर बुलाया. अब में दूसरे दिन उठकर फ्रेश होकर नाश्ता कर रहा था कि उसका कॉल आया कि कब तक आओगे? और उसने 12 बजे के बाद आने को कहा. फिर में 12 बजे के बाद उसके घर गया तो उसके घर पर कोई नहीं था, वो अकेली टी.वी. देख रही थी और उसका पति बाहर गया था और वो शराबी था.

अब में उसके घर पर गया तो उसने मुझे बैठने को कहा और पानी लेने किचन में चली गई. उसने नीले रंग की साड़ी पहनी थी, क्या गांड लग रही थी उसकी? अब में सोच रहा था कि अभी उसको पकड़कर चोद दूँ, लेकिन में रुक गया. अब वो पानी लेकर आई और वो गिलास देते समय झुकी तो उसका पल्लू नीचे आ गया. अब में तो देखकर दंग ही रह गया और अब में उसके बूब्स देख रहा था और उसे भी वहीं चाहिए था तो उसने पूछा कि क्या देख रहे हो? फिर मैंने नज़र हटाई और कुछ नहीं कहा.

फिर उसने पूछा कि दूध पीओगे या चाय? तो अब में समझ गया कि इसने मुझे चुदवाने के लिए ही यहाँ बुलाया है. फिर मैंने कहा कि जो आप ठीक समझे तो अब वो मेरे पास आकर बैठ गई और बोली कि दूध ही सेहत के लिए अच्छा होता, तुम वही पीयो और अपने बूब्स को देखने लगी. अब मेरी नज़रे भी उसके बूब्स पर ही थी तो वो मेरी तरफ देखते हुए बोली कि पियोगे ना, तो मैंने कहा कि आप पिलाओगी तो ज़रूर.

फिर उसने मेरा हाथ अपने बूब्स पर रखा और अब में भी उसे दबाने लगा था. अब मेरे लिए ये सब नया था, अब मेरा लंड भी खड़ा था और मेरी पेंट से बाहर आने को मचल रहा था. फिर मैंने उसे अपनी और खींच लिया और उसे किस करने लगा, अब वो भी मुझे किस कर रही थी. फिर 5 मिनट तक किस करने के बाद वो उठी और दरवाजा बंद करके आई और मेरी जांघो पर बैठकर मुझे किस करने लगी.

अब में भी उसके बूब्स दबा रहा था और किस कर रहा था. फिर में उसे उठाकर बेडरूम में ले गया और बेड पर लेटा दिया और उसका ब्लाउज निकाल कर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स चूसने लगा. अब वो आहें भर रही थी, अहहहह आह एयाया कर रही थी. फिर मैंने उसकी ब्रा निकाली और उसने मेरी शर्ट निकाली. अब में उसके निप्पल चूस रहा था और अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

अब में बीच-बीच में उसे काट भी रहा था और वो आहें भर रही थी, आह हाह हहहहह आहह कर रही थी. फिर उसने मेरी पेंट निकाली. अब मेरा तना हुआ लंड देखकर वो खुश हो गई और बोली कि ये तो बहुत बड़ा लग रहा है. फिर उसने मेरी अंडरवियर निकाली और मेरा लंड चूसने लगी और अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैंने भी उसकी साड़ी और पेंटी उतार दी, अब वो भी पूरी नंगी हो गई थी और उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. फिर में उसकी चूत में अपनी दो उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा, अब वो आहें भर रही थी अहहह हहहहहा हाहहह हाहहह अब ज्यादा मत तड़पाओ, डाल दो अंदर कह रही थी. फिर मैंने भी उसको लेटाकर अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोर से धक्का मारा तो वो चिल्ला उठी आहह अहह हहह हाह कर रही थी. अब में उसको जोर-जोर से धक्के मारने लगा, अब उसे भी मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसे 20 मिनट तक चोदा. फिर मैंने उसकी गांड मारी और अपने घर आ गया.

भैया अब मुझे रोज चोदता है

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मेरा नाम स्वाति गुप्ता है. मैं दिल्ली की रहने बाली हु, मेरे घर में माँ पापा और हम भाई बहन रहते है. माँ और पापा दोनों बैंक में जॉब करते है. भाई कॉलेज के थर्ड पार्ट में है और मैं अभी कॉलेज जाना शुरू की हु, मैं 19 साल की हु, बहूत ही हॉट हु, मेरे ब्रा की साइज 34 B है, मुझे लड़को में चस्का लग गया है. पहले भी मैं दो तीन बार अपने स्कूल के फ्रेंड से चुद चुकी हु, जब मैं कॉलेज गई तो वह एक लड़का है सोनू, बहूत ही हॉट है. हलकी हलकी दाढ़ी रखता है. कान में सोने की बालियां पहनता है. और कॉलेज खुली जीप पर आता है, उसका मसल्स बहूत ही बेजोड़ है. मैं उसके आगोश में आना चाहती थी.

वो बहूत ही बड़े घर का बेटा मैं चाहती थी की उससे पटाऊँ, और खूब मजे लू, अपने चूत की गर्मी शांत करवाऊं उससे, मैं अपने जलवे दिखने शुरू किये, और अपनी कजरारी आँख और मटकती हुई चाल, और मेरी छलकती हुई जवानी से रिझाने लगी. और करीब दस दिन में ही कामयाब हो गई, और मैं उसको अपना बॉय फ्रेंड बना लिया, खूब मजे लेने लगी. कभी मक डोनाल्ड, कभी पिज़्ज़ा हट, कभी सिनेमा, आखिर रो में टिकेट लेती थी और वो मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल के मेरी चूत को सहलाने लगता था. चूचियां दबाते हुए मेरी तो तन बदन में आग लग जाती थी. मैंने उसका लंड पकड़ के अपनी मुट्ठी में भरते रहती थी, और हिलाते रहती थी, दोस्तों मेरी दोनों निप्पल दर्द करने लगता था क्यों को वो मेरी निप्पल को अपने दोनों अँगुलियों से रगड़ते रहता था. मेरी चूत हमेशा गीली होने लगती थी. वो मुझे चूमता था मेरी होठ को अपने दांतो से काटता था, इसी तरह से चलने लगा.

दोस्तों अब मुझे लगता था की वो मुझे चोदे, क्यों की अब उसकी के ख्याल में रहती थी. और हमेशा रात में सोचते रहती थी की वो मुझे ऐसे चोदेगा, और मेरी गांड में ऊँगली घुसायेगा, ऐसे मेरी चूत को चाटेगा, ऐसी मेरी चूचियों को मसलेगा, मैं आह आह करुँगी और वो मेरी चूत में अपना मोटा लंड घुसाते रहेगा और मैं आह आह आह करते रहूंगी, दोस्तों वो दिन भी आ गया, एक दिन मेरा भाई कॉलेज गया, माँ और पापा दोनों बैंक गए. मैं बहाना बनाई की मेरी तबियत खराब है और मैं घर पे ही रह गई. जैसे सब लोग बाहर गए. एक दिन पहले ही मैं सोनू को बोल दिया था की कल तू पक्का १० बजे मेरे घर के आस पास ही रहियो, क्यों की मैं तुम्हे दस बजे ही कॉल करुँगी. कल मैं नहीं चाहती की देरी हो. और हुआ भी यही, मैंने तुरंत फ़ोन किया. वो पार्क के पास ही था और सिर्फ पांच मिनट में आ गया.


आते ही उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे होठ को चूसने लगा. मैं गदगद हो रही थी, मैं टी शर्ट पहनी थी और जानबूझ कर ब्रा पहले से उतार दी थी ताकि मजा में कोई ज्यादा खलल ना हो. वो देखते ही बोला वाओ, मैंने भी सोनू का लंड तुरंत ही पकड़ लिया, और बैठ गई. बेल्ट खोली और चेन खोली, और उनका मोटा लंड निकाल कर चूसने लगी. वो मेरी बाल पकड़ रखा था और वो भी हौले हौले से मेरे मुह में लंड घुसाने लगा. मुझे बहूत ही ज्यादा मजा आने लगा. फिर मैंने उसको अपने बैडरूम में ले गई. वो मुझे बेड पे पटक दिया. और मेरी टी शर्ट को ऊपर कर दिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. उसके मुह से सी सी सी ऊ ऊ की आवाज आ रही थी. क्यों को वो बहूत ही ज्यादा कामुक हो गया था.

मैंने तुरंत अपनी काप्री उतारी दी. उसने भी बिना देर किया अपने सारे कपडे उतार फेके, मेरी लाल कलर की पेंटी के ऊपर से वो पहले सुंघा और एक गहरी साँसे लेते हुए कहा, तुम हुस्न की मालिक हो मेरी जान, मैं तेरे ऊपर मरता हु, तेरे जैसा लड़की जो इतनी हॉट हो आज तक मुझे नहीं मिली, मजा आ गया तुन्हें पाके मेरी जान स्वाति, मैंने कहा क्या तुम मुझे ऐसे ही प्यार करोगे? सोनू बोला अरे इससे भी ज्यादा करूँगा. एक रात तुम्हे अपने फार्म हाउस पे ले जाऊंगा. फिर देखना क्या क्या होता है. पर एक बात का ध्यान रखना. जब तुम्हे अपने फार्म हाउस पे ले जाउगा, मैं तेरे शरीर में जितने भी छेद है उस सब में मैं अपना लंड घुसूंगा. मैंने पूछा कहा कहा घुसायेगा. उसने कहा. देख तेरे मुह में घुसूंगा. तेरी चूत में घुसूंगा. फिर तेरी गांड में घुसूंगा. मैंने कहा मुह में और चूत में तो ठीक है पर मैं तुम्हे अपने गांड में नहीं घुसने दूंगी. क्यों की गांड में बहूत ही ज्यादा दर्द होगा. और मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी.तभी सोनू बोला मेरी जान तुम चिंता क्यों करती हो. मैंने तुम्हे पहले शराब पिलाऊंगा. उसके बाद सब कुछ होगा. मैं बोली ठीक है देखते है.

और उसने मेरी पेंटी उतार दी और अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा. मैंने आज उस दिन ही सुबह सुबह अपने चूत की और काख की बाल को साफ़ की थी. मेरी चूत एक दम क्लीन था. वो बड़े मजे लेके मेरी चूत को चाट रहा था. और अपनी जीभ से मेरी चूत में घुसा रहा था. मैं काफी सेक्सी हो चुकी थी. मेरी चूत आग में धधक रही थी. मेरी चूत से बार बार पानी छोड़ रहा था, मैं पागल हुए जा रही थी. मैंने सोनू से बोला की सोनू मुझे तड़पाओ मत मुझे तुम्हारा लंड चाहिए, मेरी चूत अब काफी गीली हो गई है. मैं अब बिना देर किये तुम्हरे लंड को अपने चूत के अंदर लेना चाहती हु. सोनू तुरंत ही अपना लंड अपने हाथ में लिया और दिखाया, बोला देख नौ इंच का लंड, आज तेरी चूत को फाड़ देगा. मैंने कहा अरे जा जा देखती हु किसमे कितना दम है. आज मैं भी पूरी तरह से अपने चूत में मोटा से मोटा लंड लेने के लिए तैयार हु.

उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत पे रखा, दोस्तों मेरी चूत पे लंड रखते ही. मेरा पूरा शरीर काँप उठा और अंगड़ाइयां लेने लगी. मैंने अपने हाथो से अपने दोनों बूब के दबाने लगी. तभी सोनू बोला अरे तुम खुद अपनी चूचियां दबा रही हो. जब आज मैं तुम्हारे साथ हु तो ये सब मेरा काम है और वो मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा. और जोर से धक्का दिया, पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया. मेरी मुह से आह निकल गई. और फिर जो लगा चोदने, क्या बताऊँ दोस्तों जोर जोर से वो मेरी चूत में लंड को डाल रहा था. और मैं आह आह आह कर रही थी. लंड को चूत के अंदर आते जाते मेरी चूत से सफ़ेद क्रीम निकलने लगा. वो सोनू के लंड में लग रहा था. मुझे बहूत ही ज्यादा मस्ती छा रही थी. और मैं अपने तरफ से जितना हो सके निचे से धक्के दे रही थी. वो ऊपर से धक्के दे रहा था. और मैंने अंदर से दे रही थी. मैं दोनों हाथो से उसमे चूतड़ को पकड़ के अपने चूत पे सटा रही थी, और फिर मैंने उसको अपनी बाहो में भर ली और उसका मुह अपने कंधे पे ले ली, अपने पैरों को उसके चारो और लपेट कर चुदवाने लगी.


वो आह आह आह कर रहा था, मैं भी उफ़ उफ़ उफ़ कर रही थी. दोनों एक दूसरे को मजे दे रहे थे, तभी कमरे में आवाज आई स्वाति ये तुम क्या कर रही हो. मैंने देखा मेरा भाई मेरे सामने खड़ा था. सोनू तुरंत ही अपना कपड़ा पहना और जाने लगा, मैं भी तुरंत बेडशीट लपेट कर अपने कपडे ले के बाथरूम में चली गई. तभी मेरा भाई सोनू को बोल रहा था, मादरचोद, अगर और कभी देख लिया तुम्हे मेरी बहन के आस पास तो तुम्हे क्या करूँगा तू सोच भी नहीं सकता, और सोनू तुरंत ही वह से भाग कर चला गया.

मेरा भाई बाथरूम के दरवाजे पर आया और बोला. निकल साली जल्दी बाथरूम से. इतना ही तुम्हे शौक था तो कहती मम्मी पापा से बोल कर शादी करवा देते, मुह क्यों मार रही ही…दोस्तों उसकी गलियों में मुझे गुस्सा कम और चूत में पानी ज्यादा ही आ रहा था. क्यों की वो मुझे कह रहा था, क्या पड़ी थी तुमको ठुकवाने की. इतनी गर्मी चढ़ गई थी तुझे, क्या तेरा चूत लंड के बिना नहीं रह सकता है. गांड फाड़ के चला गया वो लड़का, चूत फड़वाकर मजा आया ना तेरे को, साली देख ना, गर्दन में कैसे काटा है दांत से अभी तक निशान है, गाल पर ये उस हरामजादे का चुम्मा का निशान है.

वो इसी तरह से मुझे गाली दे रहा था. मैं वही कड़ी थी, वो फिर मुझे कहने लगा, साली खड़ी है ऐसे की जैसे कुछ हुआ ही नहीं, अगर देख स्वाति अब तुम्हे बताता हु मैं कौन हु, मैं ऐसी आग लगाऊंगा तेरी ज़िन्दगी में तुम भी सोच के सिहर जाएगी. दोस्तों मुझे डर लगने लगा. मुझे लगा की पता नहीं वो क्या करने बाला है. मैंने पूछी उससे आखिर तू मेरी ज़िन्दगी बर्बाद करने की बात जो कर रहा है. करेगा क्या? तो उसने कहा आज शाम को जैसे ही माँ और पापा घर आएंगे वैसे ही तेरी सारी चुदाई की कहानी उन दोनों को सूना दूंगा और फिर तू समझियो क्या हाल होगा, तेरी चूत में जो गर्मी चढ़ी है ना उसको तो मम्मी ही बुझाएगी, मैंने कहा देखो भाई जो होना था सो हो गया, अब वो मुझे चोद कर चला गया, अब मुझे माफ़ कर दो.

तभी वो बोल उठा “माफ़ कर दो”, देख स्वाति मैं तो तभी माफ़ कर पाउँगा, जब तुम मुझे भी चोदने दोगी, नहीं तो कोई चारा नहीं है, मैंने कहा अरे मैं तो अपने बॉयफ्रेंड से चुदवा रही थी, तुम तो मेरे भाई हो और भाई बहन में कभी भी सेक्स नहीं होता है, ये तो पाक रिश्ता है. तभी मेरा भाई बोल उठा, बहनचोद तुम तो बताओ ही नहीं क्या रिश्ता होता है क्या नहीं होता है. साली कुंवारी लड़की किसी गैर से चुदवाती है क्या? मैंने कहा क्यों आज कल जमाना चेंज हो गया है कुछ भी हो सकता है हम खुले विचार के है. तो मैंने कहा फिर मैं बोल रहा हु तो तेरी फट रही है, भाई याद आ रहा है.

मैंने कहा अगर तुम्हे लगता है, बहन को चोद कर तुम्हे ख़ुशी मिलेगी तो चोद ले मुझे, तभी मेरा भाई बोला आज ही नहीं मैं रोज तेरी चूत मारूँगा, मैं बोली अगर मैं पेट से हो गई तो? तो मेरा भाई बोला साली कहती है नए ज़माने के है और कहती है पेट से रह गई तो. आज कल बाजार में ऐसी ऐसी गोलियां है जिसको खाने से करीब एक साल तक बच्चा होने का चांस नहीं रहता है, मैंने कहा ठीक है फिर ले आना, और मैंने अपना टीशर्ट निकाल दी. मेरा भाई मेरी बड़ी बड़ी सॉलिड चूचियां को देखकर, हैरान रह गया बोला, इतनी हॉट है मेरी बहन और मुझे पता ही नहीं चला, क्या मस्त माल है स्वाति, क्या चूच है तेरी, अब देर मत कर तुम निचे बाला भी खोलो पहले दर्शन करूँगा फिर पूजा करूँगा तेरी चूत की.

मैंने निचे का लोअर भी उतार दी. पेंटी तो पहले से ही खुली हुई थी. वो पास आ गया और निचे बैठकर मेरी चूत में ऊँगली डालते हुए बोला, तेरी चूत तो बड़ी ही मस्त है, क्या बाल है इसपर, और फिर वो चीरते हुए बोला अरे यार अंदर से तो तरबूज की तरह लाल है. मैंने कहा हां है तब जो करना है कर लो. इतना सुनते ही उसने मुझे अपने गोद में उठाया और बेड पे पटकते हुए मेरी चूत को चाटने लगा, मैं तो पहले से ही कामुक थी, मुझे और चाहिए था लंड, अभी तो जोश में भी आई थी तभी इसने काम ख़राब कर दिया था. मेरा भाई मेरी चूत को चाटने लगा और खूब मजे लेने लगा. मैंने कहा चाट ले जितना मन कर रहा है, फिर उसने मेरी चूचियों को मसलते हुए कहा, बताओ घर का माल और पहले कोई और खाये, मैं भी पागल था, मेरी बहन को कोई और पेल रहा था और मैंने मूठ मार कर काम चला रहा था.

इतना कहते हुए मेरी होठ को वो चूसने लगा, मुझे बाहों में भर लिया, उसका लंड मेरी चूत के आसपास रगड़ खा रही थी. मैंने उसके लंड को पकड़ी और अपने चूत में दरवाजे पे लगा दिया, उसने एक जोर का झटका दिया और वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया, मैं दर्द से कराह उठी. क्यों की मेरे भाई का लंड मेरे बॉयफ्रेंड के लंड से ज्यादा ही बड़ा था. मैं उसको अपनी बाहों में भर ली, मेरी चुचिया उसके छाती से चिपकी हुई थी. और वो मेरे चूत में जोर जोर से धक्के देने लगा. मैंने भी जोश में आ गई और मैं भी निचे से धक्के देने लगी, फिर क्या था दोस्तों,   उसके बाद वो मुझे उलटा कर पलटा कर. बैठा कर, खड़ा कर कर चोदने लगा.

करीब २ घंटे तक मुझे चोदा और मेरी जिस्म से खेला और फिर जब वो दो बार डिस्चार्ज हुआ तब वो निढाल होकर सो गया. शाम को उठा नहाया धोया, तब तक माँ और पाप भी आ गए. फिर सब कुछ नार्मल हो गया. रात को वो बोला की मैं ऊपर के फ्लोर पे ही सो जाता हु, निचे ठीक नहीं लगता है. दोस्तों पता है वो ऐसा क्यों बोल रहा था, ऊपर के फ्लोर पे दो कमरा था एक में मैं सोती थी एक गेस्ट के लिए था. मैं सब समझ गई की ये मुझे रोज रोज मुझे रात की रानी बनाना चाहता है. मैंने कहा भाई ये रोज रोज ठीक नहीं है. तो वो बोला मैं घर में तेरे कारनामे पेश करूँ क्या, मैंने कहा नहीं नहीं जो तू चाहेगा वही करुँगी.

दोस्तों उसके बाद से वो रात को ऊपर के फ्लोर पे सोता है मेरे साथ, फर्स्ट फ्लोर का गेट लॉक कर देता है ताकि ऊपर कोई आ नहीं सके और वो मुझे रोज रोज खूब चोदता है.
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