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दो सेक्सी लड़कियों को चोदा

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दोस्तों मेरा नाम अमरीश हे और आज की ये कहानी मेरा पहला लेखन अनुभव हे. सब से पहले मैं अपने बारे में ही बता दूँ. मेरी हाईट 6 फिट हे और बॉडी सामान्य हे. मैं अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ.

ये बात आज से कुछ समय पहले की हे. मैं रात के करीब 9 बजे मूवी देखने के बाद अपने घर पर जा रहा था. रस्ते में मुझे दो लड़कियां मिली (उनके नाम साजदा और तस्लीम था). वो दोनों ने बुरका पहन रही थी. साजदा ने पहन लिया था और तस्लीम अभी पहन रही थी.


तस्लीम का चहरा अभी ढंका हुआ नहीं था और उसकी और मेरी निगाहें मिली. हम दोनों ने एक दुसरे को कुछ सेकंड्स के लिए ही देखा था. फिर मैं निकल गया उसे देखते देखते ही. वो मेरी जितनी ही उम्र की थी. उसका फिगर एकदम सही था और चमड़ी एकदम फेर थी. उसका चहरा एकदम क्यूट सा था.

मैंने सोचा की इन दो लड़कियों का पीछा कर के देखूं की क्या होता हे. मैं नुक्कड़ के ऊपर रुक गया और उन दोनों को आगे निकलने दिया मैंने. वो दोनों एक ऑटो वाले के पास गई. मेरे घर की तरफ ही जाना था उनको भी. मैं भी ऑटो के पास चला गया. वो लोगों ने मुझे शेयरिंग में ऑटो के लिए सजेस्ट किया. मैं तो यही चाहता था. वो बैठी और एंड में मैं बैठा हुआ था. मैं मिरर के अन्दर साजदा और तस्लीम को ही देख रहा था.

बात बात में वो दोनों ने कहा की साजदा को कल स्टेशन जाना था मोर्निंग में और वो तस्लीम के पास रुकने वाली थी.

तभी मेरा स्टॉप आ गया और मैं उतर गया. वो दोनों भी मेरे साथ ही उतर गई. मैं अपने घर की तरफ चल रहा था की मुझे पीछे से किसी ने आवाज दे के बुलाया. मैंने मूड के देखा तो साजदा ने मुझे बुलाया था. और तस्लीम उसके कान में कुछ खुसपूसा रही थी. मैं उसके पास गया तो उसने सेक्सी ढंग से कहा की हमारे साथ चलोगे?

जब मुझे लगा की मामला सेट हो सकता हे तो मैंने कहा, ठीक हे चलो, लेकिन काम क्या हे?

तस्लीम: तुम हमें ऑटो में ऐसे क्यूँ घुर रहे थे भला?

साजदा: तुम्हे क्या लगा की हमें पता ही नहीं था की तुम हमें घुर रहे थे पुरे रस्ते में?

वो दोनों ने अपना बुरका हटा दिया था चहरे के ऊपर से. और साजदा ने तो अब उसे पूरा निकाल के हाथ में ही ले लिया था. मैं उसके बड़े सेक्सी बूब्स को देखने लगा था.

तस्लीम ने कहा, क्या हुआ सांप सूंघ गया क्या, जवाब क्यूँ नहीं दे रहे हो?

मेरी मर्दानगी के उपर ललकार के जैसे थे उनके सवाल. मैंने साजदा को अपनी बाहों में भर के उसके बूब्स किस दे दिया कपड़ो के ऊपर से ही. और बोला: अब तुम दोनों हो ही इतनी सेक्सी और हॉट की देखने से रोक नहीं पाया खुद को!

हम लोग जिस गली में थे वो एकदम सुनसान सी थी. तस्लीम बोली: तुम हमें जानते भी हो भला?

मैंने साजदा के बूब्स को छोड़ा और कहा, हाँ तुम अनवर पंचर वाले की बेटी हो और ये सगीर खान की.

और तुम, साजदा ने कहा?

मैं: मेरा नाम अमरीश हे, मैं युग बुक स्टोर के मालिक कमलचंद का बेटा हूँ.

साजदा: क्या करते हो तुम?

मैं: पढता हूँ और लड़कियों को चोदता हूँ.

तस्लीम: ओह हो, क्या बात हे, कभी लड़की की वजाइना देखी भी हे, या ऐसे ही डिंग मार रहे हो?

मैं: देखा भी हे, चाटा भी हे और चोदा भी हे जानेमन.

साजदा: हमारे साथ चलोगे, आज इसके घर कोई नहीं हे.

मैं: कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना?

साजदा: नहीं चुपके से निकल जाना काम निपटा के.

तस्लीम: वैसे तुम्हारा लंड कितना बड़ा हे?

मैं: जानू इतना तो हे की तुम खुश हो जाओगी उसे ले के.

तस्लीम: चलो फिर.

वो लोग आगे आगे चली और उन्होंने मुझे कहा की तुम दरवाजे में से चुपके से बिना आवाज किये अन्दर घुस जाना. फिर वो दोनों दरवाजे का लोक खोल के अन्दर घुस गई. मैं एक मिनिट इधर उधर घुमा. जब मैंने देखा की कोई नहीं हे तो मैं फटाक से भाग के घर में जा घुसा. वो दोनों वही दरवाजे के पास खड़ी हुई थी. साजदा के हाथ तस्लीम की कमर में थे. और तस्लीम अपने हाथ से साजदा के होंठो के ऊपर उंगलियाँ फेर रही थी.

मैं उन दोनों के बिच में जा खड़ा हुआ. साजदा ने अपने हाथ से मेरे पेंट में आये हुए उभार को जैसे चेक किया. फिर उसने तस्लीम को देखा. शायद उसने उसे इशारों में बताया था की मेरा लंड सही साइज का था. साजदा ने अपने बूब्स मेरी छाती पर लगा दिए. मैंने उसके होंठो के ऊपर किस दे दी. वो मेरे लंड को दबा रही थी.

उधर तस्लीम ने अपने टॉप को खोला. अन्दर उसने ब्लेक ब्रा पहनी थी. बूब्स हिलाते हुए मेरे पास आई वो. बिना कुछ कहे ही वो घुटनों के ऊपर जा बैठी और मेरी जिप खोल के लंड को बहार निकाल लिया उसने. तस्लीम के बूब्स अब मेरे लंड के ऊपर घिसे जा रहे थे. उसके बूब्स एकदम सॉफ्ट थे और मेरा लंड एकदम ठिठ कडक. उसको मजा आ रहा था अपने निपल्स के ऊपर लंड को घिसने से. वो सिसकियाँ रही थी. और मेरा लंड और भी कडक होने लगा था.

साजदा ने भी अपने कपडे खोले. उसने तो तस्लीम से एक स्टेप और आगे बढ़ के अपनी चूत को भी खोल दिया था. मैंने उसकी हलकी हेरी चूत को देखी और मैं रोक नहीं सका खुद को. मैंने अपनी एक ऊँगली से चूत को धीरे से हिलाया. उसकी चूत एकदम गीली थी. मैंने अपनी बड़ी ऊँगली के आगे के भाग को धीरे से साजदा की चिकनी चूत में डाला. उधर तस्लीम ने मेरे लंड को अपने मुहं में ले के हलके से सक किया. मैं पागल हो रहा था जैसे. मैंने ऊँगली को साजदा की चूत में डाल दिया. ऊँगली घुसते ही उसके मुहं से सिसकी निकल गई.

मैं ऊँगली को जोर जोर से अन्दर बहार करने लगा था. और साजदा मेरे से लिपट गई. तस्लीम ने पुरे लंड को मुहं में के मस्त ब्लोव्जोब स्टार्ट कर दिया था. अब साजदा भी अपने घुटनों के ऊपर जा बैठी. मैंने उसकी चूत के रस को ऊँगली से चाट लिया. साजदा और तस्लीम दोनों ने ही वन बाय वन लंड को मुहं में ले के सकिंग चालू कर दिया. साथ ही में ये हॉट मुस्लिम लडकियां टट्टे भी चाट रही थी मेरे.

मैं तो जैसे सातवें आसमान के ऊपर था. साजदा अब अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी और वो जोर जोर से मोअन करने लगी थी. मैं जान गया था की उसका मन हो चूका था लंड चूत में लेने को. मैंने अपने लंड को इन लड़कियों के मुहं के पास से ले लिया. वैसे भी लेना तो था ही वरना ये रंडियां उसका पानी निकाल के पी जाती!

साजदा ने अपनी टाँगे खोली और मैंने अपने लंड को उसके होल पर रख दिया. तस्लीम के हाथ मेरी गांड पर आ गए. और वो हलके से पुश कर रही थी मुझे. मेरा लंड साजदा की चिकनी चूत में घुस गया. मैंने पुरे लंड को धीरे धीरे कर के अन्दर डाला. साजदा ने बड़ी आह निकाली और टांगो को पूरा खोल दी. तस्लीम निचे बैठी और उसने लंड को बहार निकाल के एक बार फिर से चूस के थूंक वाला कर दिया. फिर उसने लंड को वापस अपनी सहेली की चूत पर टिका दिया. मैंने धक्के से अपने लंड को चूत में पूरा घुसा दिया. साजदा को जैसे बहुत समय के बाद लंड मिला था. वो तडप रही थी और उसकी चूत एकदम गरम थी.

तस्लीम मुझे वापस पीछे से धक्के देने लगी थी. मेरा लंड उसकी सहेली की चूत में अन्दर बहार होने लगा था. कमरे में फच फच और पच पच की आवाजे आ रही थी. साजदा ने चूत को कस लिया था मेरे लौड़े के ऊपर और वो मरवा रही थी. तभी तस्लीम ने उसके मुहं पर अपनी चूत को रख दी. साजदा चुद्वाते हुए अपनी सहेली की चूत को चाटने लगी थी. दोनों एकदम होर्नी थी और उन्हें देख के चोदने में अपना अलग ही मजा था.

कुछ देर के बाद साजदा की चूत से लंड निकाल के मैंने तस्लीम को चोदा. वो तो साजदा से भी मस्त चूत वाली थी. या फिर साजदा के चूत चाटने की वजह से उसकी चूत में ज्यादा जोश और गर्मी चढ़ी हुई थी. लेकिन एक बात थी की ये दोनों ही सेक्सी मुस्लिम लड़कियों को चुदने का खूब खुमार था.

तभी तो मेरे उनके घर के जाने से पहले दोनों ने दो दो बार मेरे लंड को अपनी चूत में डाल के उसका मजा लिया. साजदा की तो मैंने गांड भी मारी एक बार.

दोनों ने अपने अपने नम्बर दिए और मेरा नम्बर ले लिया. लेकिन उस दिन के बाद से फिर कभी उनकी मुलाक़ात नहीं हुई. मुझे लगता हे की वो दोनों ऐसे बहार से ही लडको को उठा के उनके लोडे से अपनी चूत मरवा लेती हे. रात गई बात गई वाला हिसाब!

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