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मैडम की चूत का प्यासा मेरा लंड

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मेरी मैडम बेहद खूबसूरत दिलदरिया और गाँड समुंदर!! हाँ कुछ ऐसा ही कह सकता हूँ मैं अपनी बीएड की लेक्चरर रुख़साना मैडम के बारे में। खूबसूरत, सांवली, सलोनी, पावरोटी की तरह फ़ूली गाँड और पपीते के तरह मोटे चूंचे उनकी पर्सनालिटी को चार
चाँद लगाते थे। उसे देखकर शायद किसी का भी लंड खड़ा होजाये ये सब देखकर मुझे अंदर से अजीब सा महसूस हो रहा था जैसे अभी जाऊ उसकी सलवार उठाकर साला वही चोद दू लेकिन मैं ऐसे नहीं कर सकता था !मैं मजबूर था लेकिन मैंने ये सोंच लिया था की कभी ना कभी इससे जल्दी ही चोदुंग  लेकिन मुझे इस बात का मौका लक़ब मिलेगा ये नहीं पता था ! गुदाज हुस्नो शबाब की मल्लिका और कोयल के कंठ से फ़ूटती सेक्सी आवाज की तरह कूहूकने वाली रुख़साना मैडम को चोदने के लिये उनके छात्रों का मन हर सेमेस्टर में बेकरार रहता था। जब अपने बाल झटक के सामने वाले पर जादू कर के वो पलट के मुसकरा के चल देती, उनकी


गाँडके गोले एक दूसरे पर चढते हुए सामने वाले पर सेक्स का कीचड़ उछालते मजाक उड़ाते और अगला आदमी हाथ में अपने लंड को पकड़ कर बैठ जाता। रुख़साना मैडम पैंतीस-छत्तीस साल की थी लेकिन पच्चीस-छब्बीस से ज्यादा की नहीं लगती थी। हमेशा फ़ैशनेबल कपड़ों के साथ सैंडल और एक्सेसरिज़ पहनती थी।
रुख़साना मैडम दो दफ़ा तलाक़शुदा थीं और उनकी ऐय्याशियों के किस्से भी आम थे की वो एक नंबर की चुदक्कड़ और लंडखोर औरत थी। उनकी ऐसी रेप्यूटेशन थी की वो उभयलिंगी (बॉयसेक्ज़ुअल) थीं और कईं मर्दों के अलावा औरतों के साथ भी उनके शारिरिक संबंध थे। रुख़साना मैडम के बारे में ये भी अफ़वाह थी कि गत वर्षों में कुछ छात्रों और छात्राओं के साथ भी उनके अवैध संबंध रहे हैं लेकिन वो हर किसी को घास नहीं डालती थी और काफी च्यूज़ी थीं।
मेरी उम्र बाईस साल थी और बीएड के दूसरे सेमेस्टर में सायकोलोजी की मेरी पहली क्लास थी और सामने अगले बेंच पर मैं बैठा हुआ था। जैसे ही रुख़साना मैम अंदर घुसीं सारे छात्र-छात्राएँ खड़े हो गये। खड़ा तो मैं भी होने वाला था लेकिन मुझसे पहले मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने तुरंत अपने हाथों से अपनी जींस को दबाया और हक्का बक्का रह गया जब देखा कि सामने खड़ी रुख़साना मैडम मेरी इस फ़्रस्ट्रेशन को देख कर मुस्करा रही है। मैंने किताब उठायी। अपनी जिप के आगे वाले हिस्से को ढका और धम्म से बेंच पर बैठ गया। वो साइकालोजी की टीचर थी। लेक्चर स्टार्ट हुआ और जैसे ही उन्होंने कहा, “सायकोलोजी मन का विज्ञान है…!” मैं समझ गया कि ये मेरे मन की बात तो जान ही गयी होंगी। मैं उन्हें एकटक देख रहा था और वो भी तिरछी नजरों से शायद मेरी हाइट को निहार रही थी जो छ: फ़ीट तीन इंच है और मेरा बदन भी कसरती है।
क्लास खत्म होने के बाद लैब थी और साइकोलोजी लैब में सभी को एक टेस्ट करने को दिया गया था। ख़ुशक़िस्मती से मेरी इंस्ट्रक्टर वही थी – रुख़साना मैम। अलग-अलग साउंड प्रूफ़ केबिन में ये टेस्ट करना था। हम दोनों प्रैक्टिकल के लिये एक केबिन में अंदर घुसे। अंदर घुसते ही मुझे उसके बदन की सुंदर ख़ुशबू मदहोश करने लगी। हम दोनों आमने-सामने बैठे थे और बीच में एक टेबल थी। उन्होंने कहा, “टेस्ट निकालो!” तो मैं उन्हें देखता रहा। दो दफ़ा तलाक़शुदा मैडम पैंतीस साल के करीब होंगी पर खुद को बेहद मेंटेन कर रखा था। मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था। सामने उनके चूंचे इतने भारी थे कि उनके कसे हुए लो-कट ब्लाऊज़ में से उछलकर बाहर आने को तैयार थे और लाल-लाल होंठों पर लिप ग्लॉस उन्हें चूत के अंदरुनी दीवारों की तरह पिंक बना रहा था। थोड़ी देर के लिये मैं कल्पना करता रहा कि ये कोई चूत ही है। उन्हें भी मेरे जज़्बातों का एहसास हो गया था की ये लड़का दिल ही दिल में उन्हें चोदने के ख़्वाब देख रहा है।
उनके हावभाव से वो भी बेकरार नज़र आ रही थी। टेबल के नीचे से उनकी उँची हील वाली सैंडल का सिरा सीधा मेरी जींस की जिप से लंड पे टकराया। मेरे को जैसे चार सौ चालीस वोल्ट का झटका लगा। मैडम मुझे पहले ही दीवाना बना चुकी थी और मेरे पहले से तने हुए लंड का लहू तो वैसे भी गरम हो चुका था। सैंडल की रगड़ से लंड का लावा निकलने वाला था। रुख़साना मैडम अदा से मुस्कुराते हुए बोली “सौरी!” लेकिन अपना सैंडल मेरे लंड से दूर नहीं हटाया और हल्के-हल्के मेरा लंड रगड़ती रहीं। अब तक इतना तो मैं समझ ही गया थी की उनकी चूत भी
गरम हो चुकी थी और जो कुछ भी इस राँड के बारे में सुना था वो सब सच था। उनके सैंडल की रगड़ से मेरा लंड बुरी तरह से अकड़ गया था। मेरी फ़्रस्ट्रेशन देखकर रुख़साना मैडम अंजान बनते हुए बोली, “क्या हुआ? चोट तो नहीं लगी!” जबकि ये सब तो उन्होंने जान बूझ कर ही किया था। मैं भी ये मौका गंवाना नहीं चाहता था तो मैंने टेबल के नीचे हाथ लगा कर उनका पैर पकड़ लिया और सहलाते हुए जवाब दिया, “नहीं नहीं मैम… मुझे नहीं लगी लेकिन आपके पैर में दर्द हो तो मसाज कर दूँ?” ये कहते हुए मैं साईड से उनके पैर और सैंडल के बीच में उंगली डाल कर उनका तलवा सहलाने लगा और उनके पैरों की उंगलियों के बीच अपने उंगलियों से गरमा गरम मसाज देने लगा।

हम दोनो ही एक दूसरे को चोदने की फ़िराक में थे और अंजान बन कर एकदूसरे को धोखा दे रहे थे। रुख़साना मैडम कुटिल मुस्कान के साथ रसभरी आवाज़ में बोली, “पैर में नहीं लेकिन उपर तक़लीफ हो रही है… जरा सा उपर हाथ लगाओ ना!”अब मैं समझ गया की मैडम क्या चाहती है !उन्हें अब सबसे ज्यादा यानि की मेरे लंड की थी जो उन्हें सता रही थी लेकिन मैं समझ गया की आखिर मैडम ने अपनी चाल फेक दी लेकिन मैं अभी भी एकदम जैसे की मुझे कुछ समझ ही नहीं आया और
मैंने कहा, “कहाँ मैडम?” तो उन्होंने अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर सरका कर अपनी चिकनी जांघ की तरफ़ इशारा करके आँख मारते हुए कहा – “यहां!” मैंने उनकी सुडौल जांघ पर हाथ फिराया। मस्ती का ज्वर छा रहा था मेरे लौड़े पे। सीधा एक बार हाथ लगाने की देर थी और जैसे पानी डालो तो गड़ढे में गिरता है वैसे ही मेरा हाथ फ़िसलते हुए उनकी टांगों के बीच चूत के होंठों तक जा पहुंचा। रुख़साना मैडम ने नीचे पैंटी तो पहनी ही नहीं हुई थी।
यही तो चाहती थी वो रांड। उनके मुँह से सिसकारियों निकलने लगी थीं। मैंने उनकी आंखों की गहराई में झांका तो लाल डोरे तैर रहे थे और वो कातिलाना स्माईल मार रही थी। मेरे लौड़े के उपर उनकी जीत पर यह मुस्कान घमंड से भरी थी। मैं उनका नया शिकार जो था।
रुख़साना मैडम कुर्सी से उठ कर खड़ी हुईं और मेरे सामने टेबल पर आकर बैठ गयीं। अगले ही पल रुख़साना मैडम ने झुक कर अपने गरम होंठ मेरे होंठों पर चिपका दिये और वो अपनी जीभ मेरे होंठों के बीच में घुसाने लगी। अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर रुख़साना मैडम उसे घुमा-घुमा कर टटोलने लगी। मेरा लंड तो जींस को फाड़ कर बाहर आने को तैयार हो गया। हम इसी तरह कुछ देर एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर चूमते रहे।
रुख़साना मैडम ने जब मेरे होंठों से अपने होंठ अलग किये तो हम दोनों हाँफ रहे थे। सीधे बैठ कर उन्होंने आननफानन अपना ब्लाऊज़ और ब्रा उतार दिये और उत्तेजना में हाँफते हुए मेरा सिर पकड़ कर मेरा चेहरा अपने मम्‍मों पे दबा दिया। मैंने भी देर नहीं की और उनके निप्पल चूसते हुए अपने हाथों से उनके पपीते जैसे मम्मे दबाने लगा। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ भरते हुए मेरे बालों में अपनी नर्म उंगलियाँ फिरा रही थी। “उम्म्म… हाँ… वेरी गुड… ऐसे ही…!”
मैं तो फूला नहीं समा रहा था। अपनी और बाकी सभी छात्रों की ड्रीमगर्ल को मैं प्यार कर रहा था। रुख़साना मैडम फिर टेबल से उतर कर खड़ी हुईं और अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी। अब मेरे सामने उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत नंगी थी। पैरों में उँची पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी रुख़साना मैडम का गोरा और संगमरमर सा तराशा जिस्म कयामत ढा रहा था। किसी पॉर्न स्टार की तरह लग रही थी वो। उफ़्फ़ कितना सुगंधित जिस्म था उनका। उनकी भीनी-भीनी महक मेरे नथुनों में घुस रही थी।
रुख़साना मैडम फिर से टेबल पर बैठ गयीं और मुझे खड़ा करके खुद ही मेरी जींस की ज़िप खोलने लगी। मेरी जींस की ज़िप और बटन खोलकर उन्होंने मेरी जींस और अंडरवियर एक साथ मेरे घुटनों तक नीचे खिसका दिये। अकड़ कर लोहे के रॉड की तरह सख्त मेरा लंड जींस की कैद से आज़ाद होकर सीधा खड़ा था। इसी हथियार से रुख़साना मैडम को अपनी गाँड तहस नहस करवानी थी और चूत की बैंड बजवानी थी।
“मममऽऽऽ!” रुख़साना मैडम मस्त बिल्ली की तरह घुरघुराते हुए बोली, “कितनी शान से तन कर खड़ा है तेरा लंड!” उनके मुँह से ‘लंड’ शब्द सुनकर मुझे अच्छा लगा। इसका मतलब वो सही में चालू और चुदक्कड़ औरत थी। अपने हाथों में मेरा लंड पकड़कर रुख़साना मैडम ज़ोर-ज़ोर से सहलाते hue मुठियाने लगी। मेरे लंड से चिकना सा साफ रस निकल रहा था। मेरा लंड मुठियाते हुए वो मेरे लंड का सुपाड़ा अपनी रसभरी अन्नानास जैसी चूत पर रगड़ने लगी। उनकी चूत से भी रस बह रहा था जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा भीग कर लथपथ हो गया।
रुख़साना मैडम ने फिर झुककर अपनी चूत के रस से लिसड़े सुपाड़े पर अपने होंठ रख कर अपनी जीभ गोल-गोल फिरा कर चाटने लगी। फिर मेरे लंड को अपने मुँह में अंदर लेकर चूसने लगी लेकिन
टेबल पे बैठ के इस तरह झुके हुए लंड चूसने में उन्हें दिक्कत हो रही थी।
इसलिये रुख़साना मैडम पीठ के बल टेबल पे ऐसे लेट गयीं कि उनका मुँह नीचे टेबल के किनारे आ गया। उन्होंने मुझे अपने करीब बुलाया और मेरा लोहे सा सख्त लंड फिर से अपने मुँह में भर लिया। उन्होंने सुपड़-सुपड़ करके चटपटा लौड़ा चूसना शुरु किया । मैं तो मस्ती से झूम उठा और सिसकने लगा। अपने चूतड़ चलाने से मैं खुद को रोक नहीं सका और मेरा लंड रुख़साना मैडम के गले में टकराने लगा। मैंने देखा की रुख़साना मैडम एक हाथ से नीचे अपनी चूत भी सहला रही थीं।
फिर अचानक रुख़साना मैडम मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकल कर बोली, “जब तक मैं तेरा लंड चूसती हूँ… तू भी मेरी चूत चाट!” ये कहते हुए किसी जिमनास्ट की तरह रुख़साना मैडम अपनी कमर उठा कर चक्र की तरह मोड़ते हुए अपनी टांगें मेरे कंधों पर रखकर अपनी चूत को मेरे मुँह के करीब ले आयीं। उनके जिस्म का लचीलापन देख कर मैं हैरान था। उन्होंने फिर से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। अब ये 69 पोजिशन की स्पेशल स्टाइल थी। मेरा लौड़ा उनके मुँह में गले तक अंदर था और मेरी जीभ कभी उनकी गाँड और कभी चूत की गहराई नाप रही थी। रुख़साना मैडम सिसकारियाँ निकाल रही थी पर मुँह भरा होने के चलते चिल्लाना असंभव था । पाँच मिनट तक एक दूसरे की चुसाई के बाद हम दोनो चुदाई के लिये तैयार थे।

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