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मेरी नाकाम लेस्बियन सेक्स कहानी




अगले महीने मेरी शादी हो रही है। मैं शादी नहीं करना चाहती पर मेरे पास कोई और चारा नहीं है। मेरी पार्टनर ने अपने घरवालों कि पसंद के लड़के से शादी कर ली है। काश हम दोनों हमेशा साथ रह सकते! हमने कई बार भागने के बारे में सोचा लेकिन खाप पंचायत हमें कहीं चैन से नहीं रहने देगी।

कामिनी (परिवर्तित नाम) दिल्ली में एक प्राइवेट ऑफिस में सेक्रेटेरी हैं।

एक ‘कशिश’

मेरा परिवार हरियाणा से है और मैं नजफगढ़ में पली बढ़ी। मुझे शुरू से लड़कों कि तरह कपडे पहनना पसंद था और लड़कियों वाली कोई गतिविधि मुझे पसंद नहीं आती थी। इसका कारण क्या था मैंने ये जानने कि कभी कोशिश नहीं कि। आखिर क्यूँ मेरा ध्यान सलमान से ज़यादा माधुरी दीक्षित पर क्यों जाता था?

मुझे ये भी नहीं समझ आया था कि मेरी नज़रें श्यामली नाम कि उस लड़की पर क्यूँ रुकी थी जिसने कुछ दिन पहले मेरे ऑफिस में काम करना शुरू किया था। हम दोनों जाट समुदाय से थे और एक ही क्षेत्र से आते थे, और शायद इसलिए हम जल्दो ही दोस्त बन गए। बस एक बात अजीब थी, उसके छूने से मानो मेरे शरीर में कंपकपी सी दौड़ जाती थी जैसे कोई बिजली का करंट।

भावनाओं से शरीर तक

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यूँ हो रहा है लेकिन मुझे कुछ बेचैनी सी होती थी। उसे मेरे ऑफिस में 6 महीने हुए होंगे जब वो मेरे जन्मदिन कि पार्टी में आयी और गाल पर चुम्बन करते हुए उसके होठों ने मेरे होठों को गलती से छू लिया। अजीब बात ये थी कि मुझे अटपटा लगने कि बजाये अच्छा लगा।

हमें तुरंत ही अपराधबोध जैसा एहसास हुआ। उसके बाद हम दोनों ने एक हफ्ते तक बात नहीं की। मैंने समलैंगिकता के बारे में इंटरनेट पर कुछ जानकारी अर्जित की और मैं जानना चाहती थी कि श्यामली के मन में क्या चल रहा है। मुझे तब तक श्यामली के लिए अपने इस लगाव का एहसास नहीं हुआ था।

और इसके एक महीने बाद मेरे और श्यामली के बीच का ये भावनात्मक जुड़ाव शारीरक रिश्ते तक पहुँच गया। मुझे नहीं पता था कि हम क्या कर रहे हैं और इसका भविष्य क्या है लेकिन जो भी था वो अच्छा लग रहा था। शायद इसीलिए हम समाज और परिवार के बारे में सोचना ही नहीं चाह रहे थे।

पर्दाफाश

हमारे परिवार को हमपर कभी शक नहीं हुआ। क्यूंकि उन्हें शायद लेस्बियन और समलैंगिकता के बारे में ज़यादा कुछ पता ही नहीं था। लेकिन आखिर अच्छा समय ख़त्म हो गया।

एक दिन श्यामली कि माँ ने उसके गले पर हमारे प्यार का एक निशान देख लिया और उन्होंने ये मान लिया कि श्यामली का शायद किसी लड़के के साथ सम्बन्ध शुरू हो गया है।उन्होंने उसका घर से निकलना बंद कर दिया और तीन हफ्ते में लड़का ढूँढ कर उसकी शादी पक्की कर दी।

अजीब हालात

किस्मत ने हमें अजीब मंज़र पर ला खड़ा किया। श्यामली कि माँ ने मेरी माँ को फोन करके कहा कि बहनजी दिल्ली जाकर इन् लड़कियों के पर निकल आये हैं और इनके अफेयर शुरू हो गए हैं, हमने तो श्यामली कि शादी तय कर दी है और आप भी जल्दी ही कामिनी कि शादी कर दो। उन्होंने यहाँ तक कहा कि श्यामली के लिए जो लड़का देखा है, उसका एक दोस्त है जो कामिनी के लिए अच्छा रहेगा।

मेरी माँ को तो वैसे ही मेरी शादी कि जल्दी थी। तो उन्हें ये सुझाव अच्छा लगा और उन्होंने पापा के ज़रिये बात आगे बढ़ाई और मेरी शादी भी पक्की कर दी गयी। इस सारी जद्दोज़हद के बीच किसी ने मुझसे मेरी मर्ज़ी जानने कि कोशिश भी नहीं की।

मैं अभी सिर्फ ये कह सकती हूँ की अगर यह कहानी मेरी अपनी न होती तो शायद मैं इस पर हंसती। क्यूंकि ये कितना अजीब है की मेरी इच्छा जाने बगैर मेरी शादी मेरी प्रेमिका के पति के दोस्त से की जा रही है।

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